Akhilesh Yadav

अखिलेश को दूर भगाना है…ब्राह्मणों का सम्मान बचाना है: लखनऊ में Akhilesh Yadav को लेकर गरमाया DNA विवाद

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 हाइलाइट्स

  • लखनऊ में लगे पोस्टर में Akhilesh Yadav को लेकर दिया गया सीधा संदेश
  • भाजपा युवा मोर्चा नेता अमित त्रिपाठी ने गांधी प्रतिमा के पास लगाया होर्डिंग
  • पोस्टर में ब्राह्मण समाज के सम्मान की रक्षा का दावा
  • DNA को लेकर सपा और भाजपा के बीच बढ़ा जुबानी जंग
  • सियासी गलियारों में चुनाव से पहले जातीय राजनीति तेज

लखनऊ में सियासी पोस्टर वार ने पकड़ा जोर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक बार फिर राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बन गई है। इस बार वजह बना है एक बड़ा पोस्टर, जो हजरतगंज इलाके में स्थित ऐतिहासिक गांधी प्रतिमा के पास लगाया गया है। पोस्टर में सपा प्रमुख Akhilesh Yadav को सीधे तौर पर चेतावनी दी गई है — “अखिलेश को दूर भगाना है…ब्राह्मणों का सम्मान बचाना है!” इस नारे ने प्रदेश की सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है।

कौन हैं अमित त्रिपाठी और क्यों लगाया गया यह पोस्टर?

भाजपा युवा मोर्चा का दावा

यह पोस्टर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के युवा मोर्चा के महामंत्री अमित त्रिपाठी द्वारा लगाया गया है। त्रिपाठी का कहना है कि सपा सरकार में ब्राह्मण समाज को हमेशा अपमानित किया गया है और अब समय आ गया है कि इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई जाए।

“हमारा उद्देश्य Akhilesh Yadav की ब्राह्मण विरोधी मानसिकता को उजागर करना है। DNA जैसे शब्दों से समाज को बांटने का प्रयास हो रहा है,” – अमित त्रिपाठी

आखिर क्या है यह DNA विवाद?

सपा प्रमुख का बयान बना विवाद की जड़

हाल ही में एक जनसभा में Akhilesh Yadav ने कथित रूप से एक टिप्पणी की थी जिसमें उन्होंने भाजपा नेताओं के DNA पर सवाल उठाया था। इस बयान को भाजपा ने जातीय अपमान के रूप में लिया और इसपर तीव्र प्रतिक्रिया दी।

भाजपा का पलटवार

भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि Akhilesh Yadav लगातार ऐसे बयान देते हैं जो समाज को जाति और धर्म के नाम पर विभाजित करते हैं। उन्होंने इस बयान को ब्राह्मण समाज के खिलाफ बताया और इसे सियासी चाल करार दिया।

ब्राह्मण समाज की भूमिका और नाराज़गी

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समुदाय एक बड़ा और प्रभावशाली मतदाता वर्ग है। पिछले कुछ चुनावों में यह वर्ग कभी भाजपा, तो कभी सपा या बसपा की ओर झुका है।

सियासी समीकरण

ब्राह्मण मतदाताओं का झुकाव आगामी चुनावों में किस ओर होगा, यह तय करेगा कि लखनऊ की सड़कों पर किस पार्टी का प्रभाव रहेगा। भाजपा को लगता है कि Akhilesh Yadav के बयानों ने ब्राह्मण समाज को नाराज़ किया है, और यह मौका है उस नाराजगी को अपने पक्ष में भुनाने का।

विपक्ष का पलटवार: सियासत में सस्ती लोकप्रियता?

 सपा का बयान

समाजवादी पार्टी ने इस पूरे घटनाक्रम को “सस्ती सियासत” करार दिया है। सपा प्रवक्ता का कहना है कि भाजपा खुद जातीय राजनीति कर रही है और Akhilesh Yadav को बदनाम करने का प्रयास कर रही है।

“भाजपा के पास अब जनता को दिखाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं बची है, इसलिए वे Akhilesh Yadav के खिलाफ ऐसे हथकंडे अपना रही है।” – सपा प्रवक्ता

चुनावी रणनीति या सामाजिक चिंता?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह पोस्टर वार और DNA विवाद सिर्फ एक संयोग नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश में जाति आधारित राजनीति कोई नई बात नहीं है, लेकिन चुनावी माहौल के करीब आते ही इस प्रकार के बयान और पोस्टर एक बड़े सामाजिक विमर्श को जन्म दे देते हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पोस्टर

जैसे ही यह पोस्टर सामने आया, सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें तेजी से वायरल हो गईं। ट्विटर पर #AkhileshYadav और #ब्राह्मण_सम्मान_की_लड़ाई जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। भाजपा समर्थकों ने इसे “सच का आईना” बताया, तो सपा समर्थकों ने इसे “भ्रम फैलाने वाली राजनीति” कहा।

कानूनी दृष्टिकोण: क्या होर्डिंग लगाना वैध है?

लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर बिना अनुमति के होर्डिंग लगाना नियमों के खिलाफ है। अमित त्रिपाठी के खिलाफ प्रशासन ने संज्ञान लिया है और कार्रवाई की संभावना जताई है। वहीं, पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है कि कहीं इस पोस्टर के जरिए कानून व्यवस्था को प्रभावित करने का प्रयास तो नहीं किया गया।

Akhilesh Yadav और ब्राह्मण राजनीति का नया अध्याय

इस पूरे विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनावों में Akhilesh Yadav की भूमिका और उनके बयानों की समीक्षा जनता बारीकी से करेगी। ब्राह्मण समाज के सम्मान की बात हो या DNA विवाद, हर बयान और प्रतिक्रिया अब वोट बैंक की राजनीति से जुड़ चुकी है।

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