हाइलाइट्स
- धरती का कोर में अरबों टन सोने और रूथेनियम जैसी धातुओं के संकेत मिले
- ज्वालामुखी लावा में धरती की गहराइयों से आए सूक्ष्म रासायनिक निशान पाए गए
- वैज्ञानिकों का कहना है कि मौजूदा तकनीक से कोर तक खनन असंभव
- महासागर द्वीपों की चट्टानों से धरती के कोर की संरचना के सबूत मिले
- यह खोज धरती के अरबों वर्षों के विकास और परतों के अध्ययन में अहम
धरती का कोर: वैज्ञानिकों की बड़ी खोज
जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ गॉटिंगेन के वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत वैज्ञानिक खोज का खुलासा किया है। शोध में यह पाया गया है कि धरती का कोर सोने और रूथेनियम जैसी कीमती धातुओं से भरा हुआ है। वैज्ञानिकों का दावा है कि कोर में लगभग 30 अरब टन सोना मौजूद हो सकता है, जिसकी कीमत लगभग 2.77 ट्रिलियन यूरो आंकी गई है। हालांकि, सतह तक यह धातु बेहद सूक्ष्म मात्रा में ही पहुंचती है।
इस शोध ने भूविज्ञान के क्षेत्र में नई उम्मीदें और उत्सुकता जगा दी हैं। लंबे समय से वैज्ञानिक धरती की गहराइयों के रहस्यों को समझने की कोशिश कर रहे थे, और अब इस शोध से पहली बार धरती का कोर और सतह के बीच एक जुड़ाव के सबूत सामने आए हैं।
ज्वालामुखियों से मिला धरती का कोर का सबूत
वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन हवाई के किलाउआ (Kīlauea) और लोईही (Lo’ihi) ज्वालामुखियों से निकले लावा के नमूनों पर किया। इन नमूनों में पाए गए आइसोटोप्स ने यह संकेत दिया कि ये तत्व धरती की सतह से नहीं बल्कि गहराइयों से आए हैं। विशेष रूप से रूथेनियम (Ruthenium) धातु के 100Ru आइसोटोप का ऊंचा स्तर इस बात का सबूत है कि धरती का कोर का कुछ अंश सतह तक पहुंचता है।
पहले यह माना जाता था कि कोर पूरी तरह पृथ्वी की अन्य परतों से अलग-थलग है। लेकिन इस अध्ययन ने साबित किया कि यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है। यह खोज धरती के आंतरिक ढांचे और अरबों वर्षों की भूगर्भीय प्रक्रियाओं को समझने में अहम मानी जा रही है।
धरती का कोर और अरबों टन सोने का खजाना
शोध के अनुसार, धरती का कोर में लगभग 30 अरब टन सोना मौजूद हो सकता है। यह खजाना इंसानों के लिए सपने जैसा है, लेकिन फिलहाल इसे हासिल करना असंभव है। सह-लेखक मैथियास विलबॉल्ड के मुताबिक, “हम यहां सोने के बड़े टुकड़ों की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि सूक्ष्म रासायनिक संकेतों की बात कर रहे हैं। यह खोज धरती के विकास को समझने का एक अभूतपूर्व तरीका है।”
भूगर्भीय इतिहास के अनुसार, जब धरती का निर्माण हो रहा था, तब भारी धातुएं जैसे सोना और रूथेनियम कोर में जमा हो गईं। यह खोज हमें न केवल धरती की उत्पत्ति बल्कि उसके रासायनिक विकास की भी कहानी सुनाती है।
खनन क्यों है असंभव?
हालांकि धरती का कोर में सोने का विशाल भंडार मौजूद है, वैज्ञानिक मानते हैं कि इसे हासिल करना मौजूदा तकनीक से असंभव है। धरती का कोर लगभग 3,000 किलोमीटर गहराई पर स्थित है, जहां तक पहुंचना वर्तमान विज्ञान की पहुंच से बाहर है। वहां का तापमान और दबाव इतना अधिक है कि इंसानों के लिए यह एक अकल्पनीय चुनौती है।
इसके बावजूद यह खोज इंसान को अपने ग्रह के बारे में नई समझ देती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में तकनीक के विकास के साथ यह अध्ययन हमें और गहराई तक ले जा सकता है।
महासागर द्वीपों की चट्टानों से खुला रहस्य
वैज्ञानिकों ने महासागर द्वीपों से निकली बेसाल्ट चट्टानों का अध्ययन कर यह खोज की। ये चट्टानें धरती के भीतर से उठने वाले गर्म मैटल प्लूम से बनती हैं। इनमें मौजूद रूथेनियम धातु धरती के गहरे कोर का प्रतिनिधित्व करती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि धरती का कोर का 0.3% से भी कम हिस्सा सतह तक पहुंच पाता है। हालांकि यह मात्रा बेहद कम है, लेकिन यह इस बात का प्रमाण है कि कोर और सतह के बीच एक रासायनिक कड़ी मौजूद है।
धरती का कोर के अध्ययन का महत्व
इस खोज का महत्व केवल सोने के खजाने तक सीमित नहीं है। यह अध्ययन धरती के निर्माण, भूगर्भीय प्रक्रियाओं और परतों के बीच के संबंध को समझने के लिए बेहद अहम है। यह हमें यह भी बताता है कि धरती का विकास कैसे हुआ और इसके भीतर अरबों वर्षों से कौन-सी प्राकृतिक प्रक्रियाएं चल रही हैं।
वैज्ञानिक मानते हैं कि यह खोज न केवल भूविज्ञान बल्कि खगोल विज्ञान में भी नए रास्ते खोलेगी। अन्य ग्रहों की संरचना को समझने के लिए भी यह शोध एक मजबूत आधार बन सकता है।
जर्मनी के वैज्ञानिकों की यह खोज मानव सभ्यता के ज्ञान का विस्तार करने वाली है। धरती का कोर अब तक रहस्यों से भरा हुआ था, लेकिन यह अध्ययन हमें उसकी झलक दिखाता है। हालांकि सोने का खनन फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन यह अध्ययन धरती के इतिहास और भविष्य को समझने का एक अनोखा अवसर है।