हाइलाइट्स
- एक पैर से स्कूल जाती बच्ची ने पेश की हिम्मत की मिसाल, 1 किलोमीटर पैदल सफर रोज करती है तय
- बिहार के सुदूर गांव से जुड़ी यह प्रेरणादायक कहानी, देशभर में हो रही वायरल
- सड़क नहीं, बैसाखी नहीं, फिर भी जज्बा ऐसा कि रुकने का नाम नहीं
- ‘मुझे सिर्फ पढ़ना है’—बच्ची के इन शब्दों ने हर दिल को छुआ
- गांववालों से लेकर प्रशासन तक अब कर रहा है मदद का वादा
एक पैर से स्कूल जाती बच्ची: बिहार की बेटी बनी प्रेरणा की मिसाल
बिहार के एक छोटे से गांव की एक बच्ची इन दिनों देशभर की मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है। वजह है उसका अद्वितीय साहस और शिक्षा के प्रति समर्पण। एक पैर से स्कूल जाती बच्ची रोजाना एक किलोमीटर का कठिन सफर तय करती है, न कोई सहारा, न कोई सुविधा—बस उसके पास है जज्बा, हिम्मत और शिक्षा के प्रति अटूट लगाव।
यह बच्ची देश को एक बार फिर ये सिखा रही है कि “जहां चाह, वहां राह।”
बचपन में हुई दुर्घटना, लेकिन टूटा नहीं हौसला
हादसे ने छीना पैर, पर नहीं छीन सका सपना
इस बच्ची की कहानी दर्द से शुरू होती है। एक सड़क दुर्घटना में उसका एक पैर गंवाना पड़ा। डॉक्टरों की कोशिश के बावजूद उसका पैर नहीं बच सका। लेकिन जहां कई बच्चे इस दर्द में टूट जाते, वहां इस बच्ची ने अपने सपनों को पकड़कर रखा।
उसके माता-पिता गरीब हैं, लेकिन उसकी पढ़ाई को लेकर बेहद संजीदा। बच्ची कहती है, “मुझे पढ़ना है, ताकि मैं आगे चलकर डॉक्टर बन सकूं और दूसरों की मदद कर सकूं।”
दैनिक संघर्ष: एक पैर, एक किलोमीटर और हिम्मत
स्कूल पहुंचने की जिद ने बना दिया हीरो
एक पैर से स्कूल जाती बच्ची रोज सुबह तैयार होकर बैलेंस बनाकर धीरे-धीरे 1 किलोमीटर दूर स्थित सरकारी स्कूल तक पहुंचती है। गांव के लोग रोज उसे जाते हुए देखते हैं। कभी बारिश, कभी कीचड़, तो कभी गर्मी की तपिश—लेकिन बच्ची नहीं रुकती।
गांव के शिक्षक बताते हैं, “वो समय से पहले स्कूल पहुंचती है और क्लास में सबसे ज्यादा एक्टिव रहती है। उसकी उपस्थिति कभी कम नहीं होती।”
सोशल मीडिया पर वायरल: देशभर से मिल रहा समर्थन
आम लोगों से लेकर सेलिब्रिटी तक कर रहे तारीफ
जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर आया, तो लोगों ने इसे हाथोंहाथ लिया। लाखों लोगों ने इसे शेयर किया, और हजारों ने बच्ची के लिए आर्थिक मदद की अपील की। कई सेलेब्रिटी और एनजीओ भी इस बच्ची की मदद के लिए आगे आए हैं।
बॉलीवुड एक्ट्रेस दिया मिर्ज़ा ने ट्वीट किया—“इस बच्ची की हिम्मत को सलाम। असली हीरो यही हैं।”
प्रशासन ने लिया संज्ञान, मिलेगी कृत्रिम टांग
अब प्रशासन भी आया हरकत में
एक पैर से स्कूल जाती बच्ची की यह खबर जब प्रशासन तक पहुंची, तो तुरंत अधिकारियों ने उसके गांव पहुंचकर हालात का जायजा लिया। जिला अधिकारी ने कहा कि बच्ची को कृत्रिम पैर और विशेष बैसाखी उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि उसका सफर आसान हो सके।
साथ ही प्रशासन ने सड़क निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने का आश्वासन भी दिया है।
बच्ची का सपना: ‘मुझे बस पढ़ना है’
डॉक्टर बनना चाहती है ये नन्ही प्रेरणा
बच्ची का कहना है, “मैं डॉक्टर बनकर गरीबों का इलाज करना चाहती हूं। मैं नहीं चाहती कि किसी और को इलाज के लिए भटकना पड़े या तकलीफ उठानी पड़े।”
इस हिम्मती बच्ची का यह जज्बा आज के युवाओं के लिए भी एक सबक है कि समस्याएं चाहे जितनी भी हों, अगर दिल में कुछ कर दिखाने का हौसला हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।
समाज को संदेश: बेटियों को मौका दें, साथ दें
हर बेटी में है कुछ खास
एक पैर से स्कूल जाती बच्ची आज पूरे भारत के लिए मिसाल बन चुकी है। वह अकेली नहीं है—देश में कई बेटियां हैं जो संघर्ष कर रही हैं, लेकिन उनके पास संसाधन नहीं हैं। इस बच्ची की तरह अगर हर किसी को थोड़ी सी भी मदद मिले, तो ये देश वास्तव में “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के नारे को सार्थक बना सकता है।
बिहार की एक पैर से स्कूल जाती बच्ची की यह कहानी न सिर्फ भावुक करती है, बल्कि प्रेरित भी। उसके हौसले ने यह दिखा दिया है कि शिक्षा का रास्ता कभी भी आसान नहीं होता, लेकिन यदि इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किल रुकावट नहीं बन सकती।
आज देश को ऐसे ही साहसी बच्चों की जरूरत है जो तमाम बाधाओं को पार कर शिक्षा के पथ पर आगे बढ़ें।