हर 34 सेकंड में खत्म हो रही है एक जान: आखिर क्यों बन गई अमेरिका में दिल की बीमारी सबसे खतरनाक दुश्मन?

Health

हाइलाइट्स

  • दिल की बीमारी अमेरिका में हर साल करीब 10 लाख लोगों की जान ले रही है।
  • हर 34 सेकंड में एक अमेरिकी दिल की बीमारी से अपनी जिंदगी खो देता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर, बढ़ा कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और मोटापा इसके बड़े कारण हैं।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि कोलेस्ट्रॉल टेस्ट और ApoB टेस्ट से खतरे का जल्दी पता लगाया जा सकता है।
  • साल 2050 तक 18 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी दिल की बीमारी और उससे जुड़ी जटिलताओं से प्रभावित हो सकते हैं।

अमेरिका जैसे विकसित देश में जहां आधुनिक तकनीक, बेहतरीन अस्पताल और शोध संस्थान मौजूद हैं, वहां दिल की बीमारी का इतना बड़ा खतरा चिंता का विषय है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। हालिया आंकड़े बताते हैं कि साल 2022 में करीब 10 लाख अमेरिकियों की मौत दिल की बीमारी से हुई। इसका सीधा मतलब है कि हर 34 सेकंड में एक व्यक्ति की जान चली गई।

दिल की बीमारी का बढ़ता बोझ

आधे से ज्यादा अमेरिकी वयस्क प्रभावित

आंकड़े बताते हैं कि आधे से ज्यादा अमेरिकी वयस्क किसी न किसी तरह की दिल की बीमारी से जूझ रहे हैं। यह जरूरी नहीं कि सभी को इसकी जानकारी हो, कई बार बीमारी चुपचाप शरीर को नुकसान पहुंचाती रहती है।

मुख्य कारण

  • हाई ब्लड प्रेशर: लगातार बढ़ता ब्लड प्रेशर नसों पर दबाव डालता है और दिल की बीमारी को जन्म देता है।
  • कोलेस्ट्रॉल: खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) धमनियों को जाम कर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाता है।
  • मधुमेह: शुगर लेवल बढ़ने से दिल पर सीधा असर पड़ता है।
  • धूम्रपान: लंबे समय तक स्मोकिंग करने वालों में दिल की बीमारी का खतरा दोगुना बढ़ जाता है।
  • आनुवंशिक कारण: परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास होना भी बड़ा जोखिम है।

भविष्य की चुनौती

विशेषज्ञों का अनुमान है कि साल 2050 तक अमेरिका में 18 करोड़ से ज्यादा लोग हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे से प्रभावित होंगे। इसके साथ ही मधुमेह के मामले भी तेजी से बढ़ेंगे। यह स्थिति बताती है कि आने वाले वर्षों में दिल की बीमारी का बोझ और ज्यादा बढ़ सकता है।

कोलेस्ट्रॉल टेस्ट और उसका महत्व

खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL)

LDL को खराब कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है क्योंकि यह दिल और दिमाग की नसों को जाम करता है। अगर LDL का स्तर 60 मिलीग्राम/डीएल से ज्यादा हो जाए, तो दिल की बीमारी का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। डॉक्टरों का मानना है कि स्वस्थ व्यक्ति को LDL 100 से नीचे रखना चाहिए और जिन लोगों को पहले से दिल की बीमारी है, उन्हें इसे 70 से कम रखना चाहिए।

रिसर्च बताती है कि हर 39 मिलीग्राम/डीएल LDL कम करने पर दिल की बीमारी का खतरा 20% घट जाता है। यानी जितना कम LDL, उतना बेहतर।

अच्छा कोलेस्ट्रॉल (HDL)

HDL को हमेशा दिल का दोस्त माना गया है। हालांकि, शोध बताते हैं कि इसका असर हर इंसान पर समान नहीं होता। अलग-अलग नस्लों और समुदायों में HDL का प्रभाव अलग पाया गया है।

ApoB टेस्ट: दिल की बीमारी का सही संकेतक

ApoB टेस्ट क्यों जरूरी?

ApoB यानी एपोलिपोप्रोटीन बी टेस्ट को अब दिल की बीमारी की पहचान का सबसे सटीक तरीका माना जा रहा है। यह टेस्ट सीधे बताता है कि खून में कितने खतरनाक कण (जैसे LDL, VLDL, IDL) मौजूद हैं, जो धमनियों को बंद कर सकते हैं।

कोलेस्ट्रॉल टेस्ट बनाम ApoB टेस्ट

कई बार ऐसा होता है कि सामान्य कोलेस्ट्रॉल टेस्ट में खतरा कम दिखता है, लेकिन ApoB टेस्ट बताता है कि रिस्क वास्तव में ज्यादा है। हालिया अमेरिकी रिसर्च ने भी ApoB को ज्यादा भरोसेमंद बताया है।

समय रहते क्यों जरूरी है पहचान?

दिल की बीमारी के देर से लक्षण

दिल की बीमारी का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसके लक्षण अक्सर बहुत देर से सामने आते हैं। कई बार हार्ट अटैक तब होता है, जब बीमारी दशकों से चुपचाप बढ़ रही होती है।

जल्दी पहचान के फायदे

अगर 20, 30 या 40 की उम्र में ही खतरे को पहचान लिया जाए, तो समय रहते लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करके गंभीर नतीजों से बचा जा सकता है। जरूरत पड़ने पर दवाइयों की मदद से भी दिल की बीमारी का जोखिम कम किया जा सकता है।

विशेषज्ञों की राय

अमेरिकी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एलो का मानना है कि LDL का स्तर जितना कम होगा, दिल के लिए उतना सुरक्षित होगा। उनका कहना है कि ApoB टेस्ट के जरिए खतरे का शुरुआती स्तर पर ही पता लगाया जा सकता है। अगर समय रहते अलर्ट हो जाएं, तो लाखों लोग दिल की बीमारी से बच सकते हैं।

अमेरिका जैसे आधुनिक देश में भी दिल की बीमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। बढ़ती मोटापे की समस्या, हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल इस संकट को और गहरा रहे हैं। कोलेस्ट्रॉल टेस्ट और ApoB टेस्ट जैसे आधुनिक परीक्षणों की मदद से शुरुआती स्तर पर खतरे को पहचाना जा सकता है। अब जरूरत है कि लोग समय रहते जागरूक हों और अपनी सेहत को गंभीरता से लें, ताकि आने वाले दशकों में दिल की बीमारी से होने वाली मौतों को कम किया जा सके।

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