थायरॉइड की बीमारी क्यों बन रही है हर तीसरे व्यक्ति की समस्या? खासकर महिलाओं में खतरे की घंटी

Health

हाइलाइट्स

  • थायरॉइड की बीमारी आज हर तीसरे व्यक्ति को प्रभावित कर रही है, विशेष रूप से महिलाएं हैं सबसे अधिक शिकार
  • हार्मोनल असंतुलन, तनाव और खराब जीवनशैली से बढ़ रहा है खतरा
  • शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना हो सकता है खतरनाक
  • सही डायग्नोसिस और नियमित जांच से रोका जा सकता है गंभीर स्थिति को
  • आयुर्वेद, योग और संतुलित आहार से मिल सकती है राहत

आज के समय में थायरॉइड की बीमारी एक आम लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। शहरों से लेकर गांवों तक, इस हार्मोनल गड़बड़ी ने हर तीसरे व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लिया है। खास बात यह है कि यह बीमारी महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कई गुना अधिक पाई जाती है। भारत जैसे देश में जहां स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभी भी एक चुनौती है, वहां थायरॉइड की बीमारी का समय पर पता लगना और सही इलाज मिलना बेहद ज़रूरी है।

थायरॉइड ग्रंथि क्या है और इसका कार्य

थायरॉइड ग्रंथि गर्दन के सामने स्थित एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो थायरॉइड हार्मोन (T3 और T4) का निर्माण करती है। यह हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबोलिज्म, ऊर्जा स्तर, वजन, हृदय गति और मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

अगर यह ग्रंथि बहुत अधिक हार्मोन बनाती है तो उसे हाइपरथायरॉइडिज्म कहा जाता है, और अगर कम बनाती है तो वह हाइपोथायरॉइडिज्म कहलाता है। दोनों ही स्थितियाँ शरीर को अनेक तरीकों से प्रभावित करती हैं।

थायरॉइड की बीमारी के प्रमुख कारण

हार्मोनल असंतुलन

महिलाओं में प्रेग्नेंसी, पीरियड्स और मेनोपॉज़ के दौरान हार्मोनल बदलाव ज्यादा होते हैं, जो थायरॉइड की बीमारी के विकास को बढ़ावा देते हैं।

आयोडीन की कमी या अधिकता

शरीर में आयोडीन का संतुलन बिगड़ने से थायरॉइड ग्रंथि प्रभावित होती है। भारत के कुछ हिस्सों में अभी भी आयोडीन की कमी एक बड़ी समस्या है।

तनाव और अव्यवस्थित जीवनशैली

लगातार मानसिक तनाव और असंतुलित दिनचर्या भी थायरॉइड की बीमारी को जन्म देती है। नींद की कमी, जंक फूड और शारीरिक गतिविधि का अभाव इसका कारण बनते हैं।

आनुवंशिकता

अगर परिवार में किसी को थायरॉइड है तो अगली पीढ़ी को भी इसका खतरा अधिक होता है।

थायरॉइड की बीमारी के लक्षण – नजरअंदाज न करें

हाइपोथायरॉइडिज्म (थायरॉइड हार्मोन की कमी)

  • थकान और ऊर्जा की कमी
  • अचानक वजन बढ़ना
  • ठंड अधिक लगना
  • याददाश्त कमजोर होना
  • डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन

हाइपरथायरॉइडिज्म (थायरॉइड हार्मोन की अधिकता)

  • अत्यधिक पसीना आना
  • वजन का तेजी से घटना
  • हृदय गति तेज होना
  • नींद न आना
  • चिंता और घबराहट

महिलाओं में क्यों ज्यादा होती है थायरॉइड की बीमारी?

विशेषज्ञ मानते हैं कि महिलाओं के हार्मोनल चक्र अधिक जटिल होते हैं, जिससे थायरॉइड की बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है। प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज़ के दौरान थायरॉइड फंक्शन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा महिलाएं मानसिक तनाव अधिक झेलती हैं, जो थायरॉइड को असंतुलित कर सकता है।

थायरॉइड की बीमारी का परीक्षण कैसे होता है?

थायरॉइड की स्थिति का पता लगाने के लिए मुख्यतः तीन तरह की जांच होती हैं:

  • TSH (Thyroid Stimulating Hormone)
  • T3 (Triiodothyronine)
  • T4 (Thyroxine)

यदि टीएसएच का स्तर असामान्य पाया जाता है तो आगे की जांच की जाती है। कभी-कभी अल्ट्रासाउंड या थायरॉइड स्कैन की भी आवश्यकता पड़ती है।

थायरॉइड की बीमारी का इलाज – दवा, आहार और आयुर्वेद

एलोपैथिक इलाज

एलोपैथी में आमतौर पर हाइपोथायरॉइड के लिए लेवोथायरॉक्सिन नामक दवा दी जाती है। यह दवा रोज़ सुबह खाली पेट ली जाती है और इसकी डोज़ डॉक्टर के निर्देशानुसार ही तय होती है।

आयुर्वेदिक उपाय

  • त्रिफला, अश्वगंधा और गिलोय का नियमित सेवन लाभकारी
  • नस्य क्रिया से ग्रंथि को सक्रिय किया जा सकता है
  • योगासन जैसे सर्वांगासन, मत्स्यासन और भ्रामरी प्राणायाम से भी थायरॉइड नियंत्रण में आता है

खानपान पर ध्यान

  • आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें
  • सोया, गोभी, ब्रोकली जैसी सब्ज़ियों का सीमित सेवन
  • अधिक मीठा और प्रोसेस्ड फूड से बचें
  • पर्याप्त पानी पिएं और समय पर भोजन करें

थायरॉइड की बीमारी से कैसे बचें?

  • साल में कम से कम एक बार थायरॉइड की जांच कराएं
  • तनाव से दूर रहें और पर्याप्त नींद लें
  • रोज़ योग या हल्का व्यायाम करें
  • खानपान में संतुलन बनाए रखें
  • अपने शरीर के छोटे-छोटे लक्षणों को नजरअंदाज न करें

थायरॉइड की बीमारी एक साइलेंट डिसऑर्डर है जो धीरे-धीरे शरीर की सभी क्रियाओं को प्रभावित कर सकता है। खासकर महिलाओं के लिए यह एक गंभीर विषय है, जिसे समय रहते पहचानना और इलाज करना आवश्यक है। यदि आप अनियमित वजन, थकान, या मानसिक बेचैनी महसूस कर रहे हैं, तो एक बार थायरॉइड की जांच अवश्य कराएं। जीवनशैली में थोड़े से बदलाव और सही दिशा में इलाज से इस बीमारी को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

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