हाइलाइट्स
- ग्वालियर कुक के खाते में 46 करोड़ का ट्रांजैक्शन, आयकर विभाग ने भेजा नोटिस
- ढाबे पर काम करने वाले रसोइए की मासिक आय केवल 8 से 10 हजार रुपए
- अचानक नोटिस पाकर परिवार घबराया, युवक ने काम छोड़ दिया
- ग्वालियर हाईकोर्ट में दाखिल हुई याचिका, कानूनी लड़ाई जारी
- 7 साल पुराने दस्तावेजों के दुरुपयोग की आशंका, गिरोह की तलाश
कभी सोचा है कि एक साधारण कुक, जो ढाबे पर रोज़ाना सिर्फ 300 रुपए या महीने के 8 से 10 हजार रुपए कमाता है, उसके खाते में अचानक 46 करोड़ का ट्रांजैक्शन हो सकता है? मध्य प्रदेश के ग्वालियर से बिल्कुल ऐसा ही अजब-गजब मामला सामने आया है। एक कुक के खाते में हुए इस भारी-भरकम ट्रांजैक्शन ने न केवल परिवार की नींद उड़ा दी है बल्कि आयकर विभाग और न्यायालय को भी इस केस की गहराई से जांच करने पर मजबूर कर दिया है।
इस पूरे मामले का केंद्र बने हैं भिंड निवासी ग्वालियर कुक रविंद्र सिंह चौहान, जिनके खाते में कथित तौर पर 46 करोड़ 18 लाख रुपए का लेन-देन हुआ।
आयकर विभाग की कार्यवाही से बढ़ा तनाव
ग्वालियर कुक पर नोटिस का असर
मामला तब सामने आया जब 25 जुलाई को पुणे की एक होटल में नौकरी कर रहे रविंद्र को आयकर विभाग से नोटिस मिला। नोटिस में साफ लिखा था कि उनके खाते से 46 करोड़ 18 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ है। इस नोटिस ने ग्वालियर कुक और उनके पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया।
रविंद्र तुरंत काम छोड़कर ग्वालियर लौट आए और कानूनी सलाह लेने के लिए एडवोकेट प्रद्युम्न सिंह के पास पहुंचे। वकील ने नोटिस का अध्ययन करने के बाद उन्हें बताया कि मामला बेहद गंभीर है और न्यायालय का दरवाजा खटखटाना ही सही विकल्प होगा।
ग्वालियर कोर्ट में पहुंचा मामला
ग्वालियर कुक रविंद्र सिंह चौहान ने पुलिस थाने में भी शिकायत दर्ज करानी चाही, लेकिन वहां मामला दर्ज नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह लेन-देन उन्होंने नहीं किया और उन्हें किसी षड्यंत्र के तहत फंसाया जा रहा है।
वकील प्रद्युम्न सिंह के मुताबिक, आयकर विभाग की नोटिस में जो राशि लिखी है, उसका कोई तार्किक आधार रविंद्र की आय से मेल नहीं खाता।
ग्वालियर कुक की आय और जीवनशैली
साधारण जिंदगी, असाधारण ट्रांजैक्शन
ग्वालियर कुक रविंद्र की मासिक आय केवल 8 से 10 हजार रुपए है। परिवार की रोज़मर्रा की ज़रूरतें मुश्किल से पूरी होती हैं। खुद रविंद्र ने कहा कि उनके खाते में सालभर में कुल 3 लाख रुपए का भी लेन-देन नहीं होता। ऐसे में 46 करोड़ जैसी बड़ी रकम उनके खाते में कैसे और कब आई, यह सवाल सबसे बड़ा रहस्य बना हुआ है।
7 साल पुराने दस्तावेजों से जुड़ा राज
जांच में सामने आया कि ग्वालियर कुक जब सात साल पहले एक टोल कंपनी में काम करते थे, तब उनके सुपरवाइजर शशिभूषण राय ने उनसे कुछ दस्तावेज लिए थे। शक जताया जा रहा है कि उन्हीं दस्तावेजों का इस्तेमाल करके शौर्या ट्रेडिंग नाम की कंपनी से खाते को जोड़ा गया।
यही वजह है कि जांच एजेंसियां अब यह जानने की कोशिश कर रही हैं कि क्या इस पूरे मामले में किसी संगठित गिरोह का हाथ है, जो सामान्य लोगों की पहचान और दस्तावेजों का दुरुपयोग कर करोड़ों का लेन-देन करता है।
ग्वालियर कुक की दलील
रविंद्र का कहना है कि वे पूरी तरह निर्दोष हैं। उन्होंने पुलिस और कोर्ट से गुहार लगाई है कि उनके नाम का इस्तेमाल कर जो 46 करोड़ का ट्रांजैक्शन हुआ है, उसकी सच्चाई सामने लाई जाए। उनका यह भी कहना है कि यह किसी बड़े वित्तीय अपराध का हिस्सा हो सकता है, जिसमें उनकी अनजाने में पहचान का उपयोग किया गया है।
जांच एजेंसियों की भूमिका
आयकर विभाग इस पूरे मामले की बारीकी से जांच कर रहा है। प्रारंभिक स्तर पर यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी अकाउंट से जुड़े अपराध की ओर इशारा करता है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) भी इस मामले में सक्रिय हो सकती है।
ग्वालियर कुक का केस क्यों है अहम?
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की परेशानी भर नहीं है, बल्कि इसने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। यदि ग्वालियर कुक जैसे साधारण लोगों के दस्तावेजों का इस्तेमाल करके करोड़ों का लेन-देन संभव है, तो यह पूरे बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा पर बड़ा सवालिया निशान है।
ग्वालियर कुक के खाते में 46 करोड़ का ट्रांजैक्शन अब कानूनी और जांच एजेंसियों की कसौटी पर है। इस केस से यह भी साफ होता है कि सामान्य लोग भी बड़े वित्तीय अपराधों की चपेट में आ सकते हैं। आने वाले दिनों में कोर्ट और जांच एजेंसियों की कार्यवाही इस रहस्य से पर्दा उठाएगी कि आखिर कैसे एक ढाबे पर काम करने वाले कुक का नाम करोड़ों की हेराफेरी में इस्तेमाल हुआ।