हाइलाइट्स
- Freezing Bodies in Tanks तकनीक का इस्तेमाल करके लोग अपने शवों को भविष्य में पुनर्जीवन की आशा में फ्रीज करवा रहे हैं।
- इस तकनीक को क्रायोनिक्स (Cryonics) कहा जाता है जिसमें शरीर को -200°C तापमान पर संरक्षित किया जाता है।
- अब तक दुनिया भर में 500 से अधिक लोग इस प्रक्रिया के लिए चुने जा चुके हैं।
- अमेरिका और रूस जैसे देशों में इस तकनीक का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिला है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि वर्तमान में कोई ऐसी तकनीक नहीं है जिससे मृत शरीर को फिर से जीवित किया जा सके।
क्या है Freezing Bodies in Tanks तकनीक?
जब कोई इंसान अपनी उम्र पूरी कर लेता है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो विज्ञान अब तक उसे पुनर्जीवित करने में सक्षम नहीं हो पाया है। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि भविष्य में ऐसी तकनीक विकसित हो सकती है जिससे मृत व्यक्ति को फिर से जीवित किया जा सकेगा। इस विश्वास के चलते कई लोग Freezing Bodies in Tanks तकनीक का सहारा ले रहे हैं।
इस प्रक्रिया में मृत शरीर को क्रायोनिक्स विधि के तहत -200 डिग्री सेल्सियस तापमान पर संरक्षित किया जाता है। उद्देश्य होता है शरीर की कोशिकाओं को जीवित अवस्था में बनाए रखना ताकि जब विज्ञान सक्षम हो, तो उन्हें पुनः जीवन दिया जा सके।
क्रायोनिक्स: विज्ञान या कल्पना?
क्या है क्रायोनिक्स?
Cryonics यानी मृत शरीर को फ्रीज करना ताकि भविष्य में उसे वापस जीवित किया जा सके। इस प्रक्रिया में शरीर को विशेष केमिकल्स से संरक्षित किया जाता है और फिर उसे लिक्विड नाइट्रोजन से भरे टैंकों में उल्टा लटका कर रखा जाता है।
किस आधार पर होता है फ्रीज?
Cryonics के समर्थकों का मानना है कि मृत्यु कोई अंतिम सत्य नहीं बल्कि एक स्थायी बेहोशी की अवस्था हो सकती है। उनका मानना है कि जब तक शरीर का अपघटन नहीं होता, तब तक उसे वापस जिंदा करने की संभावना बनी रहती है।
कहां और कितने लोग फ्रीज हो चुके हैं?
आंकड़े चौंकाने वाले हैं
अब तक अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से 500 से भी अधिक लोग इस प्रक्रिया से गुजर चुके हैं। अमेरिका की Alcor Life Extension Foundation और रूस की KrioRus जैसी संस्थाएं इस तकनीक को सेवाएं दे रही हैं।
किनका हो चुका है Cryopreservation?
इनमें प्रमुख वैज्ञानिक, डॉक्टर, टेक उद्यमी, और यहां तक कि आम नागरिकों के भी शव शामिल हैं जिन्होंने मरने से पहले ही अपनी वसीयत में क्रायोनिक्स की मांग की थी।
कैसे होता है शरीर को संरक्षित?
चरण-दर-चरण प्रक्रिया
- मृत्यु के तुरंत बाद शव को अस्पताल के कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है।
- फिर शरीर को बर्फ में पूरी तरह पैक किया जाता है।
- शरीर की कोशिकाओं को सुरक्षित रखने के लिए उसमें विशेष रसायन पंप किया जाता है।
- इसके बाद शरीर को ड्राई आइस में लपेटकर Cryonics सेंटर भेजा जाता है।
- वहां शरीर का तापमान धीरे-धीरे घटाया जाता है जब तक वह -200 डिग्री तक न पहुंच जाए।
- अंत में, उसे नाइट्रोजन से भरे टैंक में उल्टा लटकाकर वैक्यूम पॉड में संरक्षित कर दिया जाता है।
क्या भविष्य में होंगे जिंदा?
उम्मीदें और चुनौतियां
कुछ वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में स्टेम सेल, जेनेटिक इंजीनियरिंग और नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से मृत कोशिकाओं को फिर से जीवन दिया जा सकता है। हालांकि अभी यह पूरी तरह से अटकलों पर आधारित है।
Dr. आर. गिब्सन, एक प्रसिद्ध अमेरिकी वैज्ञानिक, का कहना है कि –
“मौजूदा तकनीक के अनुसार, मृत शरीर को जीवित करना असंभव है। लेकिन तकनीकी क्रांति को नकारा नहीं जा सकता।”
कानूनी और नैतिक बहस
क्या यह नैतिक है?
कई बायोएथिक्स विशेषज्ञों का मानना है कि Freezing Bodies in Tanks एक अमीरों की कल्पना है जो मृत्यु को स्वीकार नहीं करना चाहते। इस प्रक्रिया में हजारों डॉलर खर्च होते हैं, जिससे यह केवल सीमित वर्ग तक सिमट कर रह जाती है।
भारत में क्या है स्थिति?
भारत में अभी तक इस तकनीक पर कोई विशेष पहल नहीं हुई है। हालांकि, इंटरनेट के माध्यम से कुछ भारतीय नागरिक इस बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं और विदेशों से संपर्क भी कर रहे हैं।
विज्ञान की कल्पनाओं की उड़ान
Freezing Bodies in Tanks तकनीक आज के विज्ञान की सबसे विवादित और दिलचस्प अवधारणाओं में से एक है। यह तकनीक विज्ञान, कल्पना, नैतिकता और भविष्य के बीच की सीमाओं को धुंधला कर देती है।
हालांकि वर्तमान में इस तकनीक की सफलता की कोई गारंटी नहीं है, लेकिन फिर भी कुछ लोग इस आशा में अपने शरीर को फ्रीज करवा रहे हैं कि शायद एक दिन वे फिर से जीवित हो सकें।