हाइलाइट्स
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह को देश का सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री रहने पर बधाई दी और कहा- “यह तो बस शुरुआत है”
- शाह ने 2,258 दिनों का कार्यकाल पूरा कर लालकृष्ण आडवाणी का रिकॉर्ड तोड़ा
- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की छठी वर्षगांठ पर शाह का रिकॉर्ड कार्यकाल जुड़ा
- भाजपा संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने शाह की जमकर तारीफ की
- मोदी के बयान से राजनीतिक गलियारों में शाह को उत्तराधिकारी मानने की चर्चा तेज
राजनीति में संदेश अक्सर शब्दों से अधिक गहरे होते हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह की ऐतिहासिक उपलब्धि पर जो टिप्पणी की, उसने भारतीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी। शाह ने 2,258 दिनों का कार्यकाल पूरा कर लिया, जिससे वह देश के सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री बनने का रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, “यह तो बस शुरुआत है,” और यही वाक्य अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गया है।
अमित शाह का ऐतिहासिक रिकॉर्ड
लालकृष्ण आडवाणी का रिकॉर्ड टूटा
साल 2019 में 30 मई को गृह मंत्री का पद संभालने वाले अमित शाह ने अब तक 2,258 दिनों का कार्यकाल पूरा कर लिया है। इससे पहले यह रिकॉर्ड भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के नाम था, जिनका कार्यकाल 2,256 दिनों का था। शाह का यह रिकॉर्ड ऐसे समय आया है जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की छठी वर्षगांठ भी है। इस ऐतिहासिक निर्णय को गृह मंत्री रहते हुए शाह ने ही संसद में प्रस्तुत किया था।
अनुच्छेद 370 और शाह की पहचान
अमित शाह का नाम अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले से गहराई से जुड़ा है। इस कदम ने न केवल भाजपा की सियासी पहचान को मजबूत किया बल्कि शाह को एक सख्त और निर्णायक गृह मंत्री के रूप में भी स्थापित किया। यही कारण है कि उनके कार्यकाल की तुलना अब देश के बड़े नेताओं से की जा रही है।
पीएम मोदी का बयान और उसके निहितार्थ
“यह तो बस शुरुआत है”
एनडीए की संसदीय बैठक में पीएम मोदी ने अमित शाह को सम्मानित करते हुए कहा, “यह तो बस शुरुआत है, हमें अभी बहुत आगे जाना है।” उनके इस बयान ने संकेत दिए कि शाह की भूमिका आने वाले समय में और बड़ी हो सकती है।
उत्तराधिकारी की चर्चा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी के इस बयान के बाद शाह को भाजपा में संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी के भीतर पहले भी इस बात की चर्चा होती रही है कि भविष्य में शाह को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
भाजपा और आरएसएस की अंदरूनी हलचल
उम्र सीमा और नेतृत्व परिवर्तन
हाल ही में आरएसएस ने यह संदेश दिया था कि एक निश्चित उम्र के बाद नेताओं को पद छोड़कर नई पीढ़ी के लिए जगह बनानी चाहिए। भाजपा में पहले से ही 75 वर्ष की अलिखित सेवानिवृत्ति आयु लागू है। ऐसे में 60 वर्षीय अमित शाह के सामने लंबा राजनीतिक सफर है।
भाजपा अध्यक्ष पद की चर्चा
सूत्रों का कहना है कि आरएसएस चाहती है कि पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए अगला भाजपा अध्यक्ष एक निर्णायक नेता हो, न कि महज प्रतीकात्मक चेहरा। इस संदर्भ में अमित शाह की छवि और अनुभव उन्हें स्वाभाविक दावेदार बनाते हैं।
संसद में संकेत
लोकसभा और राज्यसभा में भूमिकाएं
हाल ही में संसद के मानसून सत्र के दौरान पीएम मोदी ने लोकसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब दिया, लेकिन राज्यसभा में यह जिम्मेदारी अमित शाह को सौंपी। यह बदलाव कई नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत है कि शाह को भविष्य के लिए और तैयार किया जा रहा है।
भाजपा नेताओं की राय
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “राज्यसभा में जवाब देने के लिए मोदी की जगह अमित शाह का आना बेहद अहम है। यह साफ संकेत है कि मोदी अपने उत्तराधिकारी के रूप में शाह को देखना चाहते हैं।”
अन्य दावेदारों पर असर
योगी आदित्यनाथ और अन्य नेताओं की स्थिति
अगर राजनीतिक हलचलों और चर्चाओं को सच माना जाए, तो यह संकेत है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य संभावित दावेदार प्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर हो सकते हैं।
निशिकांत दुबे का बयान
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी कुछ समय पहले बयान दिया था कि पार्टी का अगला नेतृत्व अमित शाह के हाथों में हो सकता है। मोदी के ताजा बयान ने इस धारणा को और मजबूत किया है।
अमित शाह का सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री बनने का रिकॉर्ड सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भाजपा की राजनीतिक रणनीति और भविष्य की दिशा का भी संकेत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “यह तो बस शुरुआत है” कहना महज एक बधाई नहीं, बल्कि संभवत: आने वाले वर्षों में नेतृत्व परिवर्तन की झलक भी है। अब देखना यह होगा कि भाजपा और आरएसएस के बीच संतुलन साधते हुए पार्टी किस दिशा में आगे बढ़ती है।