हाइलाइट्स
- गोंडा बोलेरो हादसा: सरयू नहर में गिरी बोलेरो, 11 लोगों की मौके पर मौत
- एक ही परिवार के अधिकतर सदस्य हादसे में मारे गए
- सावन के सोमवार को जल चढ़ाने जा रहे थे पृथ्वीनाथ मंदिर
- सीएम योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर दुख जताते हुए 5-5 लाख की सहायता राशि घोषित की
- हादसे के वक्त गाड़ी का गेट नहीं खुला, लोग जान की गुहार लगाते रह गए
उत्तर प्रदेश के गोंडा बोलेरो हादसा ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। सावन के पहले सोमवार को जहां एक ओर श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक कर पुण्य प्राप्त करने में लगे थे, वहीं दूसरी ओर गोंडा के एक गांव से निकलकर पृथ्वीनाथ मंदिर जा रही एक बोलेरो गाड़ी ने एक दर्दनाक मोड़ ले लिया। भारी बारिश के कारण बोलेरो फिसलकर सरयू नहर में जा गिरी, जिससे गोंडा बोलेरो हादसा का भयावह मंजर सामने आया।
हादसा कैसे हुआ?
यह दर्दनाक हादसा इटियाथोक थाना क्षेत्र अंतर्गत बेलवा बहुता रेहरा मोड़ के पास हुआ। बोलेरो गाड़ी, जिसमें कुल 15 लोग सवार थे, अचानक अनियंत्रित होकर नहर में जा गिरी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भारी बारिश और फिसलन की वजह से चालक का नियंत्रण वाहन से हट गया, जिसके बाद बोलेरो नहर में समा गई। गोंडा बोलेरो हादसा में 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 3 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
कौन-कौन मारे गए?
गोंडा बोलेरो हादसा में जिन 11 लोगों की मौत हुई, वे सभी थाना मोतीगंज के सिहागांव के निवासी थे। मृतकों में 5 महिलाएं और 6 पुरुष शामिल हैं। जिनकी पहचान इस प्रकार हुई है:
- बीना (35 वर्ष)
- काजल (22 वर्ष)
- महक (12 वर्ष)
- दुर्गेश
- नंदिनी
- अंकित
- शुभ
- संजू वर्मा
- अंजू
- सौम्या
- एक अन्य व्यक्ति की पहचान अभी नहीं हो सकी है
इनमें से अधिकतर लोग एक ही परिवार के सदस्य थे, जो सावन के महीने में भगवान शिव को जल चढ़ाने जा रहे थे।
लोगों की मदद की गुहार, लेकिन खुल नहीं रहा था दरवाजा
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बोलेरो जैसे ही नहर में गिरी, अंदर बैठे लोग जोर-जोर से मदद की गुहार लगाने लगे। मगर गाड़ी के दरवाजे लॉक हो गए थे और पानी तेजी से गाड़ी के अंदर भर रहा था। कुछ स्थानीय युवकों ने शीशा तोड़कर अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला, मगर तब तक 11 लोग दम तोड़ चुके थे। गोंडा बोलेरो हादसा के इस दृश्य ने हर किसी का दिल दहला दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संज्ञान और संवेदना
गोंडा बोलेरो हादसा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल संज्ञान लिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से एक संवेदनशील संदेश साझा किया। उन्होंने लिखा—
“जनपद गोंडा में दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में हुई जनहानि अत्यंत दुखद एवं हृदय विदारक है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। इस दुर्घटना में दिवंगत हुए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान करने तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों को घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर उनके समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं।”
मृतकों के परिजनों की हालत बदतर
गोंडा बोलेरो हादसा के बाद सिहागांव गांव में मातम पसर गया है। जिन घरों में सोमवार को पूजा की तैयारी होनी थी, वहां अब शवों के अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। एक ही परिवार के कई सदस्य एक साथ काल के गाल में समा गए, जिसे देखना और समझाना दोनों ही मुश्किल हो रहा है।
प्रशासन की कार्रवाई और राहत
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और आपदा प्रबंधन दल मौके पर पहुंच गए। रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत गाड़ी को क्रेन से बाहर निकाला गया। गोंडा बोलेरो हादसा के घायलों को गोंडा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। प्रशासन ने मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और उनके परिवारों को हर संभव सहायता का भरोसा दिया है।
👉🏾 पंद्रह लोगों से भरी बुलेरो अनियंत्रित होकर सरयू नहर में जा गिरी, स्थानीय लोगों ने सीसा तोड़कर तीन लोगों की जान बचाई, वहीं बच्चों समेत 11 लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी।
👉🏾 बुलेरो सवार शृद्धालू पृथ्वीनाथ मंदिर जल चढ़ाने जा रहे थे तभी रास्ते में यह हादसा हो गया। रो रही… pic.twitter.com/nvVMec3KAY
— Abhimanyu Singh Journalist (@Abhimanyu1305) August 3, 2025
धार्मिक आस्था में दुर्घटना का हस्तक्षेप
सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। लोग दूर-दूर से भगवान शिव के मंदिरों में जलाभिषेक करने आते हैं। लेकिन गोंडा बोलेरो हादसा ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हम धार्मिक यात्राओं में सुरक्षा के सभी उपाय करते हैं? क्या श्रद्धा के आगे सावधानी कहीं खो जाती है?
क्या है आगे की चुनौती?
यह पहली बार नहीं है जब श्रद्धालुओं की टोली किसी धार्मिक यात्रा पर निकलते वक्त हादसे का शिकार हुई हो। इससे पहले भी कई बार ट्रैक्टर, बस और कार जैसे वाहनों में श्रद्धालु सवार होकर तीर्थ स्थलों की ओर निकलते हैं और दुर्घटनाएं हो जाती हैं। गोंडा बोलेरो हादसा एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर करता है कि यात्राओं के दौरान ट्रैफिक नियमों, वाहन की क्षमता और मौसम की स्थिति का ध्यान रखना कितना जरूरी है।
गोंडा बोलेरो हादसा केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि एक पूरे परिवार की असामयिक समाप्ति की कहानी है। यह हादसा हमें सावधानी और सतर्कता की आवश्यकता का संदेश देता है। धार्मिक आस्था के साथ-साथ सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हमारी है। यदि समय रहते गाड़ी की जांच होती, सीट बेल्ट और लॉक सिस्टम पर ध्यान दिया जाता, तो शायद आज 11 जिंदगियां बच सकती थीं।