हाइलाइट्स
- महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के खिलाफ ट्रंप सरकार का बड़ा कदम, अमेरिकी वीज़ा देने से इनकार
- USCIS ने खेलों में महिला वर्ग में भाग लेने वाली ट्रांसजेंडर महिलाओं को वीज़ा श्रेणियों से किया बाहर
- नई नीति में “SWS25” मार्किंग से ट्रांसजेंडर आवेदकों की पहचान होगी
- NCAA और USOPC ने किया समर्थन, महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा को बताया मुख्य उद्देश्य
- 2028 ओलंपिक से पहले ट्रंप ने IOC पर दबाव डाला, और सख्त नियमों की मांग
अमेरिकी वीज़ा नीति में बदलाव: ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को झटका
महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए अमेरिका के दरवाज़े अब और कठिन हो गए हैं। डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली अमेरिकी सरकार ने एक बड़ा और विवादास्पद निर्णय लेते हुए ट्रांसजेंडर महिला खिलाड़ियों को वीज़ा देने से मना कर दिया है, विशेषकर उन खिलाड़ियों को जो महिलाओं के खेलों में भाग लेने के लिए वीज़ा आवेदन करते हैं।
US Citizenship and Immigration Services (USCIS) ने अपने आधिकारिक वीज़ा मैन्युअल में संशोधन कर यह स्पष्ट किया है कि अब महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को O-1A, EB-1, EB-2 और NIW जैसी वीज़ा श्रेणियों में शामिल नहीं किया जाएगा।
ट्रंप सरकार की मंशा: जैविक महिलाओं की रक्षा या भेदभाव?
डोनाल्ड ट्रंप ने इस निर्णय को महिलाओं के खेलों की ‘पवित्रता और प्रतिस्पर्धात्मक निष्पक्षता’ बनाए रखने का कदम बताया। उन्होंने कहा कि टाइटल IX कानून का उद्देश्य महिलाओं को विशेष दर्जा देना है, न कि ऐसे महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को जो जैविक रूप से पुरुष थे और अब महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं।
ट्रंप का तर्क है कि जैविक पुरुष, चाहे वे ट्रांसजेंडर महिला ही क्यों न हों, शारीरिक रूप से महिलाओं पर प्राकृतिक लाभ रखते हैं, जिससे महिला वर्ग में असमानता फैलती है।
USCIS की नई प्रक्रिया: कैसे होगी पहचान?
अब USCIS उन वीज़ा आवेदकों की फ़ाइल में “SWS25” कोड डालेगा, जो महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ी हैं। इस कोड से उनकी पहचान की जाएगी और उन्हें ‘नकारात्मक कारक’ के रूप में चिन्हित किया जाएगा।
उदाहरण: अगर कोई ट्रांसजेंडर महिला, जो पहले पुरुष थी, अब अमेरिका में महिला वर्ग की किसी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वीज़ा मांगती है, तो USCIS इस पृष्ठभूमि को आधार बनाकर वीज़ा से इनकार कर सकती है।
NCAA और USOPC ने दिखाई समर्थन की मुहर
नेशनल कॉलेजिएट एथलेटिक्स एसोसिएशन (NCAA) और यूएस ओलंपिक एंड पैरालंपिक कमेटी (USOPC) ने इस नीति का समर्थन किया है। NCAA ने अपने कॉलेज स्पोर्ट्स में बदलाव कर महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को महिला टीमों से बाहर कर दिया है।
USOPC ने अपनी “Athlete Safety Policy” को संशोधित कर Executive Order 14201 के अनुरूप बनाया है, जिसमें साफ लिखा गया है कि केवल जैविक महिला खिलाड़ी ही महिला वर्ग में भाग ले सकती हैं।
वैश्विक स्तर पर असर: ओलंपिक 2028 की पृष्ठभूमि
ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ी महिला खेलों में हिस्सा लेती रहेंगी, तब तक प्रतिस्पर्धा निष्पक्ष नहीं कही जा सकती। उन्होंने IOC (इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी) से मांग की है कि अमेरिका में होने वाले 2028 लॉस एंजेलेस ओलंपिक से पहले वह कड़े नियम लागू करे।
अगर IOC इस मांग को स्वीकार करता है, तो भविष्य में ट्रांसजेंडर एथलीट्स के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अवसर सीमित हो सकते हैं।
आलोचना और समर्थन: दो विपरीत धाराएं
समर्थन करने वालों की दलील:
- महिला वर्ग की प्रतिस्पर्धा की शुद्धता बनाए रखना जरूरी
- जैविक लाभ को समाप्त करना आवश्यक
- महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा और मनोबल को बनाए रखना
विरोध करने वालों की आवाज़:
- ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ भेदभाव
- समानता और समावेशिता के खिलाफ नीति
- मानसिक और सामाजिक प्रताड़ना बढ़ेगी
महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए यह फैसला करियर खत्म कर देने वाला माना जा रहा है। अमेरिका की इस नई नीति से हजारों खिलाड़ियों को वीज़ा नहीं मिलेगा, जिससे न केवल उनकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा रुक जाएगी, बल्कि वे अपने पेशेवर जीवन को जारी भी नहीं रख पाएंगे।
भारत सहित अन्य देशों पर असर
इस अमेरिकी नीति का असर भारत, कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों पर भी पड़ेगा। भारत में भी कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो अमेरिका जाकर O-1A जैसे वीज़ा के जरिए प्रशिक्षण या प्रतिस्पर्धा में भाग लेने की योजना बना रहे थे। अब यह राह कठिन हो गई है।
नीति या पक्षपात?
ट्रंप की नीति को कुछ लोग महिला खिलाड़ियों के पक्ष में एक साहसिक कदम बता रहे हैं, जबकि कई लोग इसे मानवाधिकारों के खिलाफ करार दे रहे हैं। महिला ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के लिए यह फैसला जीवन बदलने वाला है, जो भविष्य में खेल और समाज दोनों पर गहरा प्रभाव डालेगा।