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जनगणना की आड़ में जालसाजों का जाल! 2026 की जनगणना से पहले शुरू हुआ फ्रॉड गेम, घर-घर दस्तक देकर लूटी जा रही है पहचान

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हाइलाइट्स

  • Census प्रक्रिया की आड़ में हो रही है धोखाधड़ी, सरकार ने जारी की चेतावनी
  • जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल में 1 अक्टूबर 2026 से Census शुरू
  • शेष भारत में 1 मार्च 2027 से घर-घर जाकर जुटाई जाएगी जनसंख्या संबंधी जानकारी
  • फर्जी अधिकारी बनकर लोग मांग रहे हैं बैंक डिटेल्स और ओटीपी
  • नागरिकों को पहचान पत्र मांगने और संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने की सलाह

 जनगणना 2026: क्या है प्रक्रिया और क्यों है महत्वपूर्ण?

भारत सरकार देश की सामाजिक और आर्थिक नीतियों को मजबूत बनाने के लिए हर दस साल में एक बार Census कराती है। लेकिन कोविड-19 के कारण पिछली जनगणना 2021 में नहीं हो सकी थी। अब सरकार ने घोषणा की है कि अगली जनगणना 2026 में की जाएगी। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल जैसे बर्फबारी वाले राज्यों में यह Census 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी, जबकि देश के बाकी हिस्सों में यह 1 मार्च 2027 से प्रारंभ होगी।

 जनगणना के उद्देश्य

Census का मुख्य उद्देश्य देश में लोगों की संख्या, उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थिति, रोजगार, शिक्षा, भाषा और आवास संबंधी आंकड़ों को इकट्ठा करना है। इससे सरकार को नीतियां बनाने, योजनाएं लागू करने और संसाधनों के वितरण में सहायता मिलती है।

 जनगणना की आड़ में हो रहा है फ्रॉड: कैसे बचें?

जनगणना एक संवेदनशील और जिम्मेदार प्रक्रिया है। सरकार इसके लिए प्रशिक्षित अधिकारियों को नियुक्त करती है, जो विशेष पहचान पत्र के साथ घर-घर जाकर जानकारी लेते हैं। लेकिन हाल के दिनों में Census के नाम पर ठगी के मामले तेजी से बढ़े हैं।

 कैसे देते हैं ठग धोखा?

कुछ लोग खुद को जनगणना अधिकारी बताकर घरों में प्रवेश करते हैं और नागरिकों से बैंक डिटेल्स, आधार नंबर, ओटीपी और यहां तक कि पैसों की भी मांग करते हैं। ये फर्जी लोग पहचान पत्र दिखाने से बचते हैं या नकली ID लेकर आते हैं। इनका उद्देश्य आपकी निजी जानकारी चुराकर आर्थिक अपराध को अंजाम देना होता है।

 सरकार की चेतावनी: ऐसे लोगों से रहें सावधान

गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि:

  • कोई भी वास्तविक Census अधिकारी आपसे बैंक डिटेल्स या ओटीपी नहीं मांगेगा।
  • जनगणना के दौरान पैसे की कोई मांग नहीं की जाती है।
  • अधिकारी के पास एक अधिकृत पहचान पत्र (ID Card) होना जरूरी है।

अगर कोई भी व्यक्ति खुद को Census अधिकारी बताकर संदेहास्पद गतिविधियां कर रहा हो, तो तुरंत 112 या नजदीकी पुलिस थाने में इसकी शिकायत करें।

 जनगणना अधिकारी की पहचान कैसे करें?

 इन बातों का रखें ध्यान:

  • अधिकारी के पास भारत सरकार की ओर से जारी पहचान पत्र होना चाहिए।
  • वे एक टैबलेट या फॉर्म लेकर आते हैं, जिसमें सूचनाएं दर्ज करते हैं।
  • वे केवल जनसंख्या, शिक्षा, रोजगार, भाषा, आवास आदि से संबंधित सामान्य सवाल पूछते हैं, न कि आपकी वित्तीय जानकारी।

 नागरिकों की जिम्मेदारी क्या है?

Census प्रक्रिया तभी सफल हो सकती है जब आम नागरिक जागरूक रहें और सही सूचनाएं दें। लेकिन उतनी ही जरूरी है सतर्कता। जब कोई अधिकारी आपके घर आए:

  • सबसे पहले उसकी पहचान पत्र देखें।
  • उससे सरकारी नियुक्ति का प्रमाण मांगे।
  • जानकारी साझा करने से पहले उसकी विश्वसनीयता सुनिश्चित करें।

यदि कोई व्यक्ति जबरदस्ती निजी जानकारी मांग रहा है, तो उसे तुरंत रोकें और संबंधित अधिकारियों को सूचित करें।

 हाल के धोखाधड़ी के मामलों की झलक

 घटना 1: मुंबई

एक दंपत्ति के पास दो लोग आए और खुद को Census अधिकारी बताया। उन्होंने आधार नंबर और बैंक डिटेल्स मांगी। बाद में पता चला कि उनके खाते से ₹50,000 गायब हो गए थे।

 घटना 2: भोपाल

एक अकेली वृद्ध महिला के घर जाकर एक महिला ने Census के नाम पर घर में प्रवेश किया और कीमती गहने लेकर भाग गई।

 शिकायत कहां करें?

अगर आपको लगे कि कोई Census फ्रॉड कर रहा है, तो तुरंत निम्नलिखित नंबरों पर संपर्क करें:

  •  पुलिस हेल्पलाइन: 112
  • सायबर अपराध शाखा: www.cybercrime.gov.in
  •  निकटतम पुलिस स्टेशन

भारत में होने वाली अगली Census प्रक्रिया न केवल प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि नागरिकों की सहभागिता और सतर्कता भी इसमें उतनी ही जरूरी है। इस प्रक्रिया के दौरान अगर आप जागरूक नहीं रहेंगे, तो ठगी का शिकार हो सकते हैं। इसलिए हर नागरिक को चाहिए कि वह न केवल सही जानकारी दे, बल्कि ठगों से खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित भी रखे।

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