हाइलाइट्स
- Global Religion Trends के अनुसार मुस्लिम आबादी में 2010 से 2020 के बीच सबसे अधिक वृद्धि हुई।
- ईसाई धर्म की वैश्विक हिस्सेदारी घटी, फिर भी यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह बना रहा।
- भारत में मुस्लिम आबादी बढ़ी, हिंदुओं की हिस्सेदारी में मामूली गिरावट दर्ज।
- बौद्ध धर्म की गिरावट मुख्यतः चीन की वृद्ध होती आबादी के कारण।
- ‘नास्तिक’ या गैर-धार्मिक लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी, खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में।
प्यू रिसर्च की चौंकाने वाली रिपोर्ट: एक दशक में कैसे बदले Global Religion Trends
प्यू रिसर्च सेंटर की नई रिपोर्ट “2010 से 2020 तक वैश्विक धार्मिक परिदृश्य” ने धार्मिक जनसंख्या में हो रहे बदलावों की स्पष्ट तस्वीर पेश की है। Global Religion Trends पर आधारित इस अध्ययन में यह सामने आया है कि साल 2010 से 2020 के बीच मुस्लिम समुदाय सबसे तेजी से बढ़ा, जबकि ईसाई धर्म की हिस्सेदारी में गिरावट आई। यह रिपोर्ट 200 से अधिक देशों के आंकड़ों का विश्लेषण करती है और आने वाले वर्षों के धार्मिक परिदृश्य की संभावनाओं को भी रेखांकित करती है।
मुस्लिम समुदाय में बेतहाशा वृद्धि: 34.7 करोड़ की बढ़ोतरी
जनसांख्यिकीय कारणों से हुआ उभार
प्यू रिसर्च के अनुसार, 2010 से 2020 के बीच मुस्लिम आबादी में 34.7 करोड़ की वृद्धि हुई, जो अन्य सभी धर्मों की संयुक्त वृद्धि से भी अधिक है। Global Religion Trends रिपोर्ट में बताया गया है कि यह वृद्धि मुख्यतः मुस्लिम समुदाय की उच्च प्रजनन दर और युवा जनसंख्या के कारण हुई।
धर्म परिवर्तन का असर नगण्य
प्यू के वरिष्ठ विशेषज्ञ कॉनराड हैकेट के अनुसार, मुस्लिमों में जन्म दर मृत्यु दर से कहीं अधिक है और इनकी औसत आयु महज 24 वर्ष है, जबकि गैर-मुस्लिमों की औसत आयु 33 वर्ष है। इसके अतिरिक्त, मुस्लिम समुदाय में धर्म परिवर्तन का योगदान बहुत ही न्यूनतम है, जिससे यह जनसंख्या स्थायित्व का संकेत देता है।
भारत बन सकता है सबसे बड़ा मुस्लिम देश
2050 तक भारत में सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या की संभावना
रिपोर्ट के मुताबिक, यदि वर्तमान प्रवृत्तियां बनी रहीं, तो भारत 2050 तक दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश बन सकता है। वह इंडोनेशिया को भी पीछे छोड़ देगा। Global Religion Trends से यह स्पष्ट होता है कि भारत मुस्लिम जनसंख्या में ऐतिहासिक बदलाव की ओर बढ़ रहा है।
भारत में हिंदू आबादी में गिरावट, पर अब भी बहुमत में
2010 में भारत की जनसंख्या का 80% हिंदू था, जो 2020 में घटकर 79% हो गया। वहीं, मुस्लिम जनसंख्या 14.3% से बढ़कर 15.2% हो गई। हिंदू धर्म में धर्म-परिवर्तन की दर काफी कम है और उनकी प्रजनन दर वैश्विक औसत के करीब है, जिससे उनकी जनसंख्या स्थिर बनी हुई है।
ईसाई धर्म: संख्या में वृद्धि, लेकिन हिस्सेदारी में गिरावट
धर्म-त्याग है मुख्य कारण
ईसाई समुदाय की संख्या 2.18 अरब से बढ़कर 2.3 अरब हो गई, परंतु उनकी वैश्विक हिस्सेदारी 30.6% से घटकर 28.8% हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, हर वह व्यक्ति जो ईसाई बनता है, उसके मुकाबले तीन लोग ईसाई धर्म छोड़ देते हैं। यह गिरावट विशेष रूप से यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों में देखी गई है।
‘नास्तिक’ बढ़े, बौद्धों में गिरावट
नास्तिक समुदाय बना दूसरा सबसे तेजी से बढ़ता समूह
प्यू की रिपोर्ट के अनुसार, धार्मिक रूप से असंबद्ध, अर्थात ‘नास्तिक’ या ‘गैर-धार्मिक’ लोगों की संख्या 1.9 अरब हो गई है, जो वैश्विक आबादी का 24.2% है। Global Religion Trends के मुताबिक, यह समूह मुस्लिमों के बाद सबसे तेज़ी से बढ़ रहा है। चीन में ‘नास्तिकों’ की संख्या सर्वाधिक है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 78.3% तक पहुंच गई है।
बौद्ध धर्म में गिरावट के कारण
बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या में गिरावट मुख्यतः चीन में वृद्ध होती जनसंख्या और गिरती जन्म दर के कारण आई है। यह इकलौता धार्मिक समूह रहा जिसमें जनसंख्या में कमी देखी गई।
धर्म-परिवर्तन पर निष्कर्ष: हिंदू और मुस्लिम सबसे स्थिर
प्यू की रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि धर्म-परिवर्तन के मामलों में हिंदू और मुस्लिम सबसे स्थिर समुदाय हैं। रिपोर्ट बताती है कि औसतन 100 में से केवल एक व्यक्ति ही ऐसा होता है जो इन धर्मों को छोड़ता है या इनमें शामिल होता है। Global Religion Trends के इस निष्कर्ष से यह भी स्पष्ट है कि इन समुदायों में धार्मिक एकजुटता अत्यधिक है।
भविष्य की धार्मिक तस्वीर: मुसलमान-ईसाई बराबरी पर
2050 का अनुमान
अगर वर्तमान दरें बनी रहती हैं, तो 2050 तक दुनिया में मुस्लिम जनसंख्या 2.8 अरब और ईसाई जनसंख्या 2.9 अरब तक पहुंच सकती है। हिंदुओं की संख्या 1.4 अरब तक पहुंचने की संभावना है, जो वैश्विक जनसंख्या का 14.9% होगा।
क्यों सबसे तेज़ी से बढ़ रहे हैं मुसलमान?
युवाओं की अधिकता और उच्च प्रजनन दर
2010 में विश्वभर के मुस्लिमों में से 35% की उम्र 15 वर्ष से कम थी। यह अनुपात किसी भी अन्य धार्मिक समूह से अधिक है। इसके बाद हिंदुओं में यह प्रतिशत 31% था। Global Religion Trends के अनुसार, मुस्लिम महिलाएं औसतन 2.9 बच्चे जन्म देती हैं, जबकि गैर-मुस्लिम महिलाओं में यह दर 2.2 है।
जनसांख्यिकी बदल रही है विश्व की धार्मिक पहचान
Global Religion Trends पर आधारित यह रिपोर्ट न केवल वर्तमान धार्मिक परिदृश्य को दर्शाती है, बल्कि भविष्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक बदलावों का संकेत भी देती है। भारत जैसे देशों के लिए यह डेटा नीति निर्माण और सांप्रदायिक संतुलन बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आने वाले दशकों में दुनिया के धार्मिक नक्शे में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।