हाइलाइट्स
- Dehradun Crime: डोईवाला में माइनिंग प्लांट के भीतर फांसी पर लटकी मिली 13 वर्षीय बालिका की लाश।
- पुलिस ने की आत्महत्या की आशंका की पुष्टि, लेकिन हिन्दू संगठनों ने जताई दुष्कर्म और हत्या की साजिश।
- थाने के बाहर सैकड़ों लोगों ने दिया धरना, पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल।
- परिजनों ने FIR दर्ज कराने में देरी और सुबूत मिटाने के आरोप लगाए।
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिया SIT जांच का आश्वासन, पूरे प्रदेश में बढ़ा Dehradun Crime को लेकर आक्रोश।
घटना का विवरण: माइनिंग प्लांट में फांसी पर झूलती मिली मासूम की लाश
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून (Dehradun Crime) में डोईवाला क्षेत्र उस समय दहशत और आक्रोश से भर गया जब एक 13 वर्षीय बच्ची की लाश संदिग्ध परिस्थितियों में माइनिंग प्लांट के भीतर फांसी के फंदे पर लटकी मिली। यह घटना सोमवार दोपहर की है, जब स्थानीय मजदूरों ने प्लांट के एक कमरे में बच्ची की लाश को लटकते हुए देखा और तत्काल पुलिस को सूचित किया।
पुलिस का रुख: आत्महत्या की थ्योरी पर टिका है पूरा मामला
डोईवाला थाने की पुलिस ने प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या का मामला बताया है। Dehradun Crime की इस घटना में पुलिस का कहना है कि घटनास्थल पर दरवाजा अंदर से बंद था और किसी बाहरी के प्रवेश के कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं।
एसएचओ डोईवाला ने बयान दिया, “मृतका के गले पर रस्सी के निशान हैं, लेकिन शरीर पर अन्य चोट के निशान नहीं हैं। फॉरेंसिक टीम ने सैंपल इकट्ठा कर लिए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है।”
हिन्दू संगठनों का विरोध: दुष्कर्म और हत्या की साजिश का आरोप
वहीं दूसरी ओर, Dehradun Crime के इस मामले में हिन्दू संगठनों ने पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं। हिंदू जागरण मंच, बजरंग दल और अन्य स्थानीय संगठनों ने डोईवाला थाने के बाहर धरना दिया और आरोप लगाया कि बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ है और फिर उसकी हत्या कर शव को आत्महत्या का रूप देने के लिए फांसी पर लटकाया गया।
बजरंग दल के जिला संयोजक अजय चौहान ने कहा, “पुलिस प्रशासन पहले दिन से ही इसे सुसाइड केस बताने में जुटा है, जबकि बच्ची के कपड़े अस्त-व्यस्त थे और शरीर पर नीले निशान भी देखे गए। यह एक क्लासिक केस है जहां Dehradun Crime को दबाने की कोशिश हो रही है।”
परिवार का दर्द: FIR में देरी और कार्रवाई में ढिलाई
मृतका के परिजनों का आरोप है कि घटना की सूचना देने के घंटों बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। परिवार की मां ने बताया कि बच्ची सुबह से लापता थी और उन्होंने खुद खोजबीन शुरू की थी। दोपहर तक जब बच्ची नहीं मिली तो थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई गई।
शाम करीब 4 बजे जब माइनिंग प्लांट में उसकी लाश मिली, तब जाकर पुलिस हरकत में आई। परिजनों ने कहा कि यदि पुलिस ने समय पर कार्रवाई की होती तो शायद बच्ची को बचाया जा सकता था।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: मुख्यमंत्री ने SIT जांच का दिया भरोसा
घटना की जानकारी फैलते ही Dehradun Crime पूरे राज्य में गूंजने लगा। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने ट्वीट किया, “13 साल की बच्ची के साथ जो हुआ वह मानवता को शर्मसार करता है। SIT जांच की मांग की जाती है।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देर रात एक बयान जारी कर कहा, “इस हृदयविदारक घटना की जांच के लिए SIT गठित की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। Dehradun Crime के ऐसे मामलों में सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य करेगी।”
स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश
घटना के बाद डोईवाला में तनाव का माहौल बना हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इलाका पहले शांत माना जाता था लेकिन अब Dehradun Crime के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। महिलाएं और लड़कियां बाहर निकलने से डरने लगी हैं।
एक स्थानीय निवासी रेखा बिष्ट ने कहा, “हम अपनी बच्चियों को स्कूल भेजते वक्त भी अब डरते हैं। ये माइनिंग प्लांट कौन चला रहा है, वहां बच्ची कैसे पहुंची, इन सभी सवालों के जवाब चाहिए।”
फॉरेंसिक और मेडिकल एंगल: क्या कहती है रिपोर्ट?
पुलिस के अनुसार, फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से कपड़े, रस्सी, जमीन के सैंपल, और बालिका के नाखूनों के नीचे से सैंपल लिए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण ‘फांसी से दम घुटना’ बताया गया है, लेकिन शरीर पर दो स्थानों पर खरोंच के निशान पाए गए हैं, जिससे मामला संदिग्ध बना हुआ है।
अगर रेप की पुष्टि होती है, तो Dehradun Crime के इतिहास में यह एक और शर्मनाक अध्याय जुड़ जाएगा।
Dehradun Crime की पुरानी घटनाएं: क्या एक पैटर्न बन रहा है?
यह पहली बार नहीं है जब Dehradun Crime को लेकर इस तरह का मामला सामने आया हो। पिछले साल क्लेमेंट टाउन में एक किशोरी के साथ गैंगरेप और हत्या की वारदात हुई थी, जिसमें भी पुलिस पर सबूत छुपाने का आरोप लगा था।
इस बार फिर वही सवाल खड़े हो रहे हैं – क्या पुलिस इन मामलों को निष्पक्षता से जांच कर रही है या फिर दबाव में आकर सच्चाई को छुपाया जा रहा है?
क्या मिलेगा न्याय?
13 वर्षीय बच्ची की मौत से पूरा उत्तराखंड हिल गया है। जनता अब इस बात की उम्मीद कर रही है कि सरकार और पुलिस मिलकर निष्पक्ष और तेज़ जांच करें, ताकि दोषियों को सजा मिले और Dehradun Crime का यह मामला न्याय तक पहुंचे।
अब देखना होगा कि SIT जांच से कौन से तथ्य सामने आते हैं और क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा या यह भी एक और फाइल बनकर सरकारी रजिस्टर में दब जाएगा।