जब एक साथ फटे हजारों पेजर: ऐसा क्या हुआ कि हिजबुल्ला के आतंकी खुद ही बन बैठे मौत का ज़रिया?

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हाइलाइट्स

  • इजरायल का Pager Attack अब तक का सबसे रहस्यमयी हमला बन चुका है
  • हजारों पेजर एक साथ लेबनान में फटे, दर्जनों हिजबुल्ला आतंकी मारे गए
  • हिजबुल्ला नेता ने माना- हमारी सप्लाई चेन में गड़बड़ी थी, इजरायल ने पहचान ली
  • पेजर की खरीद प्रक्रिया में लापरवाही, एक साल पहले दिया गया था ऑर्डर
  • हिजबुल्ला को इस हमले की आशंका भी नहीं थी, कहा- यह हमारी सबसे बड़ी चूक थी

लेबनान, जुलाई 2025:
मध्य-पूर्व में जारी इजरायल और आतंकी संगठनों के बीच लगातार टकराव के बीच हाल ही में हुए Pager Attack ने न सिर्फ लेबनान को हिलाकर रख दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक मामलों में भी हलचल मचा दी है। इस हमले में इजरायल ने ऐसा तकनीकी प्रयोग किया जिसे देखकर दुनियाभर के खुफिया और रक्षा विश्लेषक चौंक गए हैं।

हिजबुल्ला के दर्जनों आतंकियों की मौत और हजारों पेजर का एक साथ फटना ये संकेत देता है कि अब युद्ध का तरीका पूरी तरह बदल चुका है। इस हमले ने यह भी उजागर किया कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की पहुंच कितनी गहराई तक है।

क्या है Pager Attack और क्यों बना यह दुनियाभर में चर्चा का विषय?

Pager Attack शब्द पहली बार वैश्विक मीडिया में तब सामने आया जब लेबनान के कई शहरों में हिजबुल्ला से जुड़े आतंकियों के पास मौजूद पेजर अचानक फटने लगे। ये विस्फोट एकसाथ, तय समय पर हुए और इनमें दर्जनों आतंकवादी मारे गए।

ध्यान देने वाली बात यह है कि ये पेजर आम संचार उपकरण की तरह लगते थे लेकिन इनमें इजरायल की ओर से पहले ही सूक्ष्म विस्फोटक सामग्री फिट कर दी गई थी।

कैसे फटी हिजबुल्ला की सप्लाई चेन की पोल?

हिजबुल्ला नेता नईम कासिम ने खुद एक इंटरव्यू में स्वीकार किया कि इन पेजरों का ऑर्डर एक साल पहले दिया गया था। उस समय किसी को इस बात का अंदेशा नहीं था कि इजरायल इस ऑर्डर की ट्रैकिंग कर पाएगा।

लेकिन Pager Attack ने साबित कर दिया कि इजरायल ने हिजबुल्ला की पूरी सप्लाई चेन को ट्रैक कर लिया था। माना जा रहा है कि इन पेजरों में या तो GPS ट्रैकिंग या फिर Nano Explosive Device पहले से फिट थी, जिसे रिमोट या सेट टाइमर से सक्रिय किया गया।

नईम कासिम की स्वीकारोक्ति: हमारी गलती थी

लेबनानी अखबार ‘अल-मायदीन’ को दिए इंटरव्यू में कासिम ने कहा,

“हमें अंदेशा नहीं था कि सप्लाई चेन ही हमारी सबसे बड़ी कमजोरी बन जाएगी। इजरायल ने न सिर्फ हमारी प्रक्रिया को भांप लिया बल्कि उसे हथियार भी बना लिया।”

कासिम ने यह भी कहा कि वे समझ ही नहीं पाए कि इजरायल इतनी दूर तक पहुंच चुका है। उन्होंने माना कि इस चूक ने संगठन की विश्वसनीयता और सुरक्षात्मक ढांचे पर गहरी चोट की है।

क्या यह सिर्फ शुरुआत है?

विशेषज्ञों का मानना है कि Pager Attack महज एक झांकी है। भविष्य में ऐसे हमले साइबर, IoT, और AI तकनीक के जरिए अधिक व्यापक और अदृश्य हो सकते हैं।
इस हमले ने यह भी साबित कर दिया कि अब युद्ध सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, डेटा और लॉजिस्टिक्स के स्तर पर भी लड़ा जा रहा है।

मोसाद की रणनीति: साइबर जासूसी की नई परिभाषा

मोसाद द्वारा अपनाई गई रणनीति में क्लासिकल जासूसी के साथ-साथ तकनीकी श्रेष्ठता का अद्भुत संयोजन देखने को मिला।

  • पेजर सप्लाई चेन की ट्रैकिंग
  • इम्प्लांटेड एक्सप्लोसिव चिप
  • एक साथ रिमोट एक्टिवेशन
  • बिना किसी फिजिकल घुसपैठ के दर्जनों आतंकियों का सफाया

यह सब कुछ ऐसा है जो भविष्य की जासूसी रणनीति को दर्शाता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: चिंता, प्रशंसा और चेतावनी

Pager Attack के बाद अमेरिका, रूस, ईरान और यूरोपियन यूनियन के देशों ने गहरी चिंता जताई। हालांकि, सुरक्षा विशेषज्ञों ने इजरायल की इस रणनीति की प्रशंसा की, जो आतंकवाद के खिलाफ तकनीकी लड़ाई का उदाहरण बनी।
वहीं संयुक्त राष्ट्र ने इसे खतरनाक ट्रेंड करार देते हुए चेतावनी दी कि भविष्य में तकनीकी हथियारों का दुरुपयोग भी बढ़ सकता है।

हिजबुल्ला, हामास और हूती: इजरायल की तीन दिशाओं से जंग

इस वक्त इजरायल को तीन मोर्चों पर आतंक से लड़ना पड़ रहा है—हिजबुल्ला (उत्तर से), हामास (गाजा पट्टी से), और हूती (दक्षिण से यमन की ओर से)।
इन तीनों आतंकी संगठनों में से किसी को भी अंदेशा नहीं था कि इजरायल की टेक्नोलॉजी इतनी गहराई तक पहुंच सकती है।

Pager Attack के बाद अब क्या?

  • हिजबुल्ला की आंतरिक समीक्षा चल रही है
  • सप्लाई चेन पर निगरानी सख्त की जा रही है
  • इजरायल की नई हमले की रणनीति का अध्ययन शुरू
  • अन्य आतंकी संगठनों में दहशत का माहौल

युद्ध अब उपकरणों से नहीं, तकनीक से लड़े जाएंगे

Pager Attack ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाला समय “Digital Warfare” का है। जहां एक छोटा सा डिवाइस भी हजारों जान ले सकता है, वहीं सूचनाओं की सुरक्षा सबसे बड़ा कवच बन चुकी है।

हिजबुल्ला जैसी शक्तिशाली मानी जाने वाली संस्था को जब इस तरह मात मिली, तो यह सवाल उठता है—क्या अब आतंकियों के पास छिपने की कोई जगह बाकी रह गई है?

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