हाइलाइट्स
- भारत में भूकंप — अगर भारत में भूकंप 8.8 तीव्रता का आता है, तो लाखों जानें जा सकती हैं और शहर मलबे में तब्दील हो सकते हैं।
- रूस और जापान के बाद अब भारत के सामने भी खड़ा है गंभीर सवाल: क्या हम इतने बड़े भूकंप के लिए तैयार हैं?
- NDMA की रिपोर्ट: हिमालयी क्षेत्र में बड़ी भूगर्भीय हलचल की आशंका, 8 लाख लोगों की जान खतरे में।
- भारत के 6 राज्य और अंडमान-निकोबार सबसे ज्यादा संवेदनशील ज़ोन-V में आते हैं।
- दिल्ली-NCR समेत 10 बड़े शहरों को भारी तबाही झेलनी पड़ सकती है।
अगर भारत में आया 8.8 तीव्रता का भूकंप, तो क्या बचेगा कुछ?
रूस में हाल ही में आए 8.8 तीव्रता के भूकंप ने वहां की ज़मीन हिला दी। ऊँची-ऊँची इमारतें धराशायी हो गईं, पहाड़ खिसककर समुद्र में समा गए और सुनामी ने हालात को और भयावह बना दिया। यह सब देखकर भारत के नागरिकों के मन में एक डर बैठ गया — अगर ऐसा ही भूकंप भारत में आता तो क्या होता? क्या भारत इसके लिए तैयार है?
इस लेख में हम विशेषज्ञों की राय, सरकारी रिपोर्टों और भौगोलिक तथ्यों के आधार पर विश्लेषण करेंगे कि अगर भारत में भूकंप इसी तीव्रता का आया, तो क्या कहर टूट सकता है।
भारत में भूकंप संभावित क्षेत्र और खतरे की जद में आने वाले राज्य
भारत को भूकंपीय दृष्टि से चार ज़ोन में बांटा गया है — Zone-II से लेकर Zone-V तक। इनमें Zone-V सबसे खतरनाक माना जाता है।
Zone-V (सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र)
- पूर्वोत्तर भारत (अरुणाचल, मणिपुर, नागालैंड आदि)
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का हिस्सा
- उत्तर बिहार
- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश
- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह
- गुजरात का कच्छ क्षेत्र
Zone-IV (उच्च खतरे वाला क्षेत्र)
- दिल्ली-NCR
- सिक्किम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग
- पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ हिस्से
- महाराष्ट्र और राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र
Zone-III (मध्यम खतरा क्षेत्र)
- केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा
- झारखंड, आंध्र प्रदेश
- पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक
Zone-II (कम खतरे वाला क्षेत्र)
- बाकी का भारत जैसे हरियाणा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना
भारत में भूकंप की संभावना पर विशेषज्ञों की राय
पूर्व NDMA उपाध्यक्ष एम. शशिधर रेड्डी का कहना है:
“अगर हिमालयी बेल्ट में भारत में भूकंप 8.8 तीव्रता का आता है, तो करीब 8 लाख लोग मारे जा सकते हैं। यह कोई डराने की बात नहीं बल्कि चेतावनी है।”
उनके अनुसार 1950 के बाद इस बेल्ट में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया, पर भूगर्भीय दबाव खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है।
इतिहास गवाह है, भारत पहले भी भुगत चुका है बड़ी तबाही
वर्ष | स्थान | तीव्रता | हानि |
---|---|---|---|
1897 | शिलांग | 8.1 | हजारों मौतें |
1905 | कांगड़ा | 8.0 | 20,000+ मौतें |
1934 | बिहार-नेपाल | 8.3 | 10,000+ मौतें |
1950 | असम | 8.6 | बड़े इलाके प्रभावित |
इन ऐतिहासिक घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि अगर फिर से भारत में भूकंप इस तीव्रता का आया, तो हालात कहीं ज्यादा भयावह हो सकते हैं।
अगर 8.8 तीव्रता का भूकंप अब आया तो कैसी तबाही होगी?
हिमालयी क्षेत्र में:
- भूस्खलन और जमीन खिसकना आम हो जाएगा।
- गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों पर बने छोटे डैम टूट सकते हैं।
- देहरादून, शिलांग, गुवाहाटी और इटानगर जैसे शहर पूरी तरह नष्ट हो सकते हैं।
दिल्ली-NCR में:
- मेट्रो रेल प्रणाली और फ्लाईओवर धराशायी हो सकते हैं।
- कई रिहायशी कॉलोनियों की इमारतें गिर सकती हैं।
- पानी, बिजली और मोबाइल नेटवर्क ठप पड़ जाएगा।
तटीय क्षेत्रों में:
- चेन्नई, मुंबई, कोलकाता और अंडमान में सुनामी की आशंका।
- समुद्री व्यापार ठप, बंदरगाह ध्वस्त और हजारों लोगों का विस्थापन।
क्या भारत तैयार है ऐसी आपदा से निपटने के लिए?
मौजूदा स्थिति:
- NDMA और राज्य आपदा प्रबंधन विभागों की योजनाएं हैं, लेकिन ज़मीन पर कार्यान्वयन कमजोर है।
- भूकंप-रोधी निर्माण तकनीक का पालन नहीं हो रहा।
- स्कूल, अस्पताल और सरकारी भवन असुरक्षित हैं।
ज़रूरत क्या है?
- री-असेसमेंट ऑफ रिस्क जोन्स: पुराने मैप अपडेट होने चाहिए।
- भूकंप सिमुलेशन ड्रिल्स हर महीने अनिवार्य हों।
- भूकंप रोधी भवन निर्माण कोड को सख्ती से लागू किया जाए।
- जनजागरूकता अभियान स्कूलों और ऑफिसों में चलाए जाएं।
डर नहीं, तैयारी की ज़रूरत है
रूस और जापान के अनुभव यह दिखाते हैं कि जब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है, तो इंसानी तकनीक भी कम पड़ जाती है। भारत में भूकंप जैसी आपदा कोई कल्पना नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से संभावित सच्चाई है। हम इसे टाल नहीं सकते, पर तैयारी करके इसके प्रभाव को कम जरूर कर सकते हैं।