Mental Health Awareness:मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर वैश्विक पहल: भारत में क्या हो रहा बदलाव

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हाइलाइट्स

  • Mental Health Awareness पर जागरूकता बढ़ाने के लिए WHO ने नया वैश्विक अभियान शुरू किया
  • भारत में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में बीते तीन वर्षों में 40% की बढ़ोतरी
  • युवा वर्ग में बढ़ती anxiety और depression के कारण शिक्षा एवं करियर पर असर
  • टेली-काउंसलिंग सेवाओं और डिजिटल थेरेपी प्लेटफॉर्म की मांग तेजी से बढ़ रही
  • सरकारी और निजी क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर नई नीतियां बन रही हैं

Table of Contents

मानसिक स्वास्थ्य: आज की सबसे बड़ी अनदेखी चुनौती

जब हम स्वास्थ्य की बात करते हैं, तो अक्सर शारीरिक बीमारियों की चर्चा होती है। लेकिन आज के डिजिटल, प्रतिस्पर्धात्मक और तेज़ भागती दुनिया में Mental Health Awareness की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक हो गई है। मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और सबसे चिंता की बात यह है कि बड़ी संख्या में लोग अब भी इससे जुड़ी समस्याओं को स्वीकार करने से डरते हैं।

WHO की नई रिपोर्ट और भारत की स्थिति

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने Mental Health Awareness पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि विश्व स्तर पर हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित है। भारत में यह संख्या और भी गंभीर है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2024 तक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में 40% की वृद्धि दर्ज की गई है।

युवाओं पर सबसे ज्यादा प्रभाव

कॉलेज के छात्र, कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स, और यहां तक कि स्कूल जाने वाले बच्चे भी अब stress, anxiety, और depression जैसी मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। डिजिटल डिवाइसेज़ की बढ़ती निर्भरता, सोशल मीडिया का दबाव और असफलता का डर युवाओं में मानसिक अस्वस्थता को बढ़ा रहा है।

टेली-काउंसलिंग और डिजिटल थेरेपी: उम्मीद की नई किरण

कोविड-19 महामारी के बाद भारत में Mental Health Awareness को लेकर नई दिशा देखी गई है। अब लोग मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर बात करने लगे हैं। इससे टेली-काउंसलिंग सेवाओं और डिजिटल थेरेपी प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म्स की भूमिका

आज भारत में कई ऐसे स्टार्टअप उभर कर सामने आए हैं, जो Mental Health Awareness को केंद्र में रखकर सेवाएं दे रहे हैं, जैसे कि BetterHelp India, MindPeers, YourDost आदि। इन प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए लोग गुमनाम रूप से मदद ले सकते हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जुड़ा कलंक कुछ हद तक कम हो रहा है।

सामाजिक और पारिवारिक सहयोग की भूमिका

समाज और परिवार का सहयोग मानसिक रोगों से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण है। जब कोई व्यक्ति मानसिक तनाव में होता है, तब उसका सबसे बड़ा सहारा उसका परिवार होता है। भारत में अब धीरे-धीरे यह समझ बढ़ रही है कि मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य।मानसिक स्वास्थ्य को लेकर रूढ़ियाँ

अब भी देश के कई हिस्सों में मानसिक बीमारियों को पागलपन समझा जाता है। यही कारण है कि लोग डॉक्टरी सलाह लेने से हिचकिचाते हैं। Mental Health Awareness अभियान का मुख्य उद्देश्य इन रूढ़ियों को तोड़ना और लोगों को सही जानकारी देना है।

सरकारी योजनाएँ और नीतियाँ

भारत सरकार ने Mental Health Awareness को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। National Mental Health Programme (NMHP) को और प्रभावी बनाया जा रहा है। इसके अलावा 2025 तक हर जिले में मानसिक स्वास्थ्य सेवा केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।

स्कूल और कॉलेज स्तर पर पहल

NCERT और UGC अब पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियाँ जोड़ रहे हैं। कई कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य पर वर्कशॉप और सेमिनार अनिवार्य किए जा रहे हैं। यह कदम Mental Health Awareness को जमीनी स्तर पर लाने की दिशा में अहम साबित हो सकते हैं।

क्या कहती है मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय?

मानसिक रोग विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत में Mental Health Awareness को जन-आंदोलन बनाया जाए, तो आत्महत्या की दर और कार्यस्थल पर उत्पादकता की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।

विशेषज्ञों के सुझाव:

  • नियमित योग और ध्यान का अभ्यास
  • सोशल मीडिया पर सीमित समय
  • खुलकर बातचीत करने की आदत
  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए समय निकालना

मानसिक स्वास्थ्य पर चुप्पी नहीं, संवाद ज़रूरी

आज समय की मांग है कि हम Mental Health Awareness को गंभीरता से लें। यह सिर्फ डॉक्टरों या सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे समाज की साझी ज़िम्मेदारी है। जब मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात होगी, तभी हम एक स्वस्थ और खुशहाल राष्ट्र की ओर बढ़ पाएंगे।

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