कागज नहीं तो वोट नहीं! BLO की धमकी ने मचाया बवाल, ‘आप नागरिक नहीं रहेंगे’ कहकर उड़ा दिए होश

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हाइलाइट्स

  • Voter List से नाम हटने की धमकी पर BLO के बयान ने मचाया बवाल
  • वीडियो वायरल होते ही प्रशासन में मची खलबली, जांच के आदेश
  • नागरिकता को लेकर लोगों में डर का माहौल, गरीब वर्ग सबसे ज्यादा परेशान
  • वोटर सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया को लेकर कई भ्रांतियां
  • BLO का कहना—”गलतफहमी हुई, मेरा मतलब डराने का नहीं था”

पटना। बिहार के एक गांव में Booth Level Officer (BLO) द्वारा एक सार्वजनिक बैठक में दिए गए बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। वायरल हो रहे वीडियो में BLO कहते हुए दिखाई देती हैं—”अगर आप कागज नहीं दीजिएगा तो वोटर लिस्ट से नाम काट दिया जाएगा। आप भारत के नागरिक नहीं माने जाएंगे।”

इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक में आक्रोश है। खासकर गरीब, मजदूर और असाक्षर वर्ग में भय और भ्रम का माहौल बन गया है। इस पूरे विवाद में Voter List का मुद्दा केंद्र में आ गया है, और यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या सचमुच कागजों की कमी से किसी नागरिक का नाम वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है?

मामला कहां का है?

यह घटना बिहार के कटिहार जिले के एक गांव की बताई जा रही है। वायरल वीडियो में एक महिला BLO ग्रामीणों से कहती हैं—

“आपके पास कागज नहीं होगा तो हम कैसे मानेंगे कि आप यहां के हैं? वोटर लिस्ट से नाम काटा जाएगा।”

वीडियो के सोशल मीडिया पर आते ही हजारों बार शेयर किया गया और लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए—क्या एक BLO को इस तरह से धमकाने का अधिकार है? क्या नागरिकता का प्रमाण सिर्फ कागजों से तय किया जा सकता है?

गरीब और मजलूम वर्ग में भय का माहौल

ग्रामीण इलाकों में ऐसे कई लोग हैं जिनके पास जन्म प्रमाणपत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र या आधार कार्ड जैसे दस्तावेज नहीं हैं। खास तौर पर महिलाएं, बुजुर्ग और घुमंतू जातियां इस संकट से जूझ रही हैं।

इस बयान के बाद कई गांवों में पंचायत स्तर पर हंगामा हुआ। कुछ स्थानों पर लोगों ने तहसील कार्यालय में जाकर सफाई मांगी कि क्या सचमुच उनके नाम Voter List से हटा दिए जाएंगे।

क्या कहता है कानून?

भारत में Representation of the People Act, 1950 के तहत किसी भी नागरिक को चुनावी पहचान से वंचित नहीं किया जा सकता यदि वह भारतीय नागरिक है और तय उम्र (18+) को पूरा करता है। हां, यदि कोई व्यक्ति फर्जी दस्तावेज जमा करता है या दोहरी प्रविष्टि करता है, तो उसे सूची से हटाया जा सकता है।

BLO का कार्य है:

  • मतदाता सूची को अपडेट करना
  • नए मतदाताओं का पंजीकरण करना
  • मृत या स्थानांतरित मतदाताओं का नाम हटाना

लेकिन किसी को धमकाना या भयभीत करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आताVoter List से नाम हटाना एक तय प्रक्रिया के तहत ही किया जा सकता है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

कटिहार के जिला निर्वाचन अधिकारी ने बयान जारी करते हुए कहा:

“हमने वीडियो का संज्ञान लिया है। BLO से जवाब मांगा गया है और जांच समिति गठित कर दी गई है। यदि दोषी पाई जाती हैं तो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।”

इसी बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने भी सभी जिलों को निर्देश जारी किया है कि BLO को संवेदनशील व्यवहार और स्पष्ट संवाद के लिए प्रशिक्षित किया जाए।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

राजद, कांग्रेस और वाम दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उनका आरोप है कि यह सब जानबूझकर गरीबों और अल्पसंख्यकों को डराने की रणनीति है।

भाजपा ने बयान जारी कर कहा कि यह एक व्यक्तिगत गलती थी और सरकार सभी को वोट देने का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

क्या है सच्चाई?

वायरल वीडियो से यह बात तो साफ है कि Voter List से नाम हटाने को लेकर आम जनता में काफी भ्रम है। एक ओर दस्तावेजों की जरूरत को लेकर सही जानकारी नहीं है, दूसरी ओर कुछ अधिकारी अपनी सीमाएं लांघकर लोगों को भयभीत कर रहे हैं।

BLO का कार्य सूचनाएं लेना और देना है, न कि किसी की नागरिकता पर सवाल उठाना। ऐसे मामलों से जनता में लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया के प्रति भरोसा डगमगाने लगता है।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने एक इंटरव्यू में कहा:

“कोई BLO यह तय नहीं कर सकता कि कोई भारतीय नागरिक है या नहीं। अगर किसी के पास दस्तावेज नहीं हैं, तो उनके लिए सहायक प्रमाण और प्रमाणन की प्रक्रिया है। ऐसे बयानों से समाज में अनावश्यक डर फैलता है।”

समाधान क्या हो?

  • BLO को नियमित और संवेदनशीलता से युक्त प्रशिक्षण देना
  • आम लोगों को Voter List प्रक्रिया के बारे में जागरूक करना
  • डिजिटल और मोबाइल माध्यम से आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना
  • स्थानीय निकायों में जनसुनवाई तंत्र को मजबूत करना

वोट देना हर भारतीय नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। Voter List को लेकर गलत जानकारी और प्रशासनिक मनमानी दोनों ही लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं। यह जरूरी है कि नागरिकों को सम्मानपूर्वक और सही जानकारी के साथ शामिल किया जाए, न कि धमकाकर या डराकर।

Voter List से किसी का नाम हटाना एक नियत प्रक्रिया है और उसका पालन ईमानदारी और पारदर्शिता से होना चाहिए।

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