हाइलाइट्स
- Kidney failure के शुरुआती लक्षण अक्सर पैरों के ज़रिए मिलते हैं, जिन्हें नजरअंदाज़ करना घातक हो सकता है।
- लगातार सूजन, ऐंठन या झनझनाहट किडनी की खराबी के प्रमुख संकेत हो सकते हैं।
- समय रहते जांच कराने से गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है।
- भारत में हर साल लाखों लोग किडनी रोगों से पीड़ित होते हैं, लेकिन जागरूकता की कमी से स्थिति बिगड़ती है।
- केवल ब्लड और यूरिन टेस्ट से किडनी की स्थिति का आकलन संभव है।
शरीर के ‘साइलेंट सिग्नल्स’ को समझना ज़रूरी
हममें से अधिकतर लोग तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते जब तक बीमारी गंभीर न हो जाए। लेकिन शरीर कई बार चुपचाप गंभीर रोगों की चेतावनी देना शुरू कर देता है। Kidney failure ऐसी ही एक स्थिति है, जिसकी शुरुआत आमतौर पर सामान्य लगने वाले लक्षणों से होती है—विशेषकर पैरों में होने वाले बदलावों से।
पैरों में सूजन: चेतावनी का पहला संकेत
जब किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो शरीर से अतिरिक्त सोडियम और पानी बाहर नहीं निकल पाते। इसका सीधा असर पैरों पर पड़ता है, जहां सूजन आनी शुरू हो जाती है। सुबह उठते ही टखनों और पंजों में भारीपन या सूजन Kidney failure का शुरुआती संकेत हो सकता है।
Kidney failure से जुड़े अन्य संकेत जो पैरों में दिखते हैं
बार-बार ऐंठन और मांसपेशियों में खिंचाव
किडनी खराब होने पर इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे पैरों की मांसपेशियों में बिना किसी खास वजह के बार-बार ऐंठन हो सकती है। यह Kidney failure का गंभीर संकेत है, जिसे अनदेखा करना नुकसानदायक हो सकता है।
त्वचा में खुश्की और खुजली
जब किडनी शरीर से विषैले तत्वों को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती, तो यह त्वचा पर असर डालता है। खासकर पैरों की त्वचा सूखने लगती है और लगातार खुजली हो सकती है। Kidney failure के दौरान यह एक आम लक्षण है।
झनझनाहट या सुन्नपन
पैरों में लगातार झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होना भी Kidney failure की ओर इशारा करता है। इसका कारण है नसों पर बनने वाला दबाव और शरीर में जमा टॉक्सिन्स का असर।
Kidney failure की पुष्टि कैसे करें?
अगर उपरोक्त लक्षण लगातार एक हफ्ते से अधिक समय तक बने रहते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। Kidney failure की जांच के लिए निम्नलिखित सरल टेस्ट किए जाते हैं:
प्रमुख जांचें:
- क्रिएटिनिन और यूरिया लेवल की जांच (Blood Test)
- यूरिन एनालिसिस (Urine Test)
- GFR (Glomerular Filtration Rate) – किडनी की फ़िल्टरिंग क्षमता बताता है
- अल्ट्रासाउंड और CT स्कैन – संरचनात्मक गड़बड़ी का पता लगाने के लिए
Kidney failure का इलाज और प्रबंधन
आरंभिक स्थिति में:
- डाइट में बदलाव: कम सोडियम, कम प्रोटीन
- हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ को नियंत्रण में रखना
- पर्याप्त पानी पीना लेकिन डॉक्टर की सलाह के अनुसार
उन्नत स्थिति में:
- डायलिसिस: जब किडनी 90% से अधिक खराब हो चुकी हो
- किडनी ट्रांसप्लांट: अंतिम विकल्प
भारत में Kidney failure की स्थिति
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 2 लाख नए Kidney failure के केस सामने आते हैं। दुर्भाग्यवश इनमें से अधिकांश मामलों में रोगी तब डॉक्टर के पास पहुंचते हैं जब किडनी लगभग पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुकी होती है।
आंकड़े बताते हैं:
- 60% से अधिक मरीजों को देर से डायग्नोस किया जाता है
- 40% मरीजों को समय पर डायलिसिस की सुविधा नहीं मिलती
- ग्रामीण इलाकों में जागरूकता बेहद कम
Kidney failure से बचने के लिए क्या करें?
सतर्कता ही सुरक्षा है:
- नियमित हेल्थ चेकअप कराएं, खासकर यदि आपको हाई बीपी या डायबिटीज़ है
- हर दिन कम से कम 2-2.5 लीटर पानी पिएं (अगर डॉक्टर मना न करें तो)
- बहुत अधिक नमक, प्रोसेस्ड फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूरी बनाएं
- धूम्रपान और शराब से पूरी तरह परहेज करें
- नियमित व्यायाम करें और वजन को नियंत्रित रखें
शरीर की आवाज़ सुनिए, ज़िंदगी बचाइए
Kidney failure कोई अचानक होने वाली स्थिति नहीं है। यह धीरे-धीरे बढ़ने वाला रोग है जो समय रहते पकड़ा जाए तो रोका जा सकता है। शरीर खासकर पैर, कई संकेत पहले ही देने लगते हैं—बस हमें उन्हें समझने की ज़रूरत है। यदि आपके पैरों में लगातार सूजन, खुजली, झनझनाहट या ऐंठन हो रही है, तो इसे नजरअंदाज़ न करें। समय रहते जांच कराना ही समझदारी है।