सरकारी स्कूल में शराब पीते शिक्षक का वीडियो वायरल, कहा- जाओ कलेक्टर को बुलाओ…

Latest News

हाइलाइट्स

  • सरकारी स्कूल में शराब पीते शिक्षक का वीडियो वायरल, मचा प्रशासनिक हड़कंप
  • शिक्षक ने कहा – “मैं किसी से नहीं डरता, जाओ कलेक्टर को बुलाओ…”
  • कक्षा में खुलेआम शराब पीते देख भड़क उठे ग्रामीण, की शिकायत
  • शिक्षा विभाग ने आरोपी शिक्षक को निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू की
  • घटना छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के एक प्राथमिक स्कूल की

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां सरकारी स्कूल में शराब पीते हुए एक शिक्षक का वीडियो वायरल हो गया। यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि उस सामाजिक जिम्मेदारी पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है जिसे एक शिक्षक को निभाना चाहिए।

इस मामले ने पूरे प्रदेश में सनसनी मचा दी है। यह घटना बिलासपुर जिले के ग्राम पंचायत अंतर्गत एक प्राथमिक विद्यालय की बताई जा रही है, जहां कक्षा में बच्चों के सामने ही शिक्षक खुलेआम शराब के पैग मारता नजर आया। जब ग्रामीणों ने टोका तो उसने उल्टे अभद्रता करते हुए कहा, “मैं किसी से नहीं डरता, जाओ कलेक्टर को बुलाओ।”

 कहां हुई घटना?

 स्कूल का नाम और स्थान

यह घटना बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में शराब पीते हुए शिक्षक के वीडियो के रूप में सामने आई। यह वीडियो ग्रामीणों ने खुद रिकॉर्ड किया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

 वायरल वीडियो में क्या दिखा?

वीडियो में देखा गया कि शिक्षक कक्षा में बैठकर शराब की बोतल और गिलास के साथ मौज कर रहा है। पास में कुछ बच्चे भी बैठे हुए नजर आए। शिक्षक नशे में था और टोके जाने पर अभद्र भाषा में जवाब दे रहा था। वीडियो में वह कहता है, “कलेक्टर को बुलाओ, मैं नहीं डरता…”

 शिक्षक की पहचान और इतिहास

 कौन है यह शिक्षक?

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, आरोपी शिक्षक का नाम रामनिवास वर्मा है, जो पिछले 8 वर्षों से इस स्कूल में पदस्थ है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब सरकारी स्कूल में शराब पीने की घटना हुई हो। पूर्व में भी कई बार इस शिक्षक की शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

 ग्रामीणों का गुस्सा और विरोध

 अभिभावकों ने किया विरोध प्रदर्शन

ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक अक्सर नशे की हालत में स्कूल आता है। इस बार हद तब हो गई जब बच्चों के सामने ही शराब पीने लगा। विरोध में अभिभावकों ने स्कूल परिसर में एकत्र होकर “सरकारी स्कूल में शराब” पीने के खिलाफ प्रदर्शन किया और तत्काल निलंबन की मांग की।

 शिकायत पर क्या हुई कार्रवाई?

ग्रामीणों ने सबसे पहले स्कूल प्रबंधन और फिर शिक्षा विभाग को सूचित किया। प्राथमिक स्तर पर स्कूल प्रबंधन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिसके बाद मामले को जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर तक पहुँचाया गया।

 प्रशासन की प्रतिक्रिया

 निलंबन की कार्रवाई शुरू

बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ने घटना को गंभीर मानते हुए तत्काल जांच समिति गठित कर दी है। “सरकारी स्कूल में शराब” पीने की पुष्टि वीडियो के जरिए हो चुकी है, और शिक्षक को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

 अधिकारी का बयान

जिला शिक्षा अधिकारी ने मीडिया को बताया,
“यह अत्यंत निंदनीय घटना है। शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्थान पर इस तरह की गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच के बाद कठोरतम कार्रवाई होगी।”

 बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल

इस घटना ने महिला शिक्षकों और छात्राओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि आरोपी शिक्षक शराब के नशे में कई बार स्कूल की महिला शिक्षिका और रसोई कर्मचारियों से भी बदसलूकी कर चुका है।

 शिक्षा का स्तर और शिक्षक की नैतिक जिम्मेदारी

सरकारी स्कूल में शराब पीने की यह घटना केवल एक शिक्षक की लापरवाही नहीं, बल्कि संपूर्ण शिक्षा प्रणाली की गिरती नैतिकता का प्रतीक है। शिक्षक समाज का आदर्श होता है, और जब वही अपने पद की गरिमा नहीं समझता, तो न केवल बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है, बल्कि उनका भविष्य भी खतरे में पड़ जाता है।

 क्या कहती है सरकारी नीति?

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित आचार संहिता में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शिक्षक विद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार का नशा नहीं कर सकते। ऐसा करना सेवा नियमों का उल्लंघन है और इसके लिए निलंबन या सेवा से बर्खास्तगी तक की सजा हो सकती है।

 आगे की कार्रवाई और जनाक्रोश

मांगी गई है पुलिस जांच

ग्रामीणों ने इस घटना को केवल निलंबन से हल न करते हुए पुलिस जांच की भी मांग की है। उनका कहना है कि अगर ऐसा शिक्षक सिर्फ निलंबन से बच निकला तो यह अन्य शिक्षकों के लिए गलत उदाहरण बन सकता है।

 जनप्रतिनिधियों की मांग

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि “शिक्षकों की नियुक्ति से पहले उनकी मानसिक और नैतिक जांच अनिवार्य की जाए।” उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ऐसे मामलों के लिए अलग से नियमावली तैयार की जाए।

 एक चेतावनी बनकर उभरी यह घटना

सरकारी स्कूल में शराब पीते शिक्षक की घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर किस दिशा में जा रही है हमारी शिक्षा व्यवस्था? क्या शिक्षक अब समाज में सम्मान के योग्य रह गए हैं? इस प्रकार की घटनाएं यदि समय रहते रोकी नहीं गईं, तो शिक्षा का मंदिर भी नशे की अंधेरी गलियों में खो जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *