हाइलाइट्स
Child Abuse के इस दर्दनाक मामले ने लखनऊ को दहला दिया।
पढ़ाई के बहाने मौसी ने बच्ची को घर का नौकर बना डाला।
डंडे से मारकर की गई हत्या, शव को बीमारी की मौत बताकर सौंपा गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर छह गंभीर चोटें पाई गईं।
पुलिस ने मौसी को गिरफ्तार कर लिया, केस में हत्या की धारा जोड़ी गई।
लखनऊ में ‘Child Abuse’ का वीभत्स मामला: मौसी ने मासूम की पीट-पीटकर ली जान
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में Child Abuse की एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जिसने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला इंदिरानगर के चांदन गांव का है, जहां छह साल की बच्ची आइसा की बेरहमी से हत्या कर दी गई। हत्या का आरोप किसी और पर नहीं, बल्कि उसकी सगी मौसी रूबीना पर है, जिसने उसे सीतापुर से पढ़ाई के नाम पर अपने पास बुलाया और नौकरों की तरह काम करवाने लगी।
सीतापुर से लखनऊ तक: पढ़ाई के नाम पर छल
मृत बच्ची आइसा, सीतापुर जिले के महमूदाबाद तहसील के बिलासपुर गांव की रहने वाली थी। उसके पिता शमशुद्दीन एक मज़दूर हैं। परिवार की आर्थिक हालत कमजोर होने के चलते तीन महीने पहले शमशुद्दीन की साली रूबीना, जो लखनऊ के चांदन गांव में रहती है, आइसा को अपने साथ ले गई। उसने भरोसा दिलाया कि वह बच्ची को कुरान पढ़ाएगी और उसकी परवरिश अच्छे से करेगी। लेकिन कुछ ही समय में यह भरोसा Child Abuse में बदल गया।
28 जून: मौत की खबर और चुप्पी की साजिश
28 जून की सुबह रूबीना ने शमशुद्दीन को फोन कर सूचना दी कि आइसा अब इस दुनिया में नहीं रही। मौत की वजह “बीमारी” बताई गई। पिता जब अपनी पत्नी और अन्य परिजनों के साथ लखनऊ पहुंचे, तो रूबीना ने सीधे तौर पर बच्ची की मौत पर कोई बात नहीं की। न ही किसी मेडिकल रिपोर्ट की जानकारी दी। बस एक गाड़ी बुक कर शव के साथ परिवार को गांव रवाना कर दिया।
अंतिम संस्कार से पहले हुआ बड़ा खुलासा
गांव पहुंचते ही जब परिजन बच्ची के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, उस दौरान जब शव को नहलाया जा रहा था, उन्होंने देखा कि आइसा के सिर, पीठ, हाथ और पैरों पर गंभीर चोटों के निशान हैं। यह देख परिवार को गहरा संदेह हुआ और उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोले Child Abuse के राज़
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पूरे मामले का सच सामने ला दिया। रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची की मौत सिर में आई गंभीर चोट की वजह से हुई थी। साथ ही शरीर के विभिन्न हिस्सों में छह गहरी चोटों के निशान मिले। यह साफ संकेत थे कि आइसा को बेरहमी से मारा गया है, जिससे Child Abuse की पुष्टि हुई।
पुलिस ने किया रूबीना को गिरफ्तार, उगले कई राज
इंदिरानगर पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करते हुए शुक्रवार रात को रूबीना को पिकनिक स्पॉट गेट के पास से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि रूबीना ने बच्ची से घरेलू काम करवाना शुरू कर दिया था। जरा सी गलती पर उसे डंडे से पीटा जाता था। पुलिस ने वो डंडा भी बरामद कर लिया है, जिससे हत्या की गई।
पढ़ाई की आड़ में नौकरों जैसा व्यवहार
परिजनों का आरोप है कि रूबीना ने आइसा को केवल दिखावे के लिए कुरान पढ़ाने के लिए बुलाया था, असल में वह बच्ची से झाड़ू-पोंछा, बर्तन, खाना बनाने जैसे काम करवाती थी। स्कूल भेजने का कोई प्रयास नहीं किया गया। मामूली भूल पर भी उसे बेरहमी से पीटा जाता था। यह पूरा व्यवहार एक संगठित Child Abuse का उदाहरण बन गया है।
क्या कहती है पुलिस और कानून?
इंदिरानगर थाने के प्रभारी ने बताया कि FIR में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 506 (धमकी देना) और जेजे एक्ट की संबंधित धाराएं लगाई गई हैं। केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजने की तैयारी की जा रही है। पुलिस ने बताया कि बच्ची के कपड़े और अन्य सबूत फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं।
Child Abuse: भारत में कितनी गंभीर है समस्या?
भारत में हर साल लाखों बच्चों के साथ शारीरिक, मानसिक और यौन हिंसा के मामले सामने आते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2023 में ही लगभग 1.4 लाख से अधिक Child Abuse के मामले दर्ज हुए। यह आंकड़े केवल रिपोर्टेड केसों के हैं, जबकि अनगिनत घटनाएं रिपोर्ट तक नहीं पहुंचतीं।
मनोवैज्ञानिकों की चेतावनी और सुझाव
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बचपन में मिले Child Abuse के अनुभव बच्चों के मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास की कमी, अवसाद, सामाजिक भय और आक्रोश की भावना पनपती है। विशेषज्ञों का कहना है कि समाज को ऐसे मामलों में चुप नहीं रहना चाहिए और हर संदिग्ध व्यवहार की सूचना तुरंत पुलिस को देनी चाहिए।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
इस केस ने यह साफ कर दिया है कि Child Abuse केवल परिवार तक सीमित नहीं है, यह भरोसेमंद रिश्तों में भी छिपा हो सकता है। सरकार को चाहिए कि वह घरेलू काम में लगे बच्चों की नियमित निगरानी करे और शिक्षा की अनिवार्यता को सख्ती से लागू करे। साथ ही, लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया को भी अपना योगदान देना चाहिए।
लखनऊ की इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर समाज को चेताया है कि Child Abuse की अनदेखी हमें निर्दोष मासूमों की जान गंवाने तक ले जा सकती है। मौसी जैसी रिश्तेदार पर भरोसा करना एक परिवार के लिए कितना भारी पड़ सकता है, इसका जीवंत उदाहरण है आइसा का केस। जरूरत है संवेदनशील समाज, सतर्क कानून व्यवस्था और जागरूक नागरिकों की — ताकि एक और आइसा की जिंदगी असमय न छिने।