हाइलाइट्स
- फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन भारत में ही बनने जा रहा है, जिससे अमेरिका को बड़ा झटका लगा है।
- फ्रांस ने भारत के साथ मिलकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का करार किया है।
- मेक इन इंडिया के तहत पूरी तकनीक भारत को सौंपी जाएगी।
- इस ऐतिहासिक फैसले के बाद भारत अपने खुद के एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) का इंजन भी बना सकेगा।
- अमेरिकी एफ-35 विमानों पर उठते सवालों के बीच भारत का यह कदम सामरिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय सामरिक समीकरणों में भारत ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने वैश्विक ताकतों के बीच नई हलचल पैदा कर दी है। लंबे समय से अमेरिका अपने एफ-35 लड़ाकू विमानों के जरिए भारत को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा था। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भी फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन के नाम पर कई तरह के संकेत दिए गए। लेकिन भारत ने धैर्य और रणनीति से काम लिया और अब फ्रांस के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक डील को अंजाम दिया है।
अमेरिका के एफ-35 पर सवाल
अमेरिका का एफ-35 लड़ाकू विमान दुनिया का सबसे चर्चित प्रोजेक्ट माना जाता है, लेकिन इसकी विश्वसनीयता को लेकर कई बार सवाल खड़े हुए हैं।
- हाल ही में जापान में एफ-35 के अचानक लैंड करने की खबरें आईं।
- भारत में भी यह विमान 37 दिनों तक बिना किसी ठोस कारण के एयरपोर्ट पर खड़ा रहा।
- विशेषज्ञों का कहना है कि एफ-35 बार-बार तकनीकी खामियों का शिकार हो रहा है।
इसी पृष्ठभूमि में भारत ने यह समझ लिया कि केवल विदेशी हथियारों पर निर्भर रहना किसी भी दृष्टि से सुरक्षित नहीं है। इसलिए अब भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाया है और फ्रांस के साथ मिलकर फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन भारत में बनाने का निर्णय लिया है।
भारत-फ्रांस की साझेदारी
पूरी टेक्नोलॉजी भारत को मिलेगी
इस साझेदारी का सबसे बड़ा पहलू यह है कि फ्रांस न केवल फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन भारत में बनाने में मदद करेगा, बल्कि इसकी पूरी तकनीक भी भारत को सौंपेगा।
- इसका मतलब है कि भारत अब किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहेगा।
- ‘मेक इन इंडिया’ के तहत यह तकनीक देश के भीतर ही विकसित की जाएगी।
- भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियर इस परियोजना में सीधे तौर पर शामिल होंगे।
सामरिक महत्व
भारत और फ्रांस की यह डील अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि अब भारत के पास अपनी ही जमीन पर फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन बनाने की क्षमता होगी।
भारत का एमका प्रोजेक्ट और नया इंजन
भारत लंबे समय से अपने एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) पर काम कर रहा है। यह विमान पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार किया जा रहा है।
- अब इस विमान में लगाया जाने वाला इंजन भी भारत में ही बनेगा।
- फ्रांस के सहयोग से तैयार होने वाला फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन एमका प्रोजेक्ट को नई उड़ान देगा।
- इससे भारत की वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
अमेरिका की रणनीति को झटका
अमेरिका लंबे समय से चाहता था कि भारत उसकी शर्तों पर ट्रेड डील करे और रक्षा क्षेत्र में उसकी निर्भरता बढ़े।
- पहले रूसी तेल खरीद पर अमेरिका ने भारत को चेतावनी दी थी, लेकिन भारत पीछे नहीं हटा।
- अब अमेरिका के एफ-35 को लेकर भी भारत ने वही रुख अपनाया।
- इसके बजाय भारत ने फ्रांस के साथ साझेदारी कर अमेरिका की रणनीति को करारा जवाब दिया।
स्पष्ट है कि अब अमेरिका की धमकियों का भारत पर कोई असर नहीं होता।
वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती ताकत
भारत का यह कदम केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसका प्रभाव कूटनीति और वैश्विक राजनीति पर भी पड़ेगा।
- अमेरिका की नजर में यह एक बड़ा झटका है।
- रूस और फ्रांस के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियां सामरिक संतुलन को बदल सकती हैं।
- इससे भारत को रक्षा उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में मदद मिलेगी।
विशेषज्ञों की राय
रक्षा विश्लेषकों का कहना है
- फ्रांस की इस पहल से भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनेगा।
- फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन के उत्पादन से भारत को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।
- यह प्रोजेक्ट न केवल भारत की सुरक्षा बढ़ाएगा बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी होगा।
सैन्य विशेषज्ञों का विश्लेषण
- वायुसेना को अब भविष्य के युद्धों में एक नई ताकत मिलेगी।
- स्टील्थ तकनीक के कारण दुश्मन रडार इसे पकड़ नहीं पाएंगे।
- इस तरह भारत की सामरिक बढ़त और मजबूत होगी।
भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह किसी दबाव में आकर फैसले नहीं करता। अमेरिका के लगातार दबाव और एफ-35 के प्रलोभन के बावजूद भारत ने अपनी रणनीति पर कायम रहते हुए फ्रांस के साथ ऐतिहासिक करार किया। अब आने वाले वर्षों में भारत न केवल अपना खुद का एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बनाएगा बल्कि उसका फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन भी पूरी तरह देश में ही निर्मित होगा। यह कदम भारत को रक्षा उत्पादन में वैश्विक शक्ति बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।