हाइलाइट्स
- काशी में कांवड़ियों पर हमला करने का मामला, सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी।
- राजातालाब क्षेत्र में दो कांवड़ियों को दौड़ाकर पीटने का आरोप, धारदार हथियार से हमला।
- आरोप – ‘हर-हर महादेव’ बोलने से रोका गया, ‘अल्लाह हू अकबर’ कहने का दबाव बनाया गया।
- घटना के बाद गुस्साए कांवड़ियों ने चौकी का घेराव कर किया विरोध, सड़क जाम।
- पुलिस ने 6 आरोपियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की।
काशी में कांवड़ियों पर हमला: धार्मिक नारों को लेकर भड़का विवाद, तनाव के हालात
राजातालाब क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल, धार्मिक असहिष्णुता पर उठे सवाल
उत्तर प्रदेश के काशी में उस समय हड़कंप मच गया जब कांवड़ियों पर हमला किए जाने की घटना सामने आई। कांवड़ यात्रा के दौरान दो युवकों को कथित तौर पर एक विशेष समुदाय के लोगों ने निशाना बनाया। घटना वाराणसी के राजातालाब थाना क्षेत्र की है, जहां पर जल भरकर लौट रहे दो कांवड़ियों को दौड़ाकर पीटा गया और उन पर धारदार हथियार से हमला भी किया गया।
क्या है पूरा मामला? कांवड़ियों पर हमला कैसे हुआ?
घटना की शुरुआत हुई अदलपुरा स्थित जंसा शिव मंदिर से, जहां से पलटू राम यादव और शुभम नामक दो कांवड़िए जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर जा रहे थे। रास्ते में कुछ विशेष समुदाय के युवकों ने उनका रास्ता रोका। आरोप है कि इन युवकों ने उन्हें ‘हर-हर महादेव’ का नारा लगाने से रोका और ‘अल्लाह हू अकबर’ बोलने के लिए मजबूर किया।
कांवड़ियों ने जब इसका विरोध किया तो मामला और बिगड़ गया। पीड़ित पलटू राम के मुताबिक, युवकों ने न केवल हिंदू नारे लगाने से रोका बल्कि इस्लाम धर्म कबूल करने का दबाव भी डाला। जब पलटू और शुभम ने इसका प्रतिरोध किया, तो पलटू पर धारदार हथियार से हमला कर दिया गया जबकि शुभम को दौड़ाकर बेरहमी से पीटा गया।
सड़क जाम और चौकी का घेराव: कांवड़ियों में आक्रोश
धार्मिक असहिष्णुता के विरोध में उतरे स्थानीय लोग
घटना की खबर फैलते ही आसपास के गांवों और क्षेत्रों से कांवड़िए व स्थानीय लोग बड़ी संख्या में जुट गए। आक्रोशित भीड़ ने राजातालाब क्षेत्र के राजतिलक चौकी का घेराव किया और मुख्य सड़क को जाम कर दिया। इस विरोध प्रदर्शन के चलते इलाके में यातायात ठप हो गया और तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई।
प्रदर्शनकारियों ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और कड़ी कार्रवाई की मांग की। उनका कहना था कि यह घटना केवल एक कांवड़िए पर हमला नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज की आस्था पर हमला है।
पुलिस की कार्रवाई: FIR दर्ज, जांच शुरू
6 लोगों पर नामजद मुकदमा, कांवड़ियों से दर्ज की गई शिकायत
पुलिस प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की। मौके पर पहुंचकर पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शन कर रहे कांवड़ियों से बातचीत की और शिकायतें दर्ज कीं। पीड़ितों की तहरीर के आधार पर राजातालाब थाना पुलिस ने विशेष समुदाय के 6 युवकों पर मारपीट, धमकी, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
पुलिस का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। फिलहाल चार आरोपी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
प्रशासन की अपील: शांति बनाए रखने की अपील
सामाजिक सौहार्द बनाए रखने का आग्रह
वाराणसी जिला प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि कांवड़ियों पर हमला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और प्रशासन पूरी तरह से सजग है। पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है।
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी समुदाय को धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
क्या कहता है यह घटना?
धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर
काशी जैसी धार्मिक नगरी में इस तरह कांवड़ियों पर हमला न केवल एक आपराधिक कृत्य है, बल्कि यह सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने वाला भी है। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में हर नागरिक को अपने धर्म के अनुसार चलने की स्वतंत्रता है। ऐसे में इस तरह की घटनाएं ना केवल कानून का उल्लंघन हैं बल्कि सामाजिक वैमनस्य भी फैलाती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन को इस घटना को केवल एक मारपीट के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसके पीछे की मानसिकता और सांप्रदायिक प्रेरणाओं की भी जांच करनी चाहिए।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
“हम डर के साए में हैं” – क्षेत्रीय लोगों की चिंता
राजातालाब और आस-पास के गांवों के लोगों में घटना के बाद भय का माहौल है। कुछ लोगों का कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा की व्यवस्था पहले जैसी नहीं रही। इस तरह की घटनाएं धार्मिक यात्राओं को कलंकित करती हैं और लोगों के मन में असुरक्षा का भाव भरती हैं।
काशी में कांवड़ियों पर हमला सिर्फ दो लोगों पर हिंसा नहीं, बल्कि धार्मिक असहिष्णुता की एक गंभीर मिसाल है। यह घटना न केवल धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, बल्कि प्रशासन की जिम्मेदारी और सतर्कता पर भी सवाल खड़े करती है। अब देखना होगा कि पुलिस की जांच कितनी पारदर्शी और सख्त होती है और दोषियों को कितनी शीघ्र सजा मिलती है।