हाइलाइट्स
- Kidney Stone Breaker को आयुर्वेद में भुंई आंवला के रूप में जाना जाता है, जो गुर्दे की पथरी को तोड़ने के लिए एक शक्तिशाली औषधीय पौधा है।
- भुंई आंवला में मौजूद यौगिक कैल्शियम ऑक्सलेट क्रिस्टल्स को बनने से रोकते हैं।
- अमेजन जंगल से लेकर भारत के खेतों तक, यह पौधा अब आधुनिक शोध का विषय बन चुका है।
- इसका रस, काढ़ा या पाउडर कई बीमारियों में उपयोगी माना गया है, जैसे लिवर, डायबिटीज, त्वचा रोग।
- वैज्ञानिक शोधों ने भी ‘Kidney Stone Breaker’ के तौर पर भुंई आंवला की पुष्टि की है।
भुंई आंवला: आयुर्वेद का चमत्कारी ‘Kidney Stone Breaker’
जब बात गुर्दे की पथरी यानी Kidney Stone की आती है, तो दर्द असहनीय हो सकता है। यह एक ऐसी समस्या है जिससे न केवल मूत्रमार्ग में जलन होती है, बल्कि कभी-कभी सर्जरी तक की नौबत आ जाती है। पर क्या आपको पता है कि आयुर्वेद में इसका एक बेहद प्रभावी और प्राकृतिक उपाय मौजूद है — भुंई आंवला, जिसे अंग्रेजी में ‘Kidney Stone Breaker’ के नाम से जाना जाता है?
क्या है भुंई आंवला?
भुंई आंवला (वैज्ञानिक नाम: Phyllanthus niruri) एक छोटा-सा पौधा है, जो ज़मीन के बेहद करीब उगता है। इसके पत्ते आम आंवले जैसे दिखते हैं, और यही कारण है कि इसे ‘भुंई’ (ज़मीन पर) और ‘आंवला’ (पत्तों की बनावट के कारण) कहा जाता है। यह पौधा भारत, चीन, ब्राजील, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे ट्रॉपिकल इलाकों में पाया जाता है।
कैसे काम करता है यह ‘Kidney Stone Breaker’?
स्टोन बनने से पहले ही रोकथाम
भुंई आंवला में पाए जाने वाले नेचुरल यौगिक कैल्शियम ऑक्सलेट क्रिस्टल्स को बनने से पहले ही रोकते हैं। यह वही क्रिस्टल्स हैं जो आगे चलकर किडनी स्टोन बनाते हैं।
पहले से मौजूद पथरी को भी करता है खत्म
भुंई आंवला के अर्क में एंटी-क्रिस्टलाइन गुण होते हैं, जो पहले से मौजूद पथरी को तोड़कर उसे पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में सहायक होते हैं।
रिसर्च क्या कहता है?
यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि Phyllanthus niruri के सेवन से मूत्र में पाए जाने वाले मिनरल्स का संतुलन इस प्रकार प्रभावित होता है कि स्टोन का निर्माण रुक जाता है। साथ ही यह मौजूद स्टोन्स को छोटा और मुलायम बनाकर उन्हें आसानी से शरीर से बाहर निकाल देता है।
सिर्फ किडनी स्टोन नहीं, और भी कई रोगों में लाभदायक
लिवर की सुरक्षा में सहायक
भुंई आंवला को आयुर्वेद में एक शक्तिशाली हेपाटोप्रोटेक्टिव औषधि माना गया है। यह लिवर की सूजन, फैटी लिवर और जॉन्डिस जैसी समस्याओं में असरकारी है।
डायबिटीज और एनीमिया में राहत
इस पौधे में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और खनिज तत्व होते हैं जो ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखने में मदद करते हैं। इसके साथ ही आयरन की भरपूर मात्रा के कारण यह एनीमिया में भी कारगर है।
त्वचा रोग और इम्युनिटी बूस्टर
भुंई आंवला त्वचा से जुड़ी एलर्जी, खुजली, एक्जिमा जैसी समस्याओं में भी उपयोगी पाया गया है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
कैसे करें भुंई आंवला का सेवन?
जूस या काढ़ा
भुंई आंवला की ताजी पत्तियों या तने से निकाला गया रस सुबह खाली पेट पीना Kidney Stone Breaker की तरह काम करता है। यह लिवर डिटॉक्स में भी मदद करता है।
पाउडर का रूप
सूखे भुंई आंवला का पाउडर रोज सुबह-शाम आधा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेने से भी पथरी की समस्या में राहत मिलती है।
त्वचा पर लेप
त्वचा संबंधित रोगों में इसका पेस्ट बनाकर सीधे प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है। इसका शीतल प्रभाव सूजन और जलन को कम करता है।
डॉक्टरों और वैद्यों की राय
आयुर्वेदाचार्यों का मत
प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. दीपक जोशी के अनुसार, भुंई आंवला एक ऐसा पौधा है जिसे हम नजरअंदाज करते रहे हैं, जबकि यह Kidney Stone Breaker के रूप में विदेशों में बड़े स्तर पर शोध का विषय बना हुआ है।
आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों की सहमति
एम्स, दिल्ली के यूरोलॉजिस्ट डॉ. राहुल बत्रा के अनुसार, यदि प्रारंभिक अवस्था में ही पथरी की समस्या को समझ लिया जाए और भुंई आंवला को सही तरीके से लिया जाए, तो सर्जरी की आवश्यकता से बचा जा सकता है।
क्या सावधानी रखनी चाहिए?
✔ हमेशा प्रमाणित स्रोत से ही भुंई आंवला प्राप्त करें।
✔ गर्भवती महिलाएं या दवाइयों का नियमित सेवन करने वाले लोग इसका उपयोग डॉक्टर से सलाह के बाद ही करें।
✔ अत्यधिक मात्रा में सेवन से पेट में जलन या दस्त हो सकते हैं।
भुंई आंवला न केवल आयुर्वेद का खजाना है, बल्कि आधुनिक विज्ञान भी इसे Kidney Stone Breaker के रूप में मान्यता दे चुका है। यदि समय रहते इसका सेवन किया जाए, तो न केवल पथरी जैसी दर्दनाक स्थिति से बचा जा सकता है, बल्कि शरीर की संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बेहतर किया जा सकता है।