आप रोज़ खा रहे हैं ज़हर! यह तेल धीरे-धीरे कर रहा है मौत की तैयारी…

Health

हाइलाइट्स

  • Toxic Oil की बढ़ती समस्या पर नई रिपोर्ट, आम रसोइयों में भी घातक खतरा
  • आर्गेमोन‑मिलावटी सरसों तेल से एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत
  • FSSAI ने 25 % TPC पार करने वाले Used Cooking Oil पर सख़्त चेतावनी जारी की
  • WHO ने ट्रांस फैट‑मुक्त पहल में भारत को तेजी लाने को कहा (World Health Organization)
  • विशेषज्ञ बोले—‘Toxic Oil’ पहचानें, लेबल पढ़ें और बार‑बार गरम तेल से बचें

‘Toxic Oil’ का खतरनाक फैलाव: समस्या कितनी बड़ी है?

भारत के अलग‑अलग राज्यों से Toxic Oil के कारण पैदा हुई बीमारियों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। Observer Research Foundation की जून 2025 रिपोर्ट में बताया गया कि सड़क किनारे ढाबों के 62 % नमूनों में इस्तेमाल किया गया तेल तय कुल ध्रुवीय यौगिक (TPC) सीमा से ऊपर पाया गया, जिससे वह सीधे Toxic Oil श्रेणी में आ जाता है। आम उपभोक्ता अक्सर नहीं समझ पाता कि रोज़ाना के खाने में मिलने वाला साधारण‑सा तेल कब Toxic Oil में बदल जाता है।

‘Toxic Oil’ बनता कैसे है?

री‑यूज़्ड कुकिंग ऑयल और Trans Fat

एक ही तेल को बार‑बार तलने से ऑक्सीकरण व पॉलिमराइज़ेशन की प्रक्रिया होती है, जो ट्रांस फैट के स्तर को बढ़ाती है। यही ट्रांस फैट Toxic Oil का मूल कारण है। WHO की ‘REPLACE’ कार्य योजना 2025 तक दुनिया को ट्रांस फैट‑मुक्त बनाने पर ज़ोर दे रही है, लेकिन भारत में लाखों लोग अब भी Toxic Oil का सेवन कर रहे हैं।(World Health Organization)

सरसों तेल में आर्गेमोन मिलावट

पंजाब के नाभा में 2024 में घटी घटना ने देश को चौंका दिया, जब आर्गेमोन‑मिलावटी सरसों तेल—साफ़ तौर पर Toxic Oil—के सेवन से एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई। ऐसा ही पैटर्न 1998 के दिल्ली ड्रॉप्सी कांड में भी देखा गया था, जहाँ 65 से अधिक लोगों की जान गई थी, कारण वही Toxic Oil

सरकारी नीतियाँ: Toxic Oil पर शिकंजा कसने की कोशिश

FSSAI की TPC‑25 % सीमा क्यों अहम है?

FSSAI के निर्देश के अनुसार, जब भी तेल का TPC स्तर 25 % पार करे, उसे खाद्य उपयोग से हटाकर बायो‑डीज़ल या अन्य औद्योगिक इस्तेमाल में भेजना अनिवार्य है; वरना वह Toxic Oil मानकर ज़ब्त किया जाएगा। यह मानक बाज़ार से Toxic Oil को जड़ से खत्म करने के लिए तय किया गया है।

WHO और Toxic Oil‑मुक्त दुनिया का लक्ष्य

जनवरी 2024 में WHO ने पाँच देशों को ट्रांस फैट‑मुक्त होने का प्रमाण‑पत्र दिया। भारत ने भी 2 % से कम ट्रांस फैट नियम लागू किया है, लेकिन धीमा क्रियान्वयन Toxic Oil को बढ़ावा दे रहा है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव: Toxic Oil किस तरह मारक सिद्ध होता है?

कार्डियोवस्कुलर डिज़ीज़

ट्रांस फैट‑युक्त Toxic Oil शरीर में LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता और HDL को घटाता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा दोगुना हो जाता है।

ड्रॉप्सी और लिवर‑किडनी फेलियर

आर्गेमोन‑दूषित Toxic Oil रक्त में मेथ‑हिमोग्लोबिन बनाता है, जिससे लाल रक्त कणिकाएँ नष्ट होती हैं और ड्रॉप्सी, यकृत तथा गुर्दे की विफलता होती है

कैंसर का जोखिम

लंबे समय तक Toxic Oil के सेवन से बनने वाले पॉलीसाइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन (PAH) को IARC ने ग्रुप‑1 कार्सिनोजेन घोषित किया है।

व्यावहारिक जांच सूची: Toxic Oil से बचाव

घर में

  • तेल का रंग गहरा भूरा या गंध तेज़ हो तो समझें कि यह Toxic Oil हो चुका है।
  • एक ही तेल को तीन बार से अधिक गरम न करें; चौथी बार यह निश्चित रूप से Toxic Oil बनेगा।
  • लेबल पर ट्रांस फैट ≤ 0.2 ग्राम/100 ग्राम देखना ज़रूरी है, अन्यथा वह Toxic Oil का जोखिम बढ़ाता है।

बाज़ार में

  • विक्रेताओं से पूछें कि Used Cooking Oil कहाँ जमा करते हैं; जवाब न मिलने पर समझें कि खाना Toxic Oil में पका है।
  • सरसों या अन्य तेल ब्रांड पर BIS‑ISI मार्क देखें; नकली मुहर वाले उत्पाद अक्सर Toxic Oil निकलते हैं।
  • राज्य खाद्य प्रयोगशालाओं की ब्लैक‑लिस्ट चेक करें, जिससे Toxic Oil बेचने वाली कंपनियाँ पहचानी जा सकें।

विशेषज्ञों की सलाह

पोषण विशेषज्ञ डॉ. अंजलि सेन कहती हैं, “हर भारतीय रसोई में तेल अनिवार्य है, पर यदि वह Toxic Oil बन जाए तो हृदय और लीवर पर पहला वार करता है।” उनका सुझाव है कि ओमेगा‑3 युक्‍त अलसी तेल या शुद्ध फिल्टर सरसों तेल का सीमित उपयोग Toxic Oil के खतरे को कम करता है।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नीलाभ के अनुसार, “जो तेल 200 °से. से ऊपर धुआँ छोड़ने लगे, वह Toxic Oil का शुरुआती संकेत है; तुरंत त्याग दें।”

Toxic Oil से जंग आपकी थाली से शुरू होती है

सरकारी कानून तभी कारगर होंगे जब उपभोक्ता स्वयं Toxic Oil के खिलाफ आवाज़ उठाएँगे। अपने किचन, रेस्तराँ और स्थानीय भट्ठियों में यह सुनिश्चित करें कि पकवान पौष्टिक हों, न कि Toxic Oil के छुपे ज़हर से भरपूर। याद रखें, ज़रा‑सी लापरवाही आजीवन पछतावे में बदल सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *