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झांसी में दलित मजदूर को तालिबानी सजा: गंजा कर उल्टा लटकाया, फिर पूरे गांव में घुमाया – क्या यही है रामराज्य? वायरल वीडिओ

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हाइलाइट्स 

  • झांसी में दलित मजदूर को BJP government की नाक के नीचे तालिबानी सजा दी गई
  • प्रभुत्वशाली जाति के लोगों ने मजदूरी न करने पर युवक को गंजा कर पूरे गाँव में घुमाया
  • दलित युवक को पेड़ से उल्टा लटकाकर पानी पिलाया गया, वीडियो वायरल
  • पुलिस प्रशासन ने दबाव में दर्ज किया कमजोर मुकदमा, पीड़ित परिवार डरा सहमा
  • PDA नेताओं ने कहा – 2027 में BJP government को जवाब मिलेगा

 झांसी में तालिबानी सजा: मजदूरी से इनकार पर दलित युवक को दी गई बर्बर सजा

झांसी जिले के एक छोटे से गांव में एक ऐसी घटना हुई जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया। दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाला एक युवक जब एक प्रभुत्वशाली जाति के व्यक्ति की मजदूरी करने से इनकार करता है, तो उसे दी जाती है तालिबानी सजा। यह सब हुआ उस राज्य में जहां BJP government दावा करती है कि “सबका साथ, सबका विकास” उसका मूल मंत्र है।

घटना का विवरण: मजदूरी से इनकार बना अपराध

गांव में पनपा जातिवाद, इंसानियत शर्मसार

झांसी जिले के मऊरानीपुर तहसील के अंतर्गत एक गाँव में रहने वाला 27 वर्षीय रमेश (बदला हुआ नाम), जो कि एक दलित समुदाय से आता है, ने गांव के एक लोधी समुदाय के व्यक्ति की मजदूरी करने से मना कर दिया। उसका कहना था कि वह पहले से एक और काम में व्यस्त था और समय नहीं निकाल सकता। इस “ना” को लोधी समुदाय के दबंगों ने अपनी “बेइज्जती” मान लिया।

वीडियो वायरल: गंजा कर पूरे गाँव में घुमाया गया

इसके बाद जो हुआ वो रोंगटे खड़े कर देने वाला था। दबंगों ने रमेश को जबरन उठा लिया, उसका सिर गंजा कर दिया, मुंह काला कर पेड़ से उल्टा लटकाया और जब वह बेहोश होने लगा तो पानी पिलाकर होश में लाया गया। फिर उसे पूरे गांव में नगाड़े के साथ घुमाया गया।

इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया। लोग पूछ रहे हैं कि BJP government की पुलिस क्या सिर्फ शो पीस है?

प्रशासन की भूमिका: सख्ती नहीं, सुलह की कोशिश

FIR दर्ज, लेकिन धाराएं कमजोर

जब यह वीडियो वायरल हुआ तब पुलिस हरकत में आई। लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि FIR में आईपीसी की धारा 323 और 504 जैसी हल्की धाराएं लगाई गईं। कोई SC/ST एक्ट नहीं लगाया गया। यह दिखाता है कि कैसे BJP government के शासन में दलितों के लिए न्याय पाना कठिन होता जा रहा है।

DSP की टिप्पणी: ‘हम जांच कर रहे हैं’

स्थानीय DSP का कहना था, “हम मामले की जांच कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर कड़ी धाराएं जोड़ी जाएंगी।” सवाल यह है कि वीडियो में जब सारा अत्याचार स्पष्ट है तो फिर ‘जरूरत’ का इंतजार क्यों?

राजनीतिक प्रतिक्रिया: PDA ने कहा 2027 में जवाब मिलेगा

PDA के प्रवक्ता बोले – ये तालिबानी शासन है

PDA (Pichda, Dalit, Alpsankhyak) गठबंधन के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि “BJP government के राज में दलितों की जान की कोई कीमत नहीं। ये लोकतंत्र नहीं, तालिबानी शासन है। PDA 2027 में सरकार को जवाब देगा।”

राजनीति में उबाल: विपक्ष ने साधा निशाना

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और भीम आर्मी के नेताओं ने घटना की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि “BJP government के संरक्षण में जातिवादी गुंडों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे अब खुलेआम सज़ा दे रहे हैं। यह घटना लोकतंत्र के गाल पर तमाचा है।”

सामाजिक प्रभाव और सवाल

दलितों का विश्वास डगमगाया

इस घटना ने दलित समुदाय के भीतर गहरे आक्रोश को जन्म दिया है। गांव के ही निवासी कहते हैं, “अब अगर मजदूरी न करें तो सज़ा मिलेगी? क्या हम गुलाम हैं? BJP government के राज में तो इंसान की इज्जत भी जाती है।”

क्या वाकई सुरक्षित हैं कमजोर वर्ग?

ऐसी घटनाएं दर्शाती हैं कि सामाजिक न्याय और समता केवल भाषणों तक सीमित हैं। BJP government को यह तय करना होगा कि वह किस तरफ खड़ी है – संविधान के या जातिवादियों के?

ऐतिहासिक संदर्भ: क्या बदल पाया है भारत?

अंबेडकर का सपना अधूरा

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जिस भारत की कल्पना की थी, जहां सबको समानता मिले, वह सपना आज भी अधूरा है। BJP government भले ही डिजिटल इंडिया और विश्वगुरु बनने के दावे कर रही हो, लेकिन अगर गांव के अंदर दलितों को उल्टा लटकाया जाता है, तो यह विकास नहीं, विनाश है।

 इंसाफ कब मिलेगा?

यह घटना अकेली नहीं है, यह उस सोच का प्रतीक है जो दलितों को अभी भी दोयम दर्जे का नागरिक मानती है। BJP government को यह समझना होगा कि कानून का राज बनाए बिना उसका “सबका विकास” का नारा खोखला है। यदि ऐसी घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो 2027 में जनता अपना निर्णय सुना देगी।

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