हाइलाइट्स
- Police Torture के खिलाफ एक और दर्दनाक मामला सामने आया, 25 वर्षीय युवक ने किया सुसाइड
- आत्महत्या से पहले युवक ने अपनी पैंट पर ही लिखा सुसाइड नोट, पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
- पत्नी की शिकायत के बाद पुलिस हिरासत में गया था दिलीप, कुछ घंटों में छोड़ा गया
- परिजनों ने कहा – पुलिस ने 40 हजार रुपये लेकर छोड़ा, पीटा भी
- प्रशासनिक कार्रवाई की मांग तेज, इलाके में रोष और आक्रोश का माहौल
फर्रुखाबाद में Police Torture का सनसनीखेज मामला
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां Police Torture के चलते एक युवक ने अपनी जान गंवा दी। मृतक की पहचान 25 वर्षीय दिलीप कुमार के रूप में हुई है, जिसने खुदकुशी करने से पहले एक सुसाइड नोट अपनी ही पैंट पर लिखा। इस सुसाइड नोट में युवक ने पुलिस द्वारा पीटे जाने और 40 हजार रुपये वसूली जाने का आरोप लगाया है।
क्या था पूरा घटनाक्रम?
पत्नी की शिकायत बनी शुरुआत
जानकारी के अनुसार, दिलीप कुमार और उसकी पत्नी के बीच किसी मुद्दे को लेकर कहासुनी हुई थी। इसके बाद पत्नी ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने दिलीप को थाने बुलाया। यहां से Police Torture की कहानी शुरू होती है।
थाने में हुई पूछताछ या प्रताड़ना?
परिजनों का कहना है कि दिलीप को थाने में घंटों बैठाया गया और मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना दी गई। इसी दौरान पुलिस ने उससे ₹40,000 की मांग की और फिर उसे छोड़ दिया। यह बात दिलीप ने अपने सुसाइड नोट में साफ-साफ लिखी है।
दिल दहला देने वाला सुसाइड नोट
पैंट ही बनी आखिरी गवाही
दिलीप ने आत्महत्या करने से पहले पैंट पर ही काले पेन से लिखा:
“पुलिसवालों ने मुझे पीटा, मुझसे 40K लेकर छोड़ा गया। अब मेरी जिंदगी में कुछ नहीं बचा।”
यह सुसाइड नोट पुलिस के खिलाफ बेहद गंभीर सवाल खड़े करता है और Police Torture की सच्चाई को उजागर करता है।
परिवार का रो-रोकर बुरा हाल
“हमारा बेटा हमें छोड़ गया, लेकिन पुलिस को सजा मिलनी चाहिए”
दिलीप के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“हमने अपने बेटे को एक बार थाने भेजा और वह लौटकर कभी जीवित नहीं आया। पुलिस ने उसे प्रताड़ित किया, पैसे लिए और हमें तबाह कर दिया।”
परिजनों की मांग है कि दोषी पुलिसकर्मियों को तुरंत सस्पेंड किया जाए और उनके खिलाफ हत्या की धारा में मामला दर्ज हो।
पुलिस की सफाई बनाम जनता का गुस्सा
FIR दर्ज, लेकिन अभी भी कोई गिरफ्तारी नहीं
स्थानीय थाना प्रभारी ने मीडिया को बताया कि मामले की जांच की जा रही है। सुसाइड नोट को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है और शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। लेकिन अब तक Police Torture के आरोपी किसी पुलिसकर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे जनता में आक्रोश है।
सड़कों पर उतरे लोग, पुलिस विरोधी नारेबाजी
इंसाफ की मांग में जनता एकजुट
घटना के बाद स्थानीय लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए। थाने के बाहर प्रदर्शन किया गया और Police Torture के खिलाफ नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारियों ने थाना परिसर का घेराव किया और कहा कि जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलेगी, वे चैन से नहीं बैठेंगे।
मनोवैज्ञानिक और मानवाधिकार विशेषज्ञों की राय
Police Torture से बढ़ रही आत्महत्या की घटनाएं
मनोवैज्ञानिक डॉ. रेखा शर्मा के अनुसार, “जब एक आम आदमी को थाने में बिना उचित प्रक्रिया के प्रताड़ित किया जाता है, तो उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। Police Torture ना केवल असंवैधानिक है बल्कि कई बार यह लोगों को जान देने तक मजबूर कर देता है।”
मानवाधिकार कार्यकर्ता अजय मेहरा ने कहा, “भारत में पुलिस सुधार की सख्त जरूरत है। यह मामला पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।”
क्या मिलेगा दिलीप को इंसाफ?
NHRC और राज्य सरकार की चुप्पी
अब तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) या राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यदि Police Torture जैसे मामलों में भी संस्थाएं मूकदर्शक बनी रहेंगी, तो लोगों का लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा।
कब रुकेगा Police Torture?
दिलीप कुमार की मौत सिर्फ एक आत्महत्या नहीं है, यह हमारे सिस्टम की विफलता का प्रमाण है। जब तक पुलिस पर नागरिकों की सुरक्षा नहीं बल्कि डर बैठा रहेगा, तब तक इस तरह की घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। Police Torture को लेकर पारदर्शी जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग अब जनआंदोलन का रूप ले रही है।