हाइलाइट्स
- वकील की भी नहीं मानी – बेटे की कोर्ट मैरिज से नाराज पिता ने बीच सड़क पर मचाया हंगामा
- वीडियो में वकील समझाने की कोशिश करता है, लेकिन पिता ने फाड़ दिए स्टाम्प पेपर
- बेटे को सरेआम पीटा, दुल्हन सहमी खड़ी रही
- सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, लाखों बार देखा गया
- कुछ यूजर्स ने इसे प्रैंक बताया, तो कुछ ने बताया पारिवारिक अपमान
पिता की नाराजगी का गुस्सा बेटे पर टूटा – वकील की भी नहीं मानी
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक दिल दहला देने वाला वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक पिता अपनी मर्जी से कोर्ट मैरिज कर लौटे बेटे को बीच सड़क पर पीटता नजर आ रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि वकील की भी नहीं मानी गई। वकील बार-बार बीच-बचाव करने की कोशिश करता रहा, लेकिन पिता ने उसकी एक न सुनी और अपने गुस्से का सारा ज़हर बेटे पर निकाल दिया।
इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि जब बेटा अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ कोर्ट से लौट रहा होता है, तभी उसके पिता गाड़ी से उतरकर उसे रोकते हैं और शादी के कागज़ात छीनकर उन्हें फाड़ देते हैं। स्टाम्प पेपर फाड़े जाने के बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो जाती है।
वकील की मौजूदगी में हुआ यह शर्मनाक दृश्य
बेटे को सड़क पर घसीटा, दुल्हन खड़ी रही सहमी
वीडियो में देखा गया कि जब वकील ने बीच-बचाव की कोशिश की, तब भी वकील की भी नहीं मानी गई। पिता ने यह तक कह दिया कि “अब कानून मेरे घर के रिश्ते नहीं बनाएगा।” इसके बाद उन्होंने डंडा उठाया और अपने ही बेटे की पिटाई शुरू कर दी। दुल्हन एक कोने में खड़ी सबकुछ देखती रही, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वह कुछ बोल सके।
वकील बार-बार समझाता रहा कि यह विवाह कानूनन मान्य है और कोई भी इसे अमान्य घोषित नहीं कर सकता, लेकिन पिता के सामने उसकी कोई नहीं चली।
सोशल मीडिया पर मचा बवाल – यूजर्स बोले, ‘यह प्रैंक है या पारिवारिक हिंसा?’
इस वायरल वीडियो को @MrTiwaria नामक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से पोस्ट किया गया है। वीडियो को अब तक लाखों लोग देख चुके हैं और हजारों ने कमेंट भी किए हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह महज एक स्क्रिप्टेड प्रैंक है, जिसमें वकील की भी नहीं मानी दिखाने का प्रयास मात्र किया गया है।
वहीं कुछ यूजर्स ने इसे गंभीर पारिवारिक मुद्दा बताया है। उनके मुताबिक यदि यह वीडियो असली है तो यह भारत में पितृसत्ता और पारिवारिक दबाव की भयावह तस्वीर है।
सामाजिक दृष्टिकोण: क्या अपनी पसंद से शादी करना अपराध है?
भारत में आज भी कई युवा अपनी पसंद से शादी करने पर अपने परिवारों का कोपभाजन बनते हैं। जब कोर्ट मैरिज जैसे कानूनी माध्यम से विवाह किया जाता है, तब भी कुछ परिवार इसे अपमान की दृष्टि से देखते हैं।
इस केस में वकील की भी नहीं मानी गई, जो यह दर्शाता है कि कुछ लोग आज भी कानून से ऊपर खुद को मानते हैं।
पारिवारिक सम्मान, जातिगत बंधन और सामाजिक दिखावे के चलते अक्सर युवाओं को उनकी इच्छा के विरुद्ध विवाह करने के लिए मजबूर किया जाता है।
माता के भी सपने है,अरमान है सम्मान है खवाहिश है
आजकल के युवा Love marriage कर पिता के दिल को आहत करते है,इन्होनें सही किया या गलत अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे⚘❤
pic.twitter.com/xWlTCdiLjY— Azad-Sangathan (@azada19801) August 4, 2025
कानून क्या कहता है?
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत दो बालिग व्यक्ति बिना परिवार की अनुमति के भी विवाह कर सकते हैं। कोर्ट मैरिज पूरी तरह से वैधानिक होती है और उसमें वकील व न्यायालय की भूमिका स्पष्ट होती है।
लेकिन जब वकील की भी नहीं मानी जाती, तो यह कानून के प्रति अवमानना का संकेत होता है। अगर यह वीडियो वास्तविक है, तो यह मामला गैर-जमानती धाराओं के तहत दर्ज हो सकता है।
मानसिक आघात: नई दुल्हन की चुप्पी भी कह रही बहुत कुछ
वीडियो में नवविवाहिता का भावुक और डरा हुआ चेहरा बहुत कुछ कहता है। एक ओर उसने विवाह करके एक नए जीवन की शुरुआत की, वहीं दूसरी ओर उसे ससुराल में पहले दिन ही हिंसा का सामना करना पड़ा।
वकील की भी नहीं मानी जाने की स्थिति में यह भी सवाल उठता है कि क्या महिला सुरक्षा कानूनों की समाज में कोई अहमियत बची है?
यह वीडियो प्रैंक है या असली – पुलिस को करना चाहिए जांच
हालांकि कई सोशल मीडिया यूजर्स इसे एक स्क्रिप्टेड वीडियो और यूट्यूब प्रैंक करार दे रहे हैं, लेकिन यदि यह असली है, तो इसमें कानूनन कार्रवाई आवश्यक है।
प्रैंक के नाम पर घरेलू हिंसा, सार्वजनिक अपमान और कानूनी दस्तावेजों को फाड़ने जैसी घटनाओं को सामान्य मान लेना एक खतरनाक ट्रेंड है।
अगर वकील की भी नहीं मानी जाने लगे, तो न्याय व्यवस्था की नींव कमजोर पड़ सकती है।
परिवार, कानून और सामाजिक जिम्मेदारी
इस वीडियो ने एक बार फिर समाज को दो हिस्सों में बांट दिया है – एक ओर वह युवा जो अपने अधिकारों के लिए खड़े हो रहे हैं, और दूसरी ओर वे परिवार जो पुरानी परंपराओं में जकड़े हुए हैं।
वकील की भी नहीं मानी जाना केवल एक घटना नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि समाज को अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है – कानून को समझना, रिश्तों को मान देना और एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना।
यह मामला चाहे प्रैंक हो या वास्तविक, इससे उत्पन्न बहस आवश्यक है और इसके जरिए समाज को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।