हाइलाइट्स
- ब्रिटिश बीयर पर आयात शुल्क 150% से घटाकर 75% कर दिया गया
- भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते से बीयर और स्कॉच व्हिस्की सस्ती होंगी
- पहले जो बीयर 200 रुपये में मिलती थी, अब 50 रुपये में मिलने की संभावना
- भारत का बीयर मार्केट 2024 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान
- दक्षिण भारत और गोवा में बीयर की खपत सबसे ज्यादा, दिल्ली-चंडीगढ़ भी पीछे नहीं
भारत-यूके समझौते से ब्रिटिश बीयर के दाम में ऐतिहासिक गिरावट
भारत और ब्रिटेन के बीच 6 मई को हुआ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) सिर्फ कागज़ी दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर बीयर प्रेमियों की जेब पर असर डालने वाला फैसला है। इस समझौते के तहत ब्रिटिश बीयर पर लगने वाला आयात शुल्क 150% से घटाकर 75% कर दिया गया है। नतीजतन, जो ब्रिटिश बीयर पहले 200 रुपये में बिक रही थी, वह अब 50 रुपये में भी उपलब्ध हो सकती है।
क्यों बढ़ेगा भारत में ब्रिटिश बीयर का क्रेज
भारत का बीयर मार्केट पहले से ही तेजी से बढ़ रहा है। बदलती जीवनशैली, युवाओं की पसंद और सोशल कल्चर के विस्तार ने बीयर की खपत को नए स्तर पर पहुंचा दिया है। ब्रिटिश बीयर की गुणवत्ता और स्वाद पहले ही भारत के शहरी बाजारों में पसंद किए जा रहे थे, लेकिन कीमत ज्यादा होने की वजह से यह सिर्फ चुनिंदा लोगों तक सीमित थी। अब कीमत घटने के बाद यह बड़े पैमाने पर बिकने की संभावना है।
बीयर खपत के हॉटस्पॉट
भारत में बीयर की सबसे ज्यादा खपत दक्षिणी राज्यों—कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल—में होती है। गोवा, अपने खुले शराब कानून और पर्यटकों के कारण, ब्रिटिश बीयर का भी बड़ा बाजार बन सकता है। उत्तर भारत में दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे शहरों में बीयर, खासकर ब्रिटिश बीयर, की डिमांड लगातार बढ़ रही है।
कौन-सी ब्रिटिश बीयर ब्रांड्स होंगी सस्ती
इस समझौते के बाद भारत में कई नामी ब्रिटिश ब्रांड्स सस्ती हो जाएंगी। इनमें Budweiser, Heineken, Carlsberg जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के ब्रिटेन में बने वर्ज़न के साथ-साथ Bira 91 जैसे लोकल ब्रांड के इंपोर्टेड फ्लेवर्स भी शामिल हो सकते हैं। Kingfisher जैसी भारतीय ब्रांड्स को भी ब्रिटिश बीयर से सीधी प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
स्कॉच व्हिस्की भी होगी किफायती
एफटीए समझौते के तहत सिर्फ ब्रिटिश बीयर ही नहीं, बल्कि स्कॉच व्हिस्की पर भी आयात शुल्क 150% से घटाकर 75% कर दिया गया है। हालांकि, ब्रिटिश वाइन पर कोई रियायत नहीं दी गई है। इस बदलाव से प्रीमियम अल्कोहल कैटेगरी में बड़ी हलचल मचने की उम्मीद है।
बीयर उद्योग पर संभावित असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से भारत का बीयर मार्केट 2024 तक 50,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर सकता है। सस्ती ब्रिटिश बीयर आने से ग्राहक विकल्प बढ़ेंगे और स्थानीय ब्रांड्स को भी अपनी क्वालिटी और मार्केटिंग स्ट्रैटेजी में सुधार करना होगा।
कर राजस्व और व्यापारिक रिश्ते
हालांकि आयात शुल्क घटने से शुरुआती दौर में सरकार के टैक्स राजस्व पर असर पड़ सकता है, लेकिन बढ़ी हुई बिक्री से यह घाटा जल्द ही पूरा हो सकता है। साथ ही, भारत-यूके के व्यापारिक रिश्ते और मजबूत होंगे, जिससे भविष्य में अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ने की संभावना है।
उपभोक्ताओं के लिए सीधा फायदा
जिन लोगों के लिए ब्रिटिश बीयर सिर्फ किसी होटल, पब या इंपोर्टेड स्टोर तक सीमित थी, अब वह आसानी से लोकल स्टोर्स में भी उपलब्ध हो सकती है। साथ ही, कीमत में गिरावट से आम उपभोक्ता भी इसे नियमित रूप से खरीद सकेंगे।
संभावित चुनौतियां
हालांकि, सस्ती ब्रिटिश बीयर के आने से भारतीय बीयर उद्योग को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। छोटे और मध्यम स्तर के स्थानीय ब्रुअरीज को अपने दाम घटाने पड़ सकते हैं या नए फ्लेवर लॉन्च करने होंगे। इसके अलावा, हेल्थ और अल्कोहल खपत को लेकर चल रही बहस भी इस बदलाव को लेकर कुछ विरोध पैदा कर सकती है।
भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता सिर्फ एक व्यापारिक कदम नहीं है, बल्कि यह देश के बीयर मार्केट के लिए एक नए दौर की शुरुआत है। अब जब ब्रिटिश बीयर सस्ती और सुलभ होगी, तो भारतीय उपभोक्ताओं को अंतरराष्ट्रीय स्वाद का अनुभव पहले से कहीं आसान और किफायती तरीके से मिलेगा।