लखनऊ में बड़ा विवाद: अंकित पांडेय का आरोप, कपड़ा व्यापारी ने पत्नी को फंसाकर कराया धर्म परिवर्तन, बेटे का भी खतना किया

Latest News

हाइलाइट्स

  • अंकित पांडेय का आरोप: कपड़ा व्यापारी मंज़ूर हसन ने उनकी पत्नी को फंसाकर धर्म परिवर्तन कराया।
  • 11 साल के बेटे का भी जबरन खतना करने का सनसनीखेज आरोप।
  • पत्नी प्रियंका और मंज़ूर की नज़दीकियों से परिवार टूटा, रिश्तों में दरार आई।
  • पुलिस पर भी संगीन आरोप—अंकित को पीटा गया, जबरन खाली कागज़ों पर साइन कराए गए।
  • मामला अब तूल पकड़ रहा है, पति ने न्याय और कार्रवाई की गुहार लगाई।

धर्म परिवर्तन विवाद: लखनऊ में अंकित पांडेय का गंभीर आरोप

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक बार फिर धर्म परिवर्तन विवाद को लेकर सुर्खियों में है। शहर के ठाकुरगंज क्षेत्र में रहने वाले अंकित पांडेय ने सनसनीखेज आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी प्रियंका को एक कपड़ा व्यापारी मंज़ूर हसन ने अपने जाल में फंसाया और उसे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया। इतना ही नहीं, उनके 11 वर्षीय बेटे का भी जबरन खतना कर दिया गया।

अंकित का दावा है कि जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो पुलिस ने न केवल उनकी एक नहीं सुनी बल्कि उन्हें ही प्रताड़ित किया। अब यह मामला राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर तेजी से तूल पकड़ रहा है और धर्म परिवर्तन विवाद की एक नई मिसाल बन गया है।

पत्नी से मुलाकात और बढ़ती नज़दीकियां

अंकित पांडेय और प्रियंका की शादी वर्ष 2013 में हुई थी। दोनों के वैवाहिक जीवन में सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन कुछ साल पहले प्रियंका की मुलाकात कपड़ा व्यापारी मंज़ूर हसन से हुई। यह मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती और फिर नज़दीकियों में बदल गई।

अंकित का कहना है कि मंज़ूर ने योजनाबद्ध तरीके से उनकी पत्नी को अपने कब्ज़े में किया और उसे धर्म परिवर्तन के लिए प्रभावित किया। इसी वजह से अब पूरा परिवार बिखर चुका है और उनका बेटा भी इस विवाद की चपेट में आ गया है।

बेटे का खतना: आरोप ने बढ़ाई सनसनी

सबसे बड़ा आरोप अंकित ने यह लगाया है कि मंज़ूर हसन ने उनकी पत्नी को धर्म परिवर्तन कराने के साथ-साथ उनके 11 साल के बेटे का भी खतना करवा दिया। यह आरोप सीधे तौर पर धार्मिक और पारिवारिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है, जिससे समाज में गहरी बहस छिड़ गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह का कदम यदि जबरन उठाया गया है, तो यह न केवल गैरकानूनी है बल्कि बच्चे के अधिकारों का भी खुला उल्लंघन है। इस वजह से यह मामला केवल पारिवारिक कलह तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एक बड़ा धर्म परिवर्तन विवाद बन गया है।

पुलिस पर गंभीर आरोप

अंकित पांडेय का आरोप है कि जब उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाही, तो वहां उल्टा उन्हें ही प्रताड़ना झेलनी पड़ी। अंकित का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें पीटा, धमकाया और जबरन खाली कागज़ों पर साइन करा लिए।

उनके अनुसार, पुलिस ने पूरे मामले में मंज़ूर हसन का पक्ष लिया और उन्हें ढालने का प्रयास किया। यही वजह है कि अंकित ने अब उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

धर्म परिवर्तन विवाद पर समाज की प्रतिक्रिया

यह घटना सामने आने के बाद समाज में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक वर्ग इसे व्यक्तिगत विवाद बता रहा है, तो दूसरा वर्ग इसे संगठित धर्म परिवर्तन की साजिश मान रहा है।

धार्मिक संगठनों का कहना है कि ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके। वहीं, मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक दबाव के बीच खींचतान की मिसाल मान रहे हैं।

राजनीतिक रंग लेता विवाद

धर्म परिवर्तन विवाद का मुद्दा अक्सर राजनीति से भी जुड़ जाता है। इस मामले में भी विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच बयानबाज़ी शुरू हो गई है। विपक्ष का कहना है कि सरकार ऐसे मामलों पर चुप क्यों है और पीड़ित परिवार को न्याय क्यों नहीं दिला पा रही।

वहीं, सत्ताधारी दल का कहना है कि अगर आरोप सही साबित हुए, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन यह बयानबाज़ी पीड़ित परिवार के दर्द को कितना कम कर पाएगी, यह देखना अभी बाकी है।

न्याय की गुहार में भटकता परिवार

अंकित पांडेय अब अपने परिवार को वापस पाने और न्याय दिलाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने 11 साल पहले शादी के समय सपनों का जो घर बनाया था, वह अब टूट चुका है।

उन्होंने पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका से एक ही मांग की है—कि उन्हें इंसाफ मिले और उनकी पत्नी व बेटे को इस मजबूरी से बाहर निकाला जाए।

धर्म परिवर्तन विवाद और समाज पर असर

इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या धर्म परिवर्तन व्यक्तिगत अधिकार है या फिर इसके पीछे संगठित तंत्र काम करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जबरन धर्म परिवर्तन से न केवल परिवार टूटते हैं बल्कि समाज में अविश्वास और वैमनस्य भी बढ़ता है।

इसलिए, धर्म परिवर्तन विवाद केवल व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह समाज की जड़ों तक असर डालने वाला मुद्दा है।

लखनऊ का यह मामला न केवल एक परिवार की निजी त्रासदी है, बल्कि यह समाज और कानून दोनों के लिए गंभीर सवाल छोड़ता है। अंकित पांडेय के आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह जांच के बाद सामने आएगा, लेकिन इतना तय है कि इस घटना ने धर्म परिवर्तन विवाद को एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *