राजस्थान में साइबर ठगी का सबसे बड़ा राज़, आरोपी के खाते से निकले 19 करोड़ और पुलिस भी रह गई हैरान

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हाइलाइट्स

  • राजस्थान में साइबर ठगी गैंग का बड़ा खुलासा, आरोपी के खाते में 19 करोड़ से अधिक रकम बरामद
  • अलवर पुलिस ने वैशाली नगर इलाके से मुख्य आरोपी को दबोचा
  • आरोपी के कमरे से कई चेक बुक, एटीएम कार्ड, आधार-पैन कार्ड और स्वैप मशीनें जब्त
  • गैंग कमीशन के आधार पर ठगी के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराता था
  • पुलिस अब आरोपी के अन्य साथियों की तलाश में जुटी

राजस्थान में साइबर ठगी गैंग का खुलासा

राजस्थान में साइबर ठगी गैंग का बड़ा खुलासा हुआ है। अलवर जिले की वैशाली नगर थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिसके बैंक खाते से 19 करोड़ 45 लाख रुपए से अधिक की ठगी की रकम बरामद हुई है। यह कार्रवाई पुलिस मुख्यालय (PHQ) की ओर से संदिग्ध बैंक खातों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत हुई।

थानाधिकारी गुरु दत्त सैनी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी को थाने लाकर पूछताछ की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपी अपने साथियों के साथ मिलकर लंबे समय से ठगी का धंधा चला रहा था।

आरोपी के बैंक खाते से 19 करोड़ की ठगी उजागर

अलवर पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने जानकारी दी कि संदिग्ध बैंक खातों की जांच के दौरान आरोपी का खाता सामने आया। इस खाते पर साइबर फ्रॉड की करीब 21 शिकायतें दर्ज थीं। जब खाते की डिटेल खंगाली गई तो उसमें 19 करोड़ 45 लाख रुपए की रकम पाई गई।

पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी की लोकेशन ट्रेस की और वैशाली नगर क्षेत्र से उसे दबोच लिया। आरोपी ने पूछताछ में कबूल किया कि वह अपने गिरोह के साथ कमीशन पर ठगी के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराता था।

आरोपी के कमरे से मिला साइबर ठगी का जखीरा

बरामद सामान

आरोपी के किराए के कमरे की तलाशी के दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में साइबर ठगी गैंग से जुड़ा सामान जब्त किया। इसमें शामिल हैं:

  • 17 चेक बुक
  • 5 पासबुक
  • 14 एटीएम कार्ड
  • बड़ी संख्या में आधार और पैन कार्ड
  • दो स्वैप मशीन
  • निजी बैंकों के कोड स्कैनर

इसके अलावा, पुलिस को कई ऐसे दस्तावेज भी मिले जिनका इस्तेमाल ठगी के लिए किया जा रहा था।

साइबर ठगी गैंग का काम करने का तरीका

खातों का उपयोग

जांच में सामने आया कि साइबर ठगी गैंग के सदस्य अलग-अलग नाम और पते से बैंक खाते खुलवाते थे। बाद में ये खाते साइबर ठगों को कमीशन पर उपलब्ध कराए जाते थे।

जब ठगी से कमाया हुआ पैसा इन खातों में आता, तो आरोपी और उसके साथी अपना कमीशन काटकर बाकी रकम ठगों तक पहुंचा देते। इस तरह का नेटवर्क न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि अंतरराज्यीय स्तर पर भी सक्रिय था।

गिरोह में शामिल अन्य आरोपी

गिरफ्तार आरोपी ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह हरि सिंह मीणा, जाहुल खान और मुकेश मीणा जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर यह काम करता था। ये सभी लोग मिलकर साइबर ठगी गैंग के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराते और ठगों के पैसे को इधर-उधर भेजते।

पुलिस अब इन अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।

साइबर अपराध पर पुलिस का अभियान

राज्य पुलिस मुख्यालय की ओर से संदिग्ध बैंक खातों की निगरानी का अभियान लगातार चल रहा है। इस अभियान का उद्देश्य ऐसे खातों की पहचान करना है जो साइबर ठगी गैंग से जुड़े हैं।

पुलिस का मानना है कि इस तरह के गैंग तकनीकी खामियों और आम जनता की लापरवाही का फायदा उठाकर ठगी करते हैं। ऐसे मामलों में बैंक खातों की समय पर जांच और सख्त कार्रवाई बेहद जरूरी है।

साइबर अपराध से बचने के उपाय

जागरूकता ही बचाव

विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर ठगी गैंग से बचने के लिए सबसे बड़ा हथियार जागरूकता है।

  • किसी अनजान कॉल या लिंक पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
  • बैंक से जुड़े किसी भी संदिग्ध संदेश पर तुरंत संबंधित बैंक से संपर्क करें।
  • संदिग्ध खातों और लेनदेन की जानकारी तुरंत साइबर क्राइम सेल को दें।
  • ऑनलाइन लेनदेन के समय टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करें।

अलवर में हुआ यह खुलासा एक बार फिर बताता है कि साइबर ठगी गैंग किस तरह तेजी से अपने नेटवर्क को फैला रहे हैं। हालांकि पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल की है, लेकिन इस तरह के मामलों से निपटने के लिए जनता को भी सतर्क रहना होगा।

राजस्थान पुलिस की यह कार्रवाई न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि साइबर अपराध अब किसी भी स्तर पर फैल सकता है। जरूरत है कि तकनीकी सतर्कता और जन-जागरूकता के जरिए ऐसे गैंग को खत्म किया जाए।

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