हाइलाइट्स
- अमेरिका पाकिस्तान को हथियार देने की साजिश का 54 साल पुराना सबूत सामने आया
- भारतीय सेना ने सोशल मीडिया पर 1971 की अखबार की कटिंग साझा की
- 1954 से 1971 तक अमेरिका ने पाकिस्तान को भेजे 2 बिलियन डॉलर से अधिक के हथियार
- ट्रंप द्वारा भारत को टैरिफ की धमकी के बीच ऐतिहासिक सबूत ने खोली अमेरिका की पोल
- भारत ने दिया दो टूक जवाब, रूस से तेल खरीद पर नहीं मानेगा दबाव
अमेरिका पाकिस्तान को हथियार: 54 साल पुराना सच आया सामने
अमेरिकी दोहरा चरित्र फिर हुआ उजागर
भारतीय सेना ने एक ऐतिहासिक दस्तावेज साझा कर अमेरिका पाकिस्तान को हथियार भेजने की साजिश का पर्दाफाश किया है। यह दस्तावेज उस दौर का है जब अमेरिका पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा था। इस बीच जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को टैरिफ की धमकी दे रहे हैं, तब भारतीय सेना द्वारा साझा किया गया यह सबूत अमेरिका के दोहरे चरित्र को सामने लाता है।
भारतीय सेना का खुलासा: 5 अगस्त 1971 की कटिंग
सेना ने साझा की ऐतिहासिक अखबार की कटिंग
भारतीय सेना के पूर्वी कमांड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर 5 अगस्त 1971 की एक अखबार की कटिंग साझा की है, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि अमेरिका पाकिस्तान को हथियार सप्लाई कर रहा था। इस कटिंग में तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री वीसी शुक्ला का बयान भी शामिल है, जो उन्होंने राज्यसभा में दिया था।
उन्होंने बताया था कि बांग्लादेश में उत्पन्न हालातों को देखते हुए नाटो और सोवियत संघ से पाकिस्तान को हथियार दिए जाने की बात सामने आई थी। यह एक ऐसा खुलासा है, जो भारत के प्रति अमेरिकी नीति की असलियत दर्शाता है।
1954 से 1971 तक अमेरिका की मेहरबानी
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“This Day That Year” Build Up of War – 05 Aug 1971 #KnowFacts.
“𝑼.𝑺 𝑨𝑹𝑴𝑺 𝑾𝑶𝑹𝑻𝑯 $2 𝑩𝑰𝑳𝑳𝑰𝑶𝑵 𝑺𝑯𝑰𝑷𝑷𝑬𝑫 𝑻𝑶 𝑷𝑨𝑲𝑰𝑺𝑻𝑨𝑵 𝑺𝑰𝑵𝑪𝑬 ’54”@adgpi@SpokespersonMoD… pic.twitter.com/wO9jiLlLQf
— EasternCommand_IA (@easterncomd) August 5, 2025
दो बिलियन डॉलर के हथियार भेजे गए पाकिस्तान को
कटिंग में उल्लेख है कि वर्ष 1954 से 1971 के बीच अमेरिका ने पाकिस्तान को दो बिलियन डॉलर (आज के हिसाब से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये) के हथियार मुहैया कराए थे। यह वही दौर था जब पाकिस्तान भारत से दो युद्ध लड़ चुका था — 1965 और 1971। इन दोनों ही युद्धों में पाकिस्तान ने जिन हथियारों का उपयोग किया, वे अमेरिका द्वारा सप्लाई किए गए थे।
इससे यह सिद्ध होता है कि अमेरिका पाकिस्तान को हथियार देकर सिर्फ दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैलाने का कार्य कर रहा था।
ट्रंप की धमकी और भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिका खुद करता है रूस से व्यापार, भारत को देता है नसीहत
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धमकी दी थी कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है, तो अमेरिका भारत पर 25 प्रतिशत से अधिक का टैरिफ लगाएगा। लेकिन भारत ने इसका करारा जवाब दिया।
विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि भारत कोई ऐसा कार्य नहीं कर रहा जो अंतरराष्ट्रीय नियमों के विरुद्ध हो। जब हमने रूस से तेल खरीदना शुरू किया था, तब अमेरिका ने ही इसे जायज ठहराया था। अब जब भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, तो टैरिफ की धमकियां देना तर्कसंगत नहीं।
पाकिस्तान पर अमेरिका की नरमी
पाकिस्तान का टैरिफ घटाया, भारत पर सख्ती
जहां एक तरफ ट्रंप प्रशासन भारत पर टैरिफ की धमकी देता है, वहीं पाकिस्तान के साथ उसकी नीति नरम नजर आती है। ट्रंप ने पाकिस्तान का टैरिफ 29 प्रतिशत से घटाकर 19 प्रतिशत कर दिया है। यह इस बात का प्रतीक है कि अमेरिका पाकिस्तान को हथियार और आर्थिक सहायता देकर अब भी उसे अपना रणनीतिक सहयोगी मानता है।
पाकिस्तान, जो लगातार आतंकवाद और भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देता है, उस पर अमेरिकी नरमी सवालों के घेरे में है।
सेना का संदेश: इतिहास को मत भूलिए
सोशल मीडिया पोस्ट में दिया गया संकेत
भारतीय सेना की ओर से सोशल मीडिया पर यह पोस्ट सिर्फ एक ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश है कि भारत को अपने भू-राजनीतिक निर्णय लेते समय अमेरिका के दोहरे रवैये को भी ध्यान में रखना चाहिए। यह कटिंग उस समय की याद दिलाती है जब अमेरिका पाकिस्तान को हथियार देकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहा था।
अमेरिका की नीति पर फिर सवाल
ट्रंप के टैरिफ की धमकी का असली मकसद?
जब इतिहास को खंगालते हैं, तो यह साफ नजर आता है कि अमेरिका सिर्फ अपने रणनीतिक हितों को साधने के लिए ही दोस्ती निभाता है। चाहे पाकिस्तान हो या अन्य देश, अमेरिका अपनी जरूरतों के मुताबिक सहयोगी चुनता है और बाकी देशों पर दबाव डालता है।
भारत जैसे संप्रभु राष्ट्र के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी विदेश नीति आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय हितों के आधार पर तय करे, न कि किसी दबाव में।