खून का तेल बेच रहे हो!’—सस्ते रूसी तेल पर अमेरिका की खुली धमकी, बोला- भारत, चीन और ब्राज़ील को तबाह कर देंगे

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हाइलाइट्स

  •  रोकने पर ज़ोर; सीनेटर ग्राहम बोले—‘अब बख़्शेंगे नहीं’
  • ट्रंप प्रशासन की वापसी पर 100% द्वितीयक टैरिफ लगाने की हुंकार
  • चीन‑भारत‑ब्राज़ील कुल रूसी तेल के 80% खरीदार, युद्ध फंडिंग का आरोप
  • भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा—ऊर्जा सुरक्षा राष्ट्रीय हित का मुद्दा
  • विश्लेषकों ने चेताया—Cheap Russian Oil पर अंकुश से वैश्विक तेल बाज़ार में उथल‑पुथल संभव

पृष्ठभूमि: एक तीखा बयान, कई सवाल

रविवार रात फ़ॉक्स न्यूज़ पर अपने साक्षात्कार में अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने सीधे‑सीधे धमकी दी—“अगर आप लोग Cheap Russian Oil खरीदते रहे तो हम 100% टैरिफ लगा कर आपकी अर्थव्यवस्था तहस‑नहस कर देंगे।”
ग्राहम के मुताबिक चीन, भारत और ब्राज़ील संयुक्त रूप से रूस के कुल कच्चे तेल निर्यात का लगभग 80 % खरीदते हैं, जिससे यूक्रेन युद्ध की आग भड़काए रखने के लिए “खून का पैसा” मिलता है।

ट्रंप फैक्टर: वापसी का चुनावी एजेंडा

ग्राहम ने दावा किया कि पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की संभावित दूसरी पारी में Cheap Russian Oil पर 100 % द्वितीयक टैरिफ प्राथमिक हथियार होगा। उनका कहना था कि “ट्रंप वही खिलाड़ी हैं जो पुतिन पर सीधा ‘हुड़दंग’ मचाने वाले हैं।”

क्या अमेरिकी कांग्रेस साथ देगी?

सीनेट में पहले से ही ‘Sanctioning Russia Act 2025’ लंबित है, जिसमें Cheap Russian Oil पर 500 % तक शुल्क का सुझाव दिया गया है।
विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री डॉ. मैरी ओटलि का अनुमान है कि 100 % टैरिफ भी “आयातकों से ज़्यादा वैश्विक कीमतें बढ़ाएगा,” लेकिन घरेलू राजनीतिक लाभ सुनिश्चित करेगा।

एनेर्जी सुरक्षा बनाम भू‑राजनीति

भारत का रुख

नई दिल्ली ने दो टूक कहा कि Cheap Russian Oil उसकी ऊर्जा‑सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है और “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” नहीं करता। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार भारत ने “यूक्रेन में तत्काल युद्धविराम” की अपील दोहरायी, पर Cheap Russian Oil की खरीद पर कोई वचन नहीं दिया।

चीन का जवाब

बीजिंग ने ग्राहम के बयान को “धमकी और धौंस” बताया। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा—“Cheap Russian Oil हमारा वैध व्यापार है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार की स्थितियां तय करती हैं।”

ब्राज़ील की दुविधा

लूला द सिल्वा सरकार घरेलू ईंधन सब्सिडी कम करने के बाद से Cheap Russian Oil पर ज्यादा निर्भर हो गई है। रियो‑स्थित थिंक‑टैंक आईबीईसी के अनुसार अतिरिक्त अमेरिकी शुल्क से ब्राज़ील में मुद्रास्फीति दो अंक बढ़ सकती है।

संभावित आर्थिक झटके

वैश्विक तेल बाज़ार पर असर

यदि 100 % शुल्क लागू हुआ तो Cheap Russian Oil की लागत आयातकों के लिए तुरंत दोगुनी हो जाएगी। विश्लेषकों का अनुमान है कि इससे ब्रेंट क्रूड 12–15 $ प्रति बैरल तक उछल सकता है और पेट्रोल‑डीज़ल की खुदरा कीमत हर जगह बढ़ेगी।

रूस की रणनीति

मॉस्को पहले ही Cheap Russian Oil को भारी छूट के साथ एशियाई बाज़ारों तक पहुँचाने के लिए “शैडो टैंकर फ़्लीट” बढ़ा चुका है। जानकारों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ से रूस पर तत्काल दबाव तो पड़ेगा, पर वह युआन‑रूपया निपटान और क्रिप्टो भुगतान जैसे रास्ते तलाश सकता है।

कूटनीतिक मोर्चा: दोस्ती की कसौटी

वॉशिंगटन‑नई दिल्ली समीकरण

क्वाड, आई‑टू‑यू‑टू और रक्षा क्षेत्र में साझेदारी के बावजूद Cheap Russian Oil भारत‑अमेरिका सहयोग की सबसे बड़ी दरार बनता दिख रहा है। 2024 में अमेरिकी संसद द्वारा पारित काउंटरिंग अमेरिका’s Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) के दायरे में भारत पहले ही रूस से एस‑400 खरीद पर छूट पा चुका है। नया शुल्क इस छूट को निरर्थक कर सकता है।

ब्रिक्स पर प्रभाव

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पहले ही ‘नई निकासी मुद्रा’ और Cheap Russian Oil पर संयुक्त भुगतान तंत्र जैसे प्रस्ताव चर्चा में थे। ग्राहम की धमकी ब्रिक्स देशों को और करीब या और दूर—दोनों सम्भावनाएँ पैदा करती है।

घरेलू राजनीति: अमेरिका में सख़्त रुख़ क्यों?

चुनावी गणित

अमेरिकी मध्य‑पश्चिमी राज्यों में बढ़ती गैसोलीन कीमतें ट्रंप‑समर्थक ब्लू‑कॉलर वोटरों को रिझाने का बड़ा मुद्दा रही हैं। Cheap Russian Oil पर टैरिफ का नारा, रूस को सबक सिखाने के साथ‑साथ घरेलू तेल उद्योग के लिए भी ‘डबल बोनस’ साबित होगा।

डेमोक्रेट्स की दुविधा

डेमोक्रेटिक सीनेटर क्रिस कून्स ने चेताया कि “द्वितीयक टैरिफ से एशिया‑प्रशांत साझेदार अलग‑थलग पड़ सकते हैं।” मगर रिपब्लिकन नेतृत्व इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर Cheap Russian Oil मुद्दे को प्रमुख चुनावी भाष्य बना चुका है।

विशेषज्ञों की निगाह में आगे का रास्ता

क्या 100 % शुल्क व्यवहारिक है?

ह्यूस्टन‑आधारित ऊर्जा विश्लेषक नारायण अय्यर का कहना है कि Cheap Russian Oil पर पूर्ण शुल्क “शॉर्ट टर्म शॉक” देगा, पर दीर्घकाल में आयातक वैकल्पिक सप्लायर खोज लेंगे।
ब्रिटेन की थिंक‑टैंक चैथम हाउस ने चेतावनी दी कि टैरिफ‑युद्ध से “वैश्विक दक्षिण बनाम पश्चिम” की दरार गहरी होगी, जो जलवायु सहयोग जैसे मुद्दों को पटरी से उतार सकती है।

संभावित राजनयिक समाधान

विश्लेषकों ने सुझाव दिया कि अमेरिका, जी‑7 मूल्य‑सीलिंग को सख़्ती से लागू कर Cheap Russian Oil को 60 $ प्रति बैरल से नीचे रखने पर ज़ोर दे सकता है। इससे आयातकों को विकल्प भी मिलेगा और रूस की आमदनी भी सीमित रहेगी।

धमकी, दांव‑पेच और अनिश्चित भविष्य

लिंडसे ग्राहम की कड़ी चेतावनी ने Cheap Russian Oil की वैश्विक बहस में नई आग भर दी है। चीन, भारत और ब्राज़ील अपने ऊर्जा हितों को त्यागे बिना पश्चिमी प्रतिबंधों से कैसे निपटेंगे, यह अगले कुछ महीनों में स्पष्ट होगा। इतना तय है कि Cheap Russian Oil के इर्द‑गिर्द घूमती यह भू‑राजनीतिक रस्साकशी अभी खत्म होने वाली नहीं—और विश्व अर्थव्यवस्था को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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