हाइलाइट्स
- Dedication की मिसाल बने केरल के शिक्षक अब्दुल मलिक, जो 20 वर्षों से नदी तैरकर स्कूल पहुँचते हैं
- स्कूल तीन तरफ से पानी से घिरा, कोई पुल या सड़क नहीं, फिर भी नहीं रुका समर्पण
- सिर पर बैग, कपड़े-पुस्तकें प्लास्टिक में और टायर का सहारा लेकर नदी पार करते हैं अब्दुल
- एक भी दिन की छुट्टी नहीं, न कभी देर से पहुँचे स्कूल – बच्चों को शिक्षा देना ही है मकसद
- अब्दुल मलिक की यह प्रेरक कहानी सोशल मीडिया पर वायरल, लोग कह रहे हैं – “यह है असली हीरो”
एक समर्पित शिक्षक की असाधारण यात्रा
दुनिया में लाखों शिक्षक हर दिन बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल जाते हैं, लेकिन Dedication की जिस मिसाल को केरल के मलप्पुरम ज़िले के शिक्षक अब्दुल मलिक ने पेश किया है, वह शायद ही कहीं और देखने को मिले। पिछले 20 सालों से अब्दुल मलिक हर दिन नदी तैरकर अपने स्कूल पहुँचते हैं। यह न तो किसी फ़िल्म की स्क्रिप्ट है और न ही कोई काल्पनिक कहानी, बल्कि हकीकत है उस जुनून की, जो शिक्षा को मिशन मानता है।
स्कूल तीन ओर से पानी से घिरा, फिर भी नहीं टूटा हौसला
मलप्पुरम का नज़ारा
केरल के मलप्पुरम ज़िले में स्थित अब्दुल मलिक का स्कूल ऐसी जगह है, जो तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है। मानसून के दौरान यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है, जब नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और धार तेज हो जाती है। लेकिन फिर भी, Dedication से भरे अब्दुल मलिक कभी भी रुके नहीं।
टायर ही है सहारा
नदी पार करने के लिए वह एक रबर के पुराने टायर का इस्तेमाल करते हैं, जिस पर वह अपने बैग को रखते हैं और खुद तैरते हुए स्कूल पहुँचते हैं। वह अपने कपड़े और किताबें प्लास्टिक बैग में रखते हैं, जिससे पानी से बचाव हो सके। स्कूल पहुँचने के बाद वह सूखे कपड़े पहनकर बच्चों को पढ़ाना शुरू करते हैं।
एक भी दिन की छुट्टी नहीं ली
अनुशासन की मिसाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अब्दुल मलिक ने पिछले 20 सालों में एक भी दिन की छुट्टी नहीं ली और न ही कभी स्कूल पहुँचने में देर की। यह किसी अलार्म घड़ी का कमाल नहीं, बल्कि उनके अंदर बसी Dedication की भावना का परिणाम है।
“बच्चे इंतज़ार करते हैं”
अब्दुल मलिक कहते हैं, “अगर मैं एक दिन भी स्कूल नहीं जाऊं, तो बच्चे मायूस हो जाते हैं। उन्हें यह भरोसा है कि मैं हर हाल में पहुँचूंगा।” यही भरोसा, यही रिश्ता उन्हें हर दिन नदी पार करने के लिए प्रेरित करता है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
केरल के शिक्षक अब्दुल मलिक 20 साल से लेकर आज तक नदी तैरकर बच्चों को पढ़ाने जाते रहे हैं।
दरअसल अब्दुल जिस स्कूल में पढ़ाने जाते हैं वो स्कूल तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है
अब्दुल हर रोज़ सिर पर बैग रखकर एक रबड़ टायर के सहारे तैरकर बच्चों को पढाने स्कूल जाते हैं.
वह अपने कपड़े… pic.twitter.com/GauRuwijEJ
— Kavish Aziz (@azizkavish) July 14, 2025
लाखों लोगों ने की तारीफ
हाल ही में अब्दुल मलिक का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह नदी तैरकर स्कूल जाते नज़र आ रहे हैं। इस वीडियो को देखकर सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें ‘असली हीरो’ बताया। कई लोगों ने तो सरकार से उन्हें पुरस्कार देने की भी मांग की है।
शिक्षा मंत्रालय का भी ध्यान गया
अब यह कहानी केंद्र और राज्य सरकार तक पहुँच चुकी है। शिक्षा मंत्रालय ने भी उनकी Dedication को सराहते हुए कहा है कि “देश को ऐसे शिक्षकों की ज़रूरत है, जो शिक्षा को सेवा मानते हैं।”
स्थानीय लोग भी मानते हैं मिसाल
गांववालों की राय
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि “हमने कभी अब्दुल मलिक को देर से आते नहीं देखा। वे सबसे पहले स्कूल में होते हैं। उनका जीवन बच्चों की शिक्षा के लिए समर्पित है।”
बच्चों के अभिभावकों का समर्थन
अभिभावक भी उनके प्रयासों की सराहना करते हैं। एक बच्चे की माँ बताती हैं, “हमारे बच्चों को इतना अच्छा शिक्षक मिला है, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है।”
क्या यह ‘Dedication’ आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा?
एक बड़ा सवाल
भारत में शिक्षकों की संख्या लाखों में है, लेकिन उनमें से कितने शिक्षक अब्दुल मलिक जैसी Dedication दिखाते हैं? यह सवाल हर शिक्षक, हर छात्र और हर नागरिक को सोचने पर मजबूर करता है।
प्रेरणा की मूर्ति
अब्दुल मलिक केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा की मूर्ति हैं। उनका जीवन यह बताता है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते हैं—even अगर वो रास्ता नदी से होकर क्यों न जाए।
सरकार को करना चाहिए सम्मानित
राष्ट्र स्तर पर हो सम्मान
अब्दुल मलिक को केवल वायरल होने से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। उनकी Dedication को देशभर में मान्यता दी जानी चाहिए। उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिलना चाहिए ताकि देश के अन्य शिक्षक भी प्रेरित हो सकें।
अब्दुल मलिक—एक नाम, एक प्रेरणा
अब्दुल मलिक का जीवन यह साबित करता है कि जब इंसान का मकसद नेक हो और उसके अंदर Dedication की सच्ची भावना हो, तो कोई बाधा उसे रोक नहीं सकती। नदी हो, बारिश हो, या गर्मी—कुछ भी उनकी राह में आड़े नहीं आता। वह न केवल एक आदर्श शिक्षक हैं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।