हाइलाइट्स
- उत्तरकाशी में बादल फटना: धराली गांव में कुदरत का कहर, मंजर देख कांप उठे लोग
- कई मकान जमींदोज, पुल और सड़कें बह गईं; मलबे में दबे कई लोगों की तलाश जारी
- NDRF और SDRF की टीमें राहत व बचाव कार्य में जुटीं, प्रशासन ने जारी किया हाई अलर्ट
- विशेषज्ञ बोले: जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही है बादल फटने की घटनाएं
- स्थानीय लोगों ने घटना का वीडियो किया वायरल, दृश्य देख सहम उठे लोग
उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला एक बार फिर कुदरत के कहर का गवाह बना है। उत्तरकाशी में बादल फटना अब कोई नई बात नहीं रही, लेकिन इस बार का मंजर इतना भयावह था कि जिसने भी धराली गांव का वीडियो देखा, उसकी रूह कांप गई। 4 अगस्त की रात अचानक बादल फटने से गांव में तेज़ सैलाब आया, जिसने कुछ ही मिनटों में तबाही मचा दी। कई घर जमींदोज हो गए, सड़कें और पुल बह गए, और लोग अपने परिजनों को मलबे से ढूंढते रह गए।
धराली गांव में कुदरत का तांडव
उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में रात करीब 2 बजे बादल फटा। गांव के ऊपरी हिस्से में अचानक तेज़ गर्जना हुई और फिर आया एक प्रलयंकारी सैलाब। ग्रामीणों ने जैसे-तैसे ऊंचे स्थानों पर जाकर जान बचाई। लेकिन कई लोग उस समय घरों में सो रहे थे, जिनके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
ग्रामीणों के मुताबिक, “चारों ओर बस पानी और मलबा ही मलबा था। हमें कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। आवाजें ऐसी थीं जैसे पहाड़ ही टूट कर गिर रहा हो।” उत्तरकाशी में बादल फटना अब एक चेतावनी बन चुका है कि अगर हम नहीं चेते, तो विनाश और निकट है।
पुल बहा, सड़कें टूटीं, घर मलबे में दबे
बादल फटने के बाद धराली गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। गांव को शहर से जोड़ने वाला पुल बह गया है। एनएच 108 मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे राहत सामग्री पहुंचाने में भारी दिक्कतें आ रही हैं।
अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, करीब 13 मकान पूरी तरह से जमींदोज हो चुके हैं, और कई वाहन मलबे में दब गए हैं। SDRF और NDRF की टीमें राहत कार्यों में जुटी हुई हैं लेकिन भारी बारिश के कारण ऑपरेशन में कठिनाई आ रही है।
प्रशासन ने जारी किया रेड अलर्ट
घटना के तुरंत बाद जिला प्रशासन ने उत्तरकाशी में बादल फटना को गंभीर आपदा घोषित करते हुए आसपास के क्षेत्रों में रेड अलर्ट जारी कर दिया है। पास के गांवों को भी खाली कराया गया है, और सुरक्षित स्थानों पर लोगों को पहुंचाया जा रहा है। जिला अधिकारी अभिषेक रूहेला ने बताया, “प्राथमिकता अभी लोगों की जान बचाना और सुरक्षित निकालना है। हमारे पास सीमित संसाधन हैं, लेकिन सभी टीमों को लगाया गया है।”
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
धराली गांव के कुछ स्थानीय लोगों ने पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर डाला है, जो अब तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि कैसे कुछ ही मिनटों में एक शांत गांव तबाही की भेंट चढ़ गया। बहते हुए मकान, चीख-पुकार करते लोग, और मलबे में दबे हुए दृश्य किसी भी व्यक्ति की आंखें नम कर देंगे।
विशेषज्ञों ने जताई चिंता
विज्ञानियों और पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में उत्तरकाशी में बादल फटना जैसी घटनाएं अब आम हो गई हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है – जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित विकास।
भारतीय मौसम विभाग के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. केएन मिश्रा कहते हैं, “बिना सोचे समझे कटाई-छंटाई, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और पहाड़ों में भारी निर्माण कार्यों ने जलवायु संतुलन बिगाड़ दिया है।”
स्थानीय लोगों की पुकार: अब तो जागो सरकार
धराली गांव के निवासी सरकार से नाराज़ नजर आए। उनका कहना है कि हर साल उत्तरकाशी में कोई न कोई आपदा आती है, लेकिन उसके बाद सरकार सिर्फ सर्वे और मुआवजे की बातें करती है। “हर साल मरते हैं लोग, बहते हैं घर, लेकिन स्थायी समाधान कोई नहीं सोचता,” – ये शब्द हैं 58 वर्षीय धर्म सिंह के, जिनका मकान मलबे में पूरी तरह दब चुका है।
केंद्र व राज्य सरकार से राहत की उम्मीद
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर दुख जताया है और केंद्र से तत्काल सहायता मांगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर स्थिति पर नज़र रखने और मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि उत्तरकाशी में बादल फटना जैसी आपदाओं के लिए सरकार एक दीर्घकालिक रणनीति बना रही है।
उत्तरकाशी में बादल फटने से भारी तबाही… ये उत्तराकीश का धराली गांव है… विडियो देख कर ही सिहरन हो रही है… मनुष्य को सोचना होगा… अगर अब भी नहीं रुके तो विनाश निश्चित है. pic.twitter.com/pccNTQwf47
— Shalini Kapoor Tiwari (@ShaliniKTiwari) August 5, 2025
सरकार को चाहिए ठोस नीति
बार-बार होने वाली आपदाओं को केवल प्राकृतिक नहीं कहा जा सकता। यह हमारी योजनाओं की विफलता भी है। उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य में न केवल चेतावनी प्रणाली मजबूत होनी चाहिए, बल्कि निर्माण कार्यों पर नियंत्रण, पर्यावरणीय संतुलन, और स्थानीय समुदाय की भागीदारी भी अनिवार्य है। यदि अभी भी हम नहीं जागे, तो “धरती का स्वर्ग” विनाश के गर्त में समा जाएगा।
उत्तरकाशी में बादल फटना केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है, एक संदेश है कि अगर मनुष्य अब भी नहीं रुका, तो कुदरत उसका अस्तित्व समाप्त करने में देर नहीं लगाएगी। धराली गांव की घटना हमें याद दिलाती है कि विकास जरूरी है, लेकिन जिम्मेदारी से। अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब उत्तरकाशी, केदारनाथ की तरह एक और त्रासदी का प्रतीक बन जाएगा।