हाइलाइट्स
- BJP MLA की गाड़ी के लिए टूटा नियम, एंबुलेंस को रोका गया
- नो एंट्री के बावजूद बैरिकेडिंग हटाकर विधायक की गाड़ी को पुल पार कराया गया
- शव लेकर जा रही एंबुलेंस को नहीं मिली इजाजत, मजबूरी में बेटे स्ट्रेचर पर शव लेकर पैदल चले
- हमीरपुर में पुल की मरम्मत के चलते ट्रैफिक प्रतिबंध लागू थे
- अफसरों के सामने गिड़गिड़ाने के बावजूद नहीं पिघला प्रशासनिक दिल
यूपी के हमीरपुर से मानवता को शर्मसार करने वाली घटना
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में ऐसी घटना सामने आई है, जिसने VIP कल्चर के खिलाफ पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। जहां BJP MLA की गाड़ी के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं, वहीं एक गरीब नागरिक की संवेदनशीलता और पीड़ा को दरकिनार कर दिया गया।
यह पूरा मामला उस पुल से जुड़ा है, जिसकी मरम्मत चल रही थी और प्रशासन द्वारा नो एंट्री का बोर्ड लगाकर आम नागरिकों के लिए ट्रैफिक बंद कर दिया गया था। लेकिन जब एक BJP MLA की गाड़ी वहां पहुँची, तो अधिकारी फौरन हरकत में आ गए और बैरिकेडिंग हटाकर उन्हें पार जाने दिया। इसी दौरान एक एंबुलेंस जिसमें एक महिला का शव था, वहां पहुँची, लेकिन उसे रोक दिया गया।
क्या था पूरा मामला?
यूपी के हमीरपुर में एक पुल की मरम्मत का काम चल चल रहा था। इस वजह से पुल को बंद कर दिया गया था और नो एंट्री का बोर्ड लगाकर बैरिकेडिंग लगा दी गई थी।
इसी दौरान एक BJP विधायक की गाड़ी वहां आकर रुक गई। धड़ाधड़ बैरिकेडिंग हटाई गई और उनकी गाड़ी को उस पुल से जाने दिया गया, जहां नो… pic.twitter.com/06Rj49Mu7c
— Congress (@INCIndia) June 29, 2025
मरम्मत कार्य के कारण आम लोगों के लिए बंद था पुल
हमीरपुर के घोटिया पुल की मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा था। इस वजह से पुल को पूरी तरह ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया था। अधिकारियों ने ‘नो एंट्री’ का बोर्ड लगा रखा था और बैरिकेडिंग की गई थी, जिससे कोई वाहन उस ओर न जा सके।
लेकिन जब पहुंची BJP MLA की गाड़ी…
करीब दोपहर के समय एक BJP MLA की गाड़ी वहां पहुँची। गाड़ी में विधायक स्वयं मौजूद थे। उन्हें देखकर तैनात कर्मचारियों ने बिना किसी देर के बैरिकेडिंग हटाई और गाड़ी को पुल के उस पार जाने दिया। अधिकारी भी MLA के साथ ‘सलाम ठोंकते’ नज़र आए।
एंबुलेंस को रोका गया, बेटों ने शव को पैदल खींचा
एंबुलेंस में था महिला का शव
इस घटना के कुछ ही मिनट बाद एक एंबुलेंस वहां पहुँची। इसमें एक 65 वर्षीय महिला का शव रखा हुआ था, जिसे अंतिम संस्कार के लिए गाँव ले जाया जा रहा था।
महिला के दोनों बेटे अधिकारियों के सामने हाथ जोड़ते रहे कि उन्हें भी पुल पार करने दिया जाए क्योंकि शव को इतनी दूर तक पैदल ले जाना मुश्किल है।
लेकिन अफसरों ने नहीं दिखाई इंसानियत
अफसरों ने दो टूक जवाब दिया—“यहाँ सिर्फ विशेष आदेश से कोई वाहन जा सकता है।”
लाचार बेटे जब गिड़गिड़ाते रहे, तब भी किसी अफसर या पुलिसकर्मी का दिल नहीं पसीजा। मजबूरन उन्होंने स्ट्रेचर निकाला और अपनी मां के शव को पुल पर पैदल ले जाने लगे। करीब 1 किलोमीटर तक का सफर उन्होंने यूं ही तय किया।
BJP MLA के लिए नियम क्यों टूटते हैं?
BJP MLA को मिली यह ‘विशेष छूट’ सवाल खड़े करती है कि आखिर लोकतंत्र में नियम सभी के लिए समान क्यों नहीं होते? क्या जनप्रतिनिधियों का काम नियमों का पालन करवाना है या खुद तोड़ना?
इस पूरे मामले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि VIP कल्चर अब भी जीवित है और आम नागरिकों के जीवन से ज्यादा मायने रखती है किसी MLA की गाड़ी।
विपक्ष ने साधा निशाना, सोशल मीडिया पर बवाल
विपक्षी दलों का बयान
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस घटना को लेकर BJP पर तीखा हमला बोला है। समाजवादी पार्टी प्रवक्ता ने कहा,
“यह सिर्फ सत्ता का अहंकार नहीं, बल्कि जनता के साथ क्रूरता है। एक शव को भी सम्मान से ले जाने की छूट नहीं, और MLA साहब को VIP ट्रीटमेंट? शर्मनाक!”
सोशल मीडिया पर उठी इंसाफ की मांग
घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। ट्विटर पर #VIPCulture और #BJPMLA ट्रेंड करने लगे। हजारों यूज़र्स ने सवाल पूछा कि क्या गरीब जनता की जिंदगी अब नेताओं के ‘मूड’ पर निर्भर हो गई है?
सरकार की चुप्पी, अधिकारियों की लीपापोती
कोई जवाबदेही नहीं, कोई जांच नहीं
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अभी तक ना तो संबंधित BJP MLA ने माफ़ी मांगी है, और ना ही किसी अधिकारी को निलंबित किया गया है।
प्रशासन की ओर से सिर्फ एक बयान आया कि
“मरम्मत कार्य के दौरान ट्रैफिक प्रतिबंध है, और स्थानीय व्यवस्था के अनुसार निर्णय लिया गया।”
क्या यही स्थानीय व्यवस्था है, जो MLA को पार करा दे और एंबुलेंस को रोक दे?
ये घटना लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी
BJP MLA की गाड़ी को नियम तोड़कर रास्ता देना और एंबुलेंस को रोकना, सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि जब आम नागरिक की गरिमा और मृतकों का सम्मान भी ताक पर रख दिया जाए, तो क्या हम वाकई एक संवेदनशील समाज में जी रहे हैं?
किसे चाहिए जवाब?
इस पूरे मामले में जनता का सबसे बड़ा सवाल यही है —
- क्या BJP MLA की गाड़ी चलने के लिए नियम तोड़ना सही था?
- क्या एक शव को ले जाने वाली एंबुलेंस को रोकना इंसानियत है?
- क्या यही ‘सबका साथ, सबका विकास’ है?
अब वक्त है बदलाव का
जब तक सत्ता के नशे में चूर नेताओं और उनके चमचों को जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा, तब तक आम जनता की पीड़ा यूं ही VIP संस्कृति की बली चढ़ती रहेगी।