2008 से 2017 के बीच जन्मे 1.5 करोड़ युवाओं पर पेट के कैंसर का खतरा, चीन और भारत सबसे बड़े हॉटस्पॉट

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Table of Contents

हाइलाइट्स

  • साल 2008 से 2017 के बीच जन्मे युवाओं में Stomach Cancer होने की आशंका जताई गई है
  • भारत और चीन में सबसे ज्यादा मामले सामने आने की संभावना
  • हेलिकोबैक्टर पायलोरी बैक्टीरिया बन रहा है प्रमुख कारण
  • ग्लोबोकैन 2022 डाटा और संयुक्त राष्ट्र के जनसांख्यिकीय विश्लेषण से हुआ खुलासा
  • समय रहते जांच और इलाज से 75% तक मामलों में हो सकती है कमी

भारत और चीन बन सकते हैं पेट के कैंसर के नए केंद्र

दुनियाभर में कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या ने वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को नई चिंता में डाल दिया है। Stomach Cancer को लेकर जारी एक ताज़ा वैश्विक रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) द्वारा किए गए इस अध्ययन में यह दावा किया गया है कि साल 2008 से 2017 के बीच जन्मे लगभग 1.5 करोड़ लोग अपने जीवनकाल में कभी न कभी पेट के कैंसर यानी Stomach Cancer से ग्रसित हो सकते हैं।

यह अध्ययन नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें शोधकर्ताओं ने ग्लोबोकैन 2022 डाटाबेस और संयुक्त राष्ट्र जनसांख्यिकीय आंकड़ों का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष निकाला है। चिंताजनक बात यह है कि इसमें सबसे अधिक मामले भारत और चीन में सामने आ सकते हैं।

एशिया बन सकता है वैश्विक Stomach Cancer हॉटस्पॉट

दो-तिहाई मामले केवल एशिया में

शोधकर्ताओं का कहना है कि अनुमानित 1.5 करोड़ मामलों में से दो-तिहाई से अधिक केवल एशियाई देशों में दर्ज किए जा सकते हैं। अकेले भारत और चीन में अनुमानित 65 लाख मामले सामने आने की आशंका है। इनमें भारत में Stomach Cancer के मामलों की संख्या 1,657,670 तक जा सकती है यदि वर्तमान रोकथाम प्रयासों में कोई बदलाव नहीं किया गया।

उप-सहारा अफ्रीका में भी उछाल

रिपोर्ट यह भी बताती है कि उप-सहारा अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में, जहां फिलहाल इस रोग का बोझ कम है, वहां आने वाले वर्षों में Stomach Cancer के मामलों में छह गुना वृद्धि देखी जा सकती है।

Stomach Cancer के पीछे सबसे बड़ा कारण: हेलिकोबैक्टर पायलोरी

यह बैक्टीरिया कैसे बनता है खतरनाक?

शोध में सामने आया है कि लगभग 76 प्रतिशत Stomach Cancer के मामलों के पीछे हेलिकोबैक्टर पायलोरी नामक एक सामान्य लेकिन खतरनाक बैक्टीरिया जिम्मेदार है। यह बैक्टीरिया लंबे समय तक पेट में रहने से वहां की म्यूकोसा परत को नुकसान पहुंचाता है, जिससे धीरे-धीरे कैंसर कोशिकाएं विकसित हो सकती हैं।

क्या है इसका इलाज?

विशेषज्ञों के अनुसार हेलिकोबैक्टर पायलोरी संक्रमण की समय रहते पहचान और प्रभावी एंटीबायोटिक उपचार से Stomach Cancer के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर दूषित पानी या भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।

रोकथाम के उपाय: जनसांख्यिकीय जांच से मिल सकती है राहत

स्क्रीनिंग और टीकाकरण जरूरी

शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि वर्तमान नियंत्रण उपायों को और प्रभावी बनाया जाए, विशेष रूप से हेलिकोबैक्टर पायलोरी की समयबद्ध जांच और इलाज को प्राथमिकता दी जाए, तो Stomach Cancer के अनुमानित मामलों में 75% तक की कमी लाई जा सकती है।

भारत जैसे देशों में बड़ी जनसंख्या को देखते हुए जनसांख्यिकीय स्तर पर जांच और शिक्षा अभियान की जरूरत है। स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाकर इस रोग की शुरुआत को रोका जा सकता है।

युवाओं में Stomach Cancer का खतरा क्यों बढ़ा?

बदलती जीवनशैली और खानपान का असर

आज के युवाओं में फास्ट फूड, प्रोसेस्ड मीट और अधिक नमक के सेवन का चलन बढ़ा है। इसके साथ ही तंबाकू और शराब के सेवन ने भी Stomach Cancer के खतरे को कई गुना बढ़ा दिया है।

तनाव और मानसिक स्वास्थ्य का भी असर

आधुनिक जीवनशैली में बढ़ता तनाव, नींद की कमी और मानसिक असंतुलन भी पाचन तंत्र को कमजोर करते हैं, जिससे पेट की बीमारियों के साथ Stomach Cancer का खतरा भी बढ़ जाता है।

विशेषज्ञों की राय

डॉ. राकेश मेहरा, ऑन्कोलॉजिस्ट, एम्स, दिल्ली:
“अगर हम हेलिकोबैक्टर पायलोरी की जांच को स्वास्थ्य सेवाओं का अनिवार्य हिस्सा बना दें, तो Stomach Cancer के मामले काफी हद तक कम हो सकते हैं। इसके अलावा लोगों को खानपान और जीवनशैली में सुधार लाने की आवश्यकता है।”

डॉ. नीलम अवस्थी, गैस्ट्रो स्पेशलिस्ट, फोर्टिस हॉस्पिटल, मुंबई:
“हमने देखा है कि युवाओं में Stomach Cancer के मामले पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। यह रिपोर्ट हमें चेतावनी देती है कि अब सजग होने का समय आ गया है।”

 सतर्कता ही सुरक्षा है

विश्वभर में पेट के कैंसर यानी Stomach Cancer की बढ़ती घटनाएं आने वाले समय में गंभीर स्वास्थ्य संकट का कारण बन सकती हैं। खासकर भारत जैसे विकासशील देशों में जहां स्वास्थ्य संसाधन सीमित हैं, वहां जनसाधारण को जागरूक बनाना और सस्ती जांच सेवाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य हो गया है।

अगर समय रहते हेलिकोबैक्टर पायलोरी संक्रमण की पहचान और इलाज कर लिया जाए, तो Stomach Cancer को एक हद तक रोका जा सकता है। इसके लिए सरकार, चिकित्सा संस्थान और समाज को मिलकर काम करना होगा

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