कैंसर, गठिया, लिवर फेल और किडनी की बीमारी का अंत करने वाला चमत्कारी उपाय, जिसे जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

Health

हाइलाइट्स

  • गेहूँ के ज्वारे को माना जाता है बीमारियों से लड़ने का एक प्राकृतिक और चमत्कारी उपाय
  • वैज्ञानिकों ने दिया इसे “ग्रीन ब्लड” का नाम, बताया शरीर के लिए टॉनिक
  • कैंसर, डायबिटीज, लीवर और किडनी की समस्याओं में मददगार साबित
  • घर पर बेहद आसान तरीके से उगाए जा सकते हैं गेहूँ के ज्वारे
  • ज्वारे का रस दूध, दही और मांस से भी ज्यादा पोषक तत्वों से भरपूर

आज के समय में जब तनाव, प्रदूषण, मिलावटी भोजन और गलत जीवनशैली ने हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाला है, लोग प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपायों की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं। इन्हीं उपायों में गेहूँ के ज्वारे सबसे प्रभावी और लोकप्रिय विकल्प के रूप में सामने आए हैं। कहा जाता है कि इनके रस से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई असाध्य बीमारियों में भी राहत मिल सकती है।

गेहूँ के ज्वारे: “हरा लहू” की उपाधि

विदेशी वैज्ञानिकों ने गेहूँ के ज्वारे को “ग्रीन ब्लड” यानी हरा लहू कहा है। इसमें मौजूद क्लोरोफिल, विटामिन, मिनरल्स और एंजाइम्स शरीर को अंदर से डिटॉक्स करते हैं। डॉ. एन. विगमोर जैसी शोधकर्ताओं ने इस पर लंबे समय तक अध्ययन कर यह साबित किया है कि ज्वारे का रस कैंसर जैसे कठिन रोगों के खिलाफ असरदार है।

गेहूँ के ज्वारे और कैंसर का संबंध

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

अनुसंधानों से पता चलता है कि गेहूँ के ज्वारे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा करने में मदद कर सकते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और एंजाइम्स शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं और नई स्वस्थ कोशिकाओं को बनाने में सहायक होते हैं।

मरीजों के अनुभव

कई कैंसर रोगियों ने नियमित रूप से ज्वारे का रस पीकर थकान, उल्टी और रेडिएशन थेरेपी के दुष्प्रभावों से राहत मिलने की बात कही है। हालांकि यह किसी भी मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं है, लेकिन सहायक उपचार के रूप में इसकी भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

गेहूँ के ज्वारे का उपयोग अन्य रोगों में

हृदय और लिवर रोग

गेहूँ के ज्वारे में मौजूद पोषक तत्व हृदय को स्वस्थ रखते हैं और लिवर को डिटॉक्स करने का काम करते हैं।

डायबिटीज

इसके सेवन से ब्लड शुगर नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

किडनी और पथरी

ज्वारे का रस किडनी की कार्यक्षमता को सुधारता है और पथरी बनने की संभावना को कम करता है।

गठिया और जोड़ों का दर्द

इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन और दर्द से राहत दिलाते हैं।

त्वचा और बाल

गेहूँ के ज्वारे त्वचा की नमी और चमक बनाए रखते हैं तथा झड़ते बालों को रोकने में मदद करते हैं।

गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि

आवश्यक सामग्री

  • मिट्टी का पात्र या गमला
  • अच्छी गुणवत्ता वाला गेहूँ
  • खाद मिली मिट्टी

प्रक्रिया

  1. मिट्टी के पात्र में गेहूँ के दाने बो दें।
  2. प्रतिदिन पानी डालें और उन्हें छायादार स्थान पर रखें।
  3. लगभग 7-8 दिन में गेहूँ के ज्वारे 5-7 इंच तक हो जाएंगे।
  4. इस अवस्था में ज्वारे में सबसे अधिक औषधीय गुण होते हैं।

ज्वारे का रस निकालने की विधि

  1. ज्वारों को काटकर अच्छे से धो लें।
  2. मिक्सी, चटनी बनाने वाली मशीन या हाथ से कूटकर रस निकालें।
  3. कपड़े से छानकर रस तुरंत पिएं, क्योंकि तीन घंटे बाद इसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
  4. सुबह खाली पेट सेवन करना सबसे लाभकारी माना गया है।

सेवन में सावधानियाँ

  • रस लेने के आधे घंटे पहले और बाद में कुछ न खाएँ।
  • शुरुआत में कुछ लोगों को उल्टी, दस्त या सर्दी हो सकती है, लेकिन यह शरीर से विष निकलने की निशानी है।
  • नमक या नींबू रस में न मिलाएँ।
  • चाहें तो स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें अदरक या शहद मिला सकते हैं।

क्यों है खास गेहूँ के ज्वारे का रस?

  • यह दूध और मांस से कई गुना अधिक पोषक है।
  • गरीब से गरीब व्यक्ति भी इसे घर पर उगा सकता है।
  • सभी उम्र के लोग इसे ले सकते हैं, यहाँ तक कि नवजात शिशु को भी इसकी कुछ बूँदें दी जा सकती हैं।
  • इसमें मौजूद विटामिन A, B, C, E और K शरीर की सभी ज़रूरी ज़रूरतों को पूरा करते हैं।

गेहूँ के ज्वारे कोई जादुई इलाज नहीं हैं, लेकिन इनके फायदे इतने व्यापक हैं कि इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अगर सही तरीके से नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह शरीर को ऊर्जा, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और दीर्घायु प्रदान कर सकते हैं। आधुनिक चिकित्सा के साथ यदि इन्हें अपनाया जाए तो निश्चित ही यह जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मददगार सिद्ध होंगे

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