हिंदू से चाचा रहमान बनने की रहस्यभरी दास्तान: आगरा में धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़, गांव से लापता युवक निकला मास्टरमाइंड

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हाइलाइट्स

  • Conversion Racket का जाल तोड़ते हुए ATS‑पुलिस ने सरगना अब्दुल रहमान सहित 12 आरोपियों को दबोचा
  • मोड्यूल छह राज्यों में फैला; सैकड़ों लोगों का जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप
  • अदालत ने अब्दुल रहमान को 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा; विदेशी फंडिंग व आतंकी लिंक की होगी पड़ताल
  • सोशल मीडिया के ज़रिए हिंदू लड़कियों को निशाना, कट्टरपंथी कंटेंट से ब्रेनवॉश, ‘Conversion Racket’ में साज़िश दर्ज
  • गृह विभाग ने उच्च‑स्तरीय SIT गठित कर 30 दिन में रिपोर्ट मांगी; राज्य‑भर में ‘Conversion Racket’ नेटवर्क की खोजबीन तेज

आगरा में बड़े ‘Conversion Racket’ का पर्दाफाश

उत्तर प्रदेश पुलिस और एटीएस ने सोमवार तड़के राजधानी दिल्‍ली से जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया, वह कोई साधारण अपराधी नहीं बल्कि पूरे ‘Conversion Racket’ का कथित मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान उर्फ महेंद्र पाल जादौन है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक यह ‘Conversion Racket’ पिछले पाँच वर्षों से न केवल आगरा, फ़िरोज़ाबाद और मथुरा बल्कि राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली तथा कश्मीर तक फैला था। पूछताछ में खुलासा हुआ कि नेटवर्क ने अब तक Conversion Racket के तहत कम‑से‑कम 300 लोगों का धर्मांतरण कर डाला।

ऑपरेशन का खाका: कैसे खुलीं परतें

बीती 17 जुलाई को आगरा के एक व्यवसायी ने अपनी दो बेटियों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला कि दोनों को कथित तौर पर ‘Conversion Racket’ से जुड़ी कश्मीरी लड़कियाँ बरगला रही थीं। पूरा रैकेट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस्लामिक कट्टरपंथी सामग्री से प्रभावित युवतियों को जोड़कर काम कर रहा था। एटीएस ने जब डिजिटल ट्रेल खंगाली, तो ‘Conversion Racket’ का पूरा नेटवर्क सामने आया।

दिल्ली में गिरफ्तारी और 10 दिन की रिमांड

अभियान के दौरान पुलिस टीम ने दिल्ली‑मुस्‍तफ़ाबाद इलाके में छापा मारकर अब्दुल रहमान को धर दबोचा। अदालत ने मुख्य आरोपी को Conversion Racket के मामले में 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया, ताकि उससे विदेशी फंडिंग, राजनैतिक और अंतर्राष्ट्रीय आतंकी कनेक्शन की तह तक पहुँचा जा सके।

सरगना अब्दुल रहमान उर्फ महेंद्र: बदलती पहचानें

कभी फ़िरोज़ाबाद के रजावली गाँव का महेंद्र पाल ‘पप्पू’ 1990 में ईसाई बन गया और कुछ वर्ष बाद इस्लाम कबूल कर अब्दुल रहमान हो गया। आज वही व्यक्ति Conversion Racket का ‘चाचा रहमान’ कहलाता है। पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि उसने परिवार‑समेत धर्म बदला और यूट्यूब‑पॉडकास्ट के माध्यम से हिंदू प्रतीकों को ‘बुतपरस्ती’ बताकर नफरत फैलाने वाली सामग्री साझा की। गिरोह को वह स्वयं ट्रेनिंग देता था कि कैसे ‘Conversion Racket’ के निशाने पर रहने वाली हिंदू लड़कियों से दोस्ती कर उनका ब्रेनवॉश किया जाए।

‘Conversion Racket’ के आर्थिक स्रोत

पुलिस को शक है कि Conversion Racket को कश्मीर‑केंद्रित कट्टरपंथी संगठनों से वित्तीय मदद मिल रही थी। दिल्ली स्थित फ्लैट से बरामद आठ लैपटॉप, चार मोबाइल, एवं हवाला के 12 लाख रुपये के दस्तावेज इस दिशा में इशारा करते हैं। जांच एजेंसियाँ अब बैंक स्‍टेटमेंट, क्रिप्टो लेन‑देन और संदिग्ध NGO फंडिंग के रिकॉर्ड खंगाल रही हैं।

डिजिटल प्रचार और टार्गेटिंग रणनीति

‘कैंपेन‑बेस्‍ड’ Conversion Racket वॉट्सऐप, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर ‘बुतपरस्ती छोड़ो’ जैसे हैशटैग चलाकर युवाओं को निशाना बनाता था। गिरोह के सदस्य पहले बहस में ‘धर्मशास्त्रीय तर्क’ रखते, फिर मुफ्त रोजगार, विवाह या विदेश पढ़ाई का लालच देकर धर्म परिवर्तन की पेशकश करते थे।

सोशल मीडिया पर ‘Conversion Racket’ का नेटवर्क

विशेषज्ञों का मानना है कि Conversion Racket तकनीकी रूप से उन्नत चैट‑बॉट्स का इस्तेमाल करके लोगों की धार्मिक पृष्ठभूमि और मनोविज्ञान का डेटा एकत्र करता था। AI‑आधारित टूल्स से तैयार कस्टम वीडियो भेजे जाते, जिनमें ‘इस्लाम अपनाओ—जीवन सँवारो’ जैसे sloganeering visuals होते थे। साइबर सेल अधिकारी मानते हैं कि यह भारत में किसी ‘Conversion Racket’ द्वारा पहली बार इतने बड़े पैमाने पर किया गया तकनीकी प्रयोग है।

कानूनी कार्रवाई और राजनैतिक प्रतिक्रिया

प्रदेश सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम, 2021’ के तहत Conversion Racket पर मुकदमे दर्ज किए हैं। गृह विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से भी विस्तृत जानकारी मांगी जा रही है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार इसे सांप्रदायिक रंग देकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है, जबकि सत्तारूढ़ दल का कहना है कि Conversion Racket राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा हमला है।

अदालत में सुनवाई: सबूतों की कसौटी

अगले हफ्ते विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल होने की संभावना है। यदि Conversion Racket के विदेशी फंडिंग और आतंकी कनेक्शन के सबूत पुख्ता मिले, तो गैर‑जमानती धाराएँ और UAPA मुकदमा जोड़ा जा सकता है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि मामला मिसाल बन सकता है, क्योंकि पहली बार कोई ‘Conversion Racket’ टेक‑ड्रिवन धर्मांतरण मॉडल के साथ पकड़ा गया है।

विश्लेषण: क्यों पनपता है ‘Conversion Racket’?

समाजशास्त्रियों के अनुसार, आर्थिक असमानता, शिक्षा‑अभाव और डिजिटल अशिक्षा ऐसे ‘Conversion Racket’ को पनपने देती है। जब तक हाशिए पर खड़े समुदायों को न्यायसंगत अवसर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और धर्मनिरपेक्ष जागरूकता नहीं मिलेगी, Conversion Racket जैसा तंत्र नए‑नए चेहरे अपनाकर लौटता रहेगा।

भविष्य की राह: ठोस कदम और चुनौतियाँ

पुलिस ने आश्वासन दिया है कि 60 दिन के भीतर Conversion Racket का संपूर्ण नेटवर्क तोड़ दिया जाएगा, लेकिन चुनौतियाँ कई हैं—डार्क वेब सर्वर, विदेशी फंडिंग चैनल और कट्टरपंथी विचारधारा। विशेषज्ञ सुझाते हैं कि

  1. धार्मिक स्वतंत्रता और जबरन धर्मांतरण में स्पष्ट कानूनी रेखाएँ खींची जाएँ।
  2. स्कूलों‑कॉलेजों में डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम शामिल हों, ताकि ‘Conversion Racket’ के ऑनलाइन प्रोपेगंडा से बचाव हो सके।
  3. अंतरराज्यीय खुफिया समन्वय को दुरुस्त किया जाए।

भारतीय लोकतंत्र की विविधता को जीवित रखने के लिए यह अनिवार्य है कि Conversion Racket की हर कड़ी टूटे और धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से, पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हो—not through coercion or deceit.

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