हाइलाइट्स
- Fast Track Court ने सिविल इंजीनियर चंदन राय चौधरी को पत्नी और बेटी की हत्या का दोषी ठहराया
- चलती ट्रेन से धक्का देकर दोनों की दर्दनाक हत्या, घटना साल 2020 की
- आरोपी के अवैध संबंध बने हत्याकांड की मुख्य वजह
- डिजिटल सबूतों ने खोली हत्या की परतें, कॉल डिटेल्स बनीं निर्णायक
- अदालत ने इसे मानवता पर कलंक बताते हुए सुनाई आजीवन कारावास की सजा
Fast Track Court के फैसले से न्याय व्यवस्था को मिला नया आयाम
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में वर्ष 2020 में घटित एक बेहद दर्दनाक घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया था। एक प्रतिष्ठित सिविल इंजीनियर चंदन राय चौधरी ने चलती ट्रेन से अपनी पत्नी पोरवी गांगुली और एक वर्षीय बेटी शालिनी को धक्का देकर निर्ममता से मार डाला। यह मामला अब Fast Track Court द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले के चलते पुनः सुर्खियों में है।
इटावा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस हृदयविदारक हत्या के मामले में अभियुक्त चंदन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट के इस फैसले को समाज में न्याय की पुनः स्थापना के रूप में देखा जा रहा है।
घटना का विवरण: ट्रेन में बैठी मौत
कैसे हुई हत्या?
यह घटना मगध एक्सप्रेस में सफर के दौरान हुई थी, जब चंदन राय चौधरी ने सुनियोजित तरीके से अपनी पत्नी और बच्ची को चलती ट्रेन से फफूंद स्टेशन के पास धक्का दे दिया। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में यह एक हादसा माना गया, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, मामला साजिश की ओर बढ़ता गया।
Fast Track Court के सामने पेश हुए डिजिटल सबूत
कैसे पकड़ा गया आरोपी?
हत्या के बाद चंदन ने सबूत मिटाने की भरपूर कोशिश की। उसने पत्नी का मोबाइल तोड़कर रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया, लेकिन एक बड़ी गलती कर बैठा—मृतका की सिम को खुद के फोन में इस्तेमाल करता रहा। पुलिस ने इस डिजिटल साक्ष्य की जांच की और कॉल डिटेल्स के माध्यम से पूरी साजिश की परतें उधेड़ दीं।
शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि इसी डिजिटल साक्ष्य ने Fast Track Court में निर्णायक भूमिका निभाई। कॉल रिकॉर्ड्स और मोबाइल लोकेशन ने अभियुक्त की साजिश को उजागर कर दिया।
Fast Track Court की तेज़ सुनवाई और सख्त टिप्पणी
12 गवाह और वैज्ञानिक साक्ष्य
पीड़िता के पिता प्रदोष गांगुली ने सबसे पहले इटावा जीआरपी में दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था। जांच के दौरान यह मामला हत्या की धारा में परिवर्तित कर दिया गया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत के समक्ष 12 गवाहों और ठोस वैज्ञानिक साक्ष्यों को प्रस्तुत किया, जिससे Fast Track Court पूरी तरह संतुष्ट हुई।
जज की टिप्पणी
अपर जिला जज (Fast Track) सुनीता शर्मा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि:
“यह केवल एक हत्या नहीं बल्कि मानवता पर एक बदनुमा दाग है। एक अबोध बच्ची की हत्या समाज की आत्मा को झकझोर देती है।”
अवैध संबंध बना हत्या की वजह
पति का विवाहेतर संबंध
जांच में यह सामने आया कि चंदन राय चौधरी के किसी अन्य महिला से अवैध संबंध थे। वह अपनी पत्नी और बेटी को इस रिश्ते में बाधा मानता था। इसी वजह से उसने इस नृशंस हत्या को अंजाम दिया। हत्या से पहले उसने कई बार अलग-अलग जगहों पर पत्नी से झगड़ा किया था।
Fast Track Court का फैसला: अपराधियों के लिए सख्त संदेश
समाज को संदेश
Fast Track Court का यह निर्णय एक मजबूत संदेश है कि कोई भी अपराधी चाहे जितनी भी चतुराई से योजना बनाए, लेकिन कानून की पकड़ से बच नहीं सकता। डिजिटल युग में अब हर गतिविधि के पीछे साक्ष्य मौजूद होते हैं जो अपराध को बेनकाब कर देते हैं।
पीड़ित परिवार को मिला न्याय
पोरवी के माता-पिता और परिजनों ने न्याय मिलने के बाद राहत की सांस ली है। उन्होंने कहा कि उन्हें अब भी अपनी बेटी और नातिन की कमी हमेशा खलेगी, लेकिन Fast Track Court का यह फैसला उनकी आत्मा को थोड़ी शांति देगा।
न्याय की गति और तकनीक की जीत
यह केस भारतीय न्याय प्रणाली और तकनीकी साक्ष्य के महत्व का आदर्श उदाहरण बन गया है। Fast Track Court ने न सिर्फ तेज़ी से फैसला सुनाया, बल्कि यह साबित किया कि न्याय में तकनीक का सही उपयोग किस प्रकार अपराध को उजागर कर सकता है।
Fast Track Court द्वारा दिए गए इस फैसले ने न्याय व्यवस्था में जनता का विश्वास और भी गहरा कर दिया है। इस केस ने यह दिखा दिया कि Fast Track Court जैसी व्यवस्थाएं न्याय को तीव्रता और दृढ़ता से आगे बढ़ा सकती हैं। अब जरूरत है कि देशभर की न्यायपालिका ऐसे मामलों में तत्परता और संवेदनशीलता से काम करे, ताकि पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।