हाइलाइट्स
- शुगर लेवल कंट्रोल न होने की एक छिपी वजह हो सकती है आपकी नींद की कमी
- नींद की गड़बड़ी से बढ़ते हैं स्ट्रेस हार्मोन, जिससे बिगड़ता है शुगर मेटाबॉलिज्म
- इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है कम नींद लेना
- रात को समय पर सोना और सुबह जल्दी उठना जरूरी है शुगर लेवल कंट्रोल के लिए
- आयुर्वेदिक हर्ब्स और जीवनशैली सुधार के साथ नींद सुधारें, तभी होगा संपूर्ण नियंत्रण
शुगर लेवल कंट्रोल नहीं हो रहा? हो सकता है कारण आपकी नींद में छिपा हो
क्या आप भी डायबिटीज के मरीज हैं और तमाम उपायों के बावजूद शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं आ रहा? यह केवल खानपान या दवा का मामला नहीं है, आपकी नींद की गुणवत्ता और समय भी इसके पीछे एक बड़ा कारण हो सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट और प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. दीक्षा भावसार कहती हैं कि नींद का शुगर लेवल से गहरा और वैज्ञानिक रिश्ता है।
नींद क्यों है शुगर लेवल कंट्रोल का आधार?
नींद से तय होता है मेटाबॉलिज्म का संतुलन
जब हम पर्याप्त और गुणवत्ता पूर्ण नींद नहीं लेते, तो शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक यानी जैविक घड़ी गड़बड़ा जाती है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और शरीर शुगर को प्रोसेस नहीं कर पाता। इसका सीधा असर शुगर लेवल कंट्रोल पर पड़ता है।
कॉर्टिसोल और घ्रेलिन हार्मोन बढ़ाते हैं खतरा
डॉ. दीक्षा बताती हैं कि कम नींद से शरीर में कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) और घ्रेलिन (भूख बढ़ाने वाला हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है। ये हार्मोन शरीर को ज्यादा खाने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे इंसुलिन का काम प्रभावित होता है और शुगर लेवल कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।
इंसुलिन रेसिस्टेंस का सीधा संबंध है नींद की गुणवत्ता से
कैसे नींद की कमी बढ़ाती है इंसुलिन रेसिस्टेंस?
जब शरीर थका हुआ होता है और पूरी नींद नहीं मिलती, तो शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रहतीं। इससे ग्लूकोज कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता और रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। यही इंसुलिन रेसिस्टेंस डायबिटीज को जड़ से बढ़ाता है।
क्या कहते हैं शोध?
National Sleep Foundation की एक रिसर्च के अनुसार, जो लोग प्रतिदिन 6 घंटे से कम सोते हैं, उनमें शुगर लेवल कंट्रोल की क्षमता 45% तक घट जाती है। वहीं, जो लोग 7-8 घंटे की नींद लेते हैं, उनका शुगर प्रोफाइल अधिक संतुलित रहता है।
समय पर सोना और जागना क्यों है जरूरी?
रात 10 बजे से पहले सोना बनाएं आदत
आयुर्वेद के अनुसार, रात 10 बजे से पहले सो जाना और सुबह 6 बजे तक उठ जाना शरीर की प्राकृतिक लय के अनुकूल होता है। इससे हार्मोन संतुलन में रहते हैं और मेटाबॉलिज्म तेज़ रहता है, जिससे शुगर लेवल कंट्रोल में मदद मिलती है।
क्या कहते हैं आधुनिक विशेषज्ञ?
डॉ. दीक्षा कहती हैं कि नींद की गुणवत्ता के लिए डार्क, कूल और साइलेंट माहौल जरूरी है। इसके अलावा सोने से पहले मोबाइल या स्क्रीन टाइम कम करना भी अनिवार्य है, जिससे मेलाटोनिन हार्मोन अच्छी तरह से काम कर सके।
शुगर लेवल कंट्रोल में कैसे मदद करता है आयुर्वेद?
आयुर्वेदिक उपाय जो नींद और शुगर दोनों सुधारें
- त्रिफला चूर्ण: रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लेने से पाचन और नींद दोनों सुधरते हैं
- अश्वगंधा: यह स्ट्रेस हार्मोन को कम करता है और नींद को बेहतर बनाता है, जिससे शुगर लेवल कंट्रोल होता है
- जटामांसी और ब्राह्मी टी: ये जड़ी-बूटियां दिमाग को शांत करती हैं और नींद गहरी करती हैं
साथ में अपनाएं यह दिनचर्या
- हर दिन एक तय समय पर सोना और जागना
- दिन में कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी
- रिफाइंड शुगर और पैकेज्ड फूड से परहेज़
- स्क्रीन टाइम को 9 बजे के बाद पूरी तरह बंद करना
नींद को लेकर आम गलतफहमियां
“मैं 5-6 घंटे सो लेता हूं, काफी है”
गलत। शरीर को पुनर्निर्माण और हार्मोन संतुलन के लिए कम से कम 7-8 घंटे की गहरी नींद जरूरी होती है।
“दवाई से ही सब कंट्रोल हो जाएगा”
आधा सच। दवाइयां मदद कर सकती हैं, लेकिन जब तक नींद, खानपान और जीवनशैली नहीं सुधरेगी, शुगर लेवल कंट्रोल पूरी तरह नहीं हो सकता।
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शुगर लेवल कंट्रोल की पहली कुंजी—नींद
डायबिटीज केवल खानपान या दवा से नहीं, जीवनशैली से भी जुड़ी बीमारी है। यदि आप वाकई शुगर लेवल कंट्रोल करना चाहते हैं, तो अपने नींद के पैटर्न को प्राथमिकता दें। जब तक नींद संतुलित नहीं होगी, इंसुलिन ठीक से काम नहीं करेगा और शुगर का स्तर लगातार असंतुलित रहेगा।
इसलिए, आज से ही रात जल्दी सोना, स्क्रीन टाइम कम करना, और आयुर्वेदिक सपोर्ट को अपनाएं। तभी आप एक स्वस्थ और डायबिटीज-फ्री जीवन की ओर बढ़ सकते हैं।