हाइलाइट्स
- सब्जी विक्रेता के खाते में 172.81 करोड़ का ट्रांजैक्शन, आयकर विभाग ने भेजा नोटिस
- रस्तोगी बोले- “ना खाता खुलवाया, ना ट्रांजैक्शन किया, मैं तो सब्जी बेचने वाला हूं”
- डाक्यूमेंट्स के दुरुपयोग का आरोप, साइबर सेल कर रही है जांच
- IT विभाग का आश्वासन- “तथ्यों की होगी गहन जांच, निर्दोष को नहीं किया जाएगा परेशान”
- ग्रामीणों में मचा हड़कंप, सब्जी विक्रेता के घर पर ताला लगा, परिजन भी डरे
गाजीपुर, उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर ज़िले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न केवल स्थानीय प्रशासन को बल्कि पूरे देश को चौंका दिया है। गहमर थाना क्षेत्र के मैगर राव पट्टी गांव में सब्जी बेचकर जीवन यापन करने वाले विनोद रस्तोगी को इनकम टैक्स विभाग से एक भारी-भरकम नोटिस मिला है। नोटिस में दावा किया गया है कि उनके नाम से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में संचालित एक खाते में 172.81 करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ है, और उन्होंने इस पर कोई आयकर नहीं भरा है।
सब्जी बेचने वाला और करोड़ों का कारोबार?
सब्जी विक्रेता विनोद रस्तोगी वर्षों से स्थानीय मंडी में ठेले पर सब्जी बेचते हैं। सीमित आमदनी और साधारण जीवनशैली वाले रस्तोगी को जब वाराणसी आयकर विभाग से नोटिस मिला तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने इस बात से साफ इंकार किया कि उन्होंने कोई बड़ा बैंक खाता खुलवाया है या इतने पैसों का कोई लेन-देन किया है।
उन्होंने कहा,
“मैं तो एक गरीब सब्जी विक्रेता हूं। बैंक खाता खुलवाने तक की जानकारी मेरे पास नहीं है, करोड़ों की बात तो दूर की है। लगता है किसी ने मेरे दस्तावेज़ों का गलत इस्तेमाल किया है।”
26 फरवरी को मिला था नोटिस
रस्तोगी को आयकर विभाग की तरफ से 26 फरवरी को नोटिस मिला था जिसमें यह पूछा गया था कि इतने पैसों का स्रोत क्या है, और उन्होंने इस पर टैक्स क्यों नहीं दिया। यह नोटिस पढ़कर वे सीधे वाराणसी स्थित इनकम टैक्स ऑफिस पहुंचे, जहां अधिकारियों ने जांच की बात कही। हालांकि, ये साफ हो गया कि संबंधित खाता वास्तव में उनकी जानकारी में नहीं है।
साइबर सेल ने शुरू की जांच
रस्तोगी द्वारा स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद मामला साइबर सेल के पास भेजा गया। गाजीपुर साइबर सेल के प्रभारी वैभव मिश्रा ने बताया कि
“सब्जी विक्रेता विनोद रस्तोगी हमारे पास आए थे। उन्होंने इनकम टैक्स नोटिस की कॉपी और अपनी स्थिति बताई है। हमने उनसे पहचान संबंधित कुछ दस्तावेज़ मांगे हैं ताकि जांच में प्रगति हो सके।”
बताया जा रहा है कि इससे लगभग 6 महीने पहले भी रस्तोगी को एक नोटिस मिला था, जिसे उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया। अब जब दोबारा मामला सामने आया है, तो उन्होंने पुलिस की मदद ली है।
घर छोड़कर भागे रस्तोगी, ग्रामीणों में दहशत
इस अप्रत्याशित मामले से रस्तोगी इतने भयभीत हो गए कि उन्होंने अपना घर बंद कर दिया और फिलहाल वे अपने परिवार के साथ गांव से बाहर कहीं चले गए हैं। ग्रामीणों के अनुसार,
“वो गरीब सब्जी विक्रेता है। रोज़ सब्जी बेचकर गुजारा करता है। करोड़ों की रकम और आयकर का नोटिस सुनते ही वो घबरा गया और घर छोड़ गया।”
बढ़ता फाइनेंशियल फ्रॉड: एक आम नागरिक कैसे बनता है शिकार
इस घटना ने एक बार फिर से उस डरावनी सच्चाई को सामने रखा है कि कैसे सब्जी विक्रेता जैसे गरीब व्यक्ति भी आज की डिजिटल दुनिया में आर्थिक फ्रॉड का आसान निशाना बन सकते हैं। फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह ऐसे लोगों के दस्तावेज़ों का दुरुपयोग कर उनके नाम पर फर्जी खाता खोल देते हैं और करोड़ों की हेराफेरी करते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि—
- पैन कार्ड, आधार और अन्य पहचान पत्रों को सुरक्षित रखना जरूरी है
- साइबर कैफे या अनजान स्थानों पर डॉक्यूमेंट स्कैन कराना जोखिम भरा हो सकता है
- OTP, KYC कॉल्स व फर्जी बैंक कर्मचारियों से सतर्क रहना चाहिए
इनकम टैक्स विभाग ने दिया भरोसा
आयकर विभाग के अधिकारियों ने विनोद रस्तोगी को यह भरोसा दिलाया है कि
“जांच निष्पक्ष और साक्ष्यों के आधार पर होगी। यदि वह निर्दोष साबित होते हैं तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।”
विभाग यह भी देख रहा है कि किस प्रक्रिया से यह खाता खुला और क्या संबंधित दस्तावेजों में कोई गड़बड़ी है।
एक सब्जी विक्रेता की असली पहचान या किसी गिरोह की साजिश?
गाजीपुर के इस सब्जी विक्रेता का मामला न केवल एक प्रशासनिक चूक की ओर इशारा करता है, बल्कि यह साइबर और बैंकिंग सुरक्षा के लिए एक चेतावनी भी है। यह स्पष्ट है कि किसी ने दस्तावेज़ों का गलत इस्तेमाल किया है या फिर कोई बड़ा रैकेट इस घटनाक्रम के पीछे है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच एजेंसियां कितनी जल्दी इस मामले को सुलझा पाती हैं और एक गरीब सब्जी विक्रेता को राहत मिलती है या नहीं।