चीखती रही 9 साल की मासूम… फिर बुर्के में लपेटकर 50 साल के बूढ़े को सौंप दिया गया उसका बचपन, वायरल वीडियो

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हाइलाइट्स

  • Child Marriage Afghanistan का एक मामला सामने आया जिसमें 9 साल की मासूम बच्ची की शादी 50 साल के पुरुष से कर दी गई।
  • शरीयत कानून के नाम पर महिलाओं और बच्चियों की स्वतंत्रता लगातार छीनी जा रही है।
  • वीडियो वायरल होने के बाद दुनियाभर में आक्रोश, लेकिन अभी भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं।
  • संयुक्त राष्ट्र और AIHRC जैसी संस्थाएं इस कुप्रथा को रोकने की अपील कर रही हैं।
  • जागरूकता की कमी और आर्थिक तंगी ऐसे अपराधों को बढ़ावा दे रही है।

एक दर्दनाक दृश्य, जो रुला देता है

एक छोटी सी बच्ची… शायद तीसरी कक्षा की उम्र की। गुलाबी सलवार-कुर्ता पहने, आंसुओं से भीगी आंखें और कांपती आवाज में वह सिर्फ एक ही बात कह रही थी—”मैं नहीं जाऊंगी। मुझे मत ले जाओ।” लेकिन अफगानिस्तान के एक गांव में इस बच्ची की चीखों की कोई कीमत नहीं थी। वहां उसका बचपन एक Child Marriage Afghanistan का शिकार बन चुका था।

शरीयत की सख्ती, बच्चियों पर भारी

तालिबानी शासन के तहत शरीयत कानून का इस्तेमाल महिलाओं और बच्चियों की स्वतंत्रता छीनने के लिए किया जा रहा है। शिक्षा पर रोक, नौकरी पर पाबंदी और अब Child Marriage Afghanistan जैसे मामलों का बढ़ना यह साबित करता है कि अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए जीना एक अपराध बन चुका है।

आर्थिक तंगी: बाल विवाह की जड़

ज्यादातर मामलों में यह देखा गया है कि गरीब परिवार अपने कर्ज चुकाने या खाने के बदले अपनी बेटियों को बेच देते हैं। ये शादियां न केवल नाबालिगों के जीवन को तबाह करती हैं, बल्कि ये मानसिक, शारीरिक और सामाजिक उत्पीड़न का रूप ले लेती हैं।

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार आयोग (UNICEF) के मुताबिक:

  • अफगानिस्तान में 40% लड़कियों की शादी 15 साल से पहले कर दी जाती है।
  • Child Marriage Afghanistan के हर मामले में एक बच्ची का सपना, उसका भविष्य और उसकी आज़ादी छिन जाती है।

जागरूकता की ज़रूरत क्यों है?

1. बच्चियों के अधिकारों की जानकारी देना

बहुत से लोग यह जानते ही नहीं कि 18 साल से कम उम्र में शादी बाल विवाह है, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत गैरकानूनी है।

2. धार्मिक और सामाजिक भ्रम को तोड़ना

धर्म के नाम पर बच्चियों की जबरन शादी को जायज़ ठहराया जाता है, जबकि इस्लाम में भी ‘निकाह’ के लिए सहमति ज़रूरी है।

3. शिक्षा को प्राथमिकता देना

शिक्षित लड़की अपने अधिकार जानती है और अपना बचाव कर सकती है। शिक्षा ही सबसे बड़ा हथियार है Child Marriage Afghanistan जैसी बुराई के ख़िलाफ़।

सोशल मीडिया की भूमिका

वीडियो के वायरल होते ही #StopChildMarriage और Child Marriage Afghanistan जैसे हैशटैग दुनियाभर में ट्रेंड करने लगे। भारत, अमेरिका, फ्रांस और पाकिस्तान जैसे देशों के लोग भी इस मुद्दे पर एकजुट होते दिखे।

हम क्या कर सकते हैं?

1. ऑनलाइन और ऑफलाइन जागरूकता अभियान

पब्लिक सेमिनार, सोशल मीडिया पोस्ट, डॉक्युमेंट्री फिल्में — ये सब मिलकर समाज में एक चेतना ला सकते हैं।

2. अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना

संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से तालिबान सरकार पर दबाव बनाना आवश्यक है।

3. आश्रय और पुनर्वास केंद्र

ऐसी बच्चियों को समाज में फिर से स्थापित करने के लिए सुरक्षित घर और शिक्षा की सुविधा देना चाहिए।

हम सबकी जिम्मेदारी

Child Marriage Afghanistan का यह मामला केवल अफगानिस्तान की एक बच्ची की कहानी नहीं, यह पूरे समाज का आईना है। अगर आज हम चुप रहे, तो आने वाले वर्षों में न जाने कितनी बच्चियों का बचपन यूं ही बिक जाएगा।

अब समय आ गया है कि हम—आप, सरकारें, संस्थाएं और मीडिया—एकसाथ खड़े हों और इन बच्चियों के लिए आवाज़ उठाएं।

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