हाइलाइट्स
- सोते रहे डॉक्टर – सुनील की मौत का कारण बना डॉक्टरों की नींद में डूबे रहना
- घायल युवक सुनील अस्पताल की इमरजेंसी में घंटों तड़पता रहा, कोई इलाज शुरू नहीं हुआ
- LLRM मेडिकल कॉलेज की लापरवाही ने उठा दिए मेडिकल व्यवस्था पर सवाल
- प्रशासन ने दो जूनियर डॉक्टरों को किया सस्पेंड, जांच के आदेश जारी
- पीड़ित परिजनों का आरोप: अगर समय पर इलाज होता, तो बच सकता था सुनील
मेरठ के नामी अस्पताल में शर्मनाक लापरवाही
मेरठ: उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े और चर्चित सरकारी अस्पतालों में शुमार LLRM मेडिकल कॉलेज, जहां हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं, उसी अस्पताल में एक युवक की दर्दनाक मौत ने चिकित्सा प्रणाली पर करारा सवाल उठा दिया है। एक युवक, सुनील, जिसे सड़क हादसे में गंभीर चोटें आई थीं, आधी रात को अस्पताल पहुंचा, लेकिन अफसोस, इमरजेंसी वार्ड में मौजूद डॉक्टर सोते रहे और वह जिंदगी की जंग हार गया।
रात 1 बजे पहुंचे थे अस्पताल, इलाज शुरू होने में लगी दो घंटे की देरी
परिजनों के अनुसार, सुनील एक सड़क हादसे में घायल हुआ था। उसे आसपास के लोगों ने तत्परता दिखाते हुए मेरठ के LLRM मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी यूनिट में भर्ती कराया। लेकिन यहां पहुंचने पर जो हुआ, वह किसी डरावने सपने से कम नहीं था।
अस्पताल में मौजूद स्टाफ से बार-बार गुहार लगाई गई, लेकिन डॉक्टर सोते रहे। कोई इलाज शुरू नहीं किया गया। मरीज को स्ट्रेचर पर ही लिटा दिया गया और वह वहां तड़पता रहा।
सोते रहे डॉक्टर: अस्पताल की व्यवस्था सवालों के घेरे में
परिजनों का आरोप है कि इमरजेंसी वार्ड में दो जूनियर डॉक्टर तैनात थे, लेकिन जब उन्हें जगाने की कोशिश की गई तो वे बदतमीजी पर उतर आए। नर्सिंग स्टाफ ने भी मदद करने से इंकार कर दिया।
यह कोई एक दिन की लापरवाही नहीं है। सोते रहे डॉक्टर का यह मामला मेरठ में सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था का परिचायक बन गया है।
दर्दनाक तस्वीर: सुनील की मां की चीख से कांप गया अस्पताल
सुनील की मां और बहन उसे रोते-बिलखते अस्पताल लेकर पहुंचीं। लेकिन जब उन्होंने देखा कि अस्पताल के डॉक्टर सोते रहे और उनका बेटा तड़पते हुए दम तोड़ गया, तो उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। आसपास मौजूद अन्य मरीजों के तीमारदारों ने भी स्टाफ पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया।
सोते रहे डॉक्टर मर गया सुनील!#मेरठ में पश्चिमी यूपी के सबसे बड़े मेडिकल सेंटर LLRM मेडिकल कॉलेज में हादसे में घायल सुनील तड़प तड़प कर मर गया और डॉक्टर सोते रहे
आधी रात को इमरजेंसी में पहुंच सुनील को इलाज नसीब नहीं हुआ. अब मेडिकल प्रशासन ने दो जूनियर डॉक्टर सस्पेंड किए हैं pic.twitter.com/NCTv6y6JBE
— Narendra Pratap (@hindipatrakar) July 28, 2025
प्रशासन का जवाब: दो डॉक्टर सस्पेंड, जांच के आदेश
घटना के सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन मामले की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं कर सका। LLRM मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रविकांत ने कहा, “यह घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। दो जूनियर डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया गया है और मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है।”
प्राचार्य के अनुसार, यदि जांच में अन्य कर्मचारियों की भी लापरवाही सामने आती है तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जनता में आक्रोश, CM से जांच की मांग
घटना के बाद पूरे मेरठ में सोते रहे डॉक्टर ट्रेंड करने लगा। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने स्वास्थ्य मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। आम जनता का सवाल है कि अगर यही लापरवाही किसी VIP मरीज के साथ होती, तो क्या तब भी डॉक्टर सोते रहते?
एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “सरकारी अस्पतालों में इलाज की उम्मीद लेकर लोग आते हैं, लेकिन वहां लापरवाही और अनदेखी मौत का कारण बन रही है। सोते रहे डॉक्टर, जागी लाशें – ये हालात किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक हैं।”
क्या यह पहली बार है?
LLRM मेडिकल कॉलेज में इससे पहले भी कई बार लापरवाही के मामले सामने आए हैं। कभी ऑपरेशन के दौरान बिजली चली जाती है, तो कभी मरीजों को वार्ड में भर्ती करने से मना कर दिया जाता है।
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि सिर्फ डॉक्टरों को सस्पेंड कर देने से बात नहीं बनेगी, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार और जवाबदेही तय करना बेहद जरूरी है।
कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है
वकीलों के अनुसार, इस प्रकार की लापरवाही IPC की धारा 304A (गैर-इरादतन हत्या) के अंतर्गत आती है और दोषियों को सजा हो सकती है। परिजन चाहें तो कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
अब क्या होना चाहिए?
- स्वास्थ्य मंत्रालय को LLRM मेडिकल कॉलेज में ऑडिट कराना चाहिए
- इमरजेंसी विभाग में सीसीटीवी निगरानी और बायोमेट्रिक अटेंडेंस लागू हो
- रात के समय डॉक्टरों की निगरानी टीम तैनात की जाए
- मरीजों के लिए फीडबैक और शिकायत पोर्टल सक्रिय किया जाए
सोते रहे डॉक्टर, मर गया सुनील – यह कोई समाचार की पंक्ति नहीं, बल्कि भारत की सरकारी चिकित्सा व्यवस्था पर एक तमाचा है। अगर अब भी हम नहीं जागे, तो न जाने कितने और सुनील ऐसी ही लापरवाहियों की बलि चढ़ जाएंगे। अब वक्त आ गया है कि मात्र निलंबन नहीं, व्यवस्था में सुधार हो।