हाइलाइट्स
- chemical castration को लेकर इटली में नया कानून लाने की तैयारी
- बच्चों और महिलाओं के साथ यौन शोषण के मामलों में इटली सरकार की सख्त कार्रवाई
- अपराधियों को chemical castration की सजा देने की सिफारिश
- सरकार ने बनाई विशेष समिति, कानून का ड्राफ्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू
- मानवाधिकार संगठनों और डॉक्टरों ने उठाए कानून पर सवाल
प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की सरकार ने उठाया सख्त कदम, विरोध के बावजूद जारी रहेगा मसौदा निर्माण
इटली की सरकार अब यौन अपराधियों, खासकर बच्चों और महिलाओं से रेप करने वालों के खिलाफ कड़े कानून लाने की दिशा में तेज़ी से काम कर रही है। इन अपराधियों को chemical castration यानी दवा के ज़रिये यौन इच्छाओं को नियंत्रित करने की सज़ा दी जाएगी।
इस प्रस्तावित कानून के तहत अपराधियों को जेल की सजा में छूट मिल सकती है यदि वे chemical castration की प्रक्रिया को स्वेच्छा से स्वीकार करें। हाल के वर्षों में इटली में बच्चों के साथ हुए कई सामूहिक बलात्कारों और दुर्व्यवहार की घटनाओं ने सरकार को कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।
क्या है chemical castration?
दवाओं से नियंत्रित होती है यौन इच्छा
Chemical castration एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें अपराधियों को ऐसी दवाएं दी जाती हैं जो उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन या यौन हार्मोन के स्तर को कम कर देती हैं। इसके कारण व्यक्ति की यौन इच्छा लगभग समाप्त हो जाती है।
यह प्रक्रिया शारीरिक रूप से स्थायी नहीं होती, जैसे कि शल्य चिकित्सा द्वारा किए जाने वाले कास्ट्रेशन में होता है। बल्कि, जैसे ही दवा देना बंद किया जाता है, यौन इच्छा कुछ समय में वापस आ सकती है।
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स्वैच्छिक प्रक्रिया है chemical castration
इस प्रस्ताव में यह भी स्पष्ट किया गया है कि chemical castration पूरी तरह से अपराधी की सहमति पर आधारित होगी। किसी को जबरदस्ती यह सज़ा नहीं दी जा सकती। हालांकि, सहमति देने पर अपराधी को जेल की सजा में राहत मिल सकती है।
बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर गहराया संकट
पिछले दो वर्षों में इटली में बच्चों के साथ यौन शोषण और सामूहिक बलात्कार की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में 37% की वृद्धि दर्ज की गई।
इस स्थिति से निपटने के लिए प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की सरकार ने निर्णायक कदम उठाने का फैसला किया है। ‘लीग पार्टी’ समेत कई दक्षिणपंथी दल इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं।
प्रस्तावित कानून पर सरकार की कार्यवाही
विशेष समिति का गठन
इटली सरकार ने इस प्रस्तावित कानून के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति chemical castration से संबंधित सभी कानूनी, चिकित्सकीय और नैतिक पहलुओं का अध्ययन कर रही है।
संसद में होगा बहस
समिति द्वारा ड्राफ्ट तैयार करने के बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा, जहां इस पर व्यापक बहस होगी। यदि बहुमत से यह पारित हो जाता है तो यह कानून बन जाएगा और लागू किया जाएगा।
आलोचना और विरोध
मानवाधिकार संगठनों की चिंता
Chemical castration कानून को लेकर कई मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने भी अतीत में ऐसे कानूनों पर सवाल उठाए हैं और इसे अमानवीय दंड की श्रेणी में रखा है।
चिकित्सकों की राय
कुछ मनोचिकित्सकों का मानना है कि हर यौन अपराध यौन इच्छा की वजह से नहीं होता, बल्कि गुस्से, अधिकार की भावना, हिंसा और मानसिक असंतुलन की वजह से होता है। ऐसे में केवल chemical castration से समस्या का समाधान नहीं होगा।
सरकार का तर्क: अपराध की पुनरावृत्ति रोकेगा यह कानून
सरकार का मानना है कि chemical castration से यौन अपराधियों के दोबारा अपराध करने की संभावना कम हो जाएगी। इससे समाज में एक सख्त संदेश भी जाएगा कि यौन अपराधों के प्रति सरकार गंभीर है और ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।
अन्य देशों में chemical castration की स्थिति
दक्षिण कोरिया और पोलैंड में पहले से लागू
- South Korea: यहां 2011 में बाल यौन अपराधियों के लिए chemical castration को अनिवार्य किया गया था।
- Poland: 2009 में सरकार ने बलात्कारियों के लिए यह प्रक्रिया वैकल्पिक रूप से लागू की थी।
- USA: कुछ अमेरिकी राज्यों जैसे कैलिफोर्निया में यह कानून मौजूद है, लेकिन सीमित दायरे में लागू होता है।
क्या होगा अगला कदम?
सरकार की समिति कुछ ही हफ्तों में रिपोर्ट सौंपेगी। यदि संसद में प्रस्ताव पारित होता है, तो यह कानून 2025 के अंत तक लागू हो सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इटली किस तरह से यौन अपराधों से निपटने के लिए अपनी न्याय व्यवस्था को और सख्त करता है और क्या यह कदम अन्य देशों के लिए भी मिसाल बनेगा।
Chemical castration कानून को लेकर इटली में राजनीतिक, सामाजिक और नैतिक बहस तेज हो गई है। जहां सरकार इसे समाज में सुरक्षा और अनुशासन का प्रतीक मानती है, वहीं आलोचक इसे मानवाधिकारों के खिलाफ बताते हैं।
यह स्पष्ट है कि इस कानून का भविष्य संसद की बहस और आम जनता की राय पर निर्भर करेगा। लेकिन इतना तय है कि इटली अब यौन अपराधियों के लिए नरमी बरतने के मूड में नहीं है।