हाइलाइट्स
- मिर्गी एक नाड़ीमंडल संबंधी रोग है, जो मस्तिष्क की असामान्य विद्युतीय गतिविधियों के कारण होता है।
- विश्वभर में करोड़ों लोग मिर्गी से पीड़ित हैं, लेकिन अब इसका इलाज संभव है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मिर्गी को अंधविश्वास और भूत-प्रेत से जोड़ा जाता है।
- मिर्गी के मरीज को पागल समझना सबसे बड़ी सामाजिक भूल है।
- आधुनिक चिकित्सा और सही परामर्श से मिर्गी पूरी तरह नियंत्रित की जा सकती है।
मिर्गी: एक परिचय
मिर्गी एक पुरानी और गंभीर बीमारी है, जिसे आमतौर पर लोग गलत धारणाओं से जोड़ते हैं। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मिर्गी मस्तिष्क की वह स्थिति है जिसमें न्यूरॉन्स की विद्युतीय गतिविधियां असामान्य हो जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप शरीर में झटके लगना, बेहोशी, आंखों का उलटना और अकड़न जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
भारत ही नहीं, पूरे विश्व में मिर्गी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में मौजूद है। शोध बताते हैं कि लगभग हर 100 में से एक व्यक्ति को जीवनकाल में मिर्गी का दौरा पड़ सकता है।
मिर्गी के प्रकार
मिर्गी को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बांटा गया है:
1. आंशिक मिर्गी
इसमें मस्तिष्क का केवल एक हिस्सा प्रभावित होता है। ऐसे दौरे छोटे और सीमित हो सकते हैं, लेकिन लक्षणों की तीव्रता मरीज पर निर्भर करती है।
2. व्यापक मिर्गी
इसमें मस्तिष्क के दोनों हिस्से प्रभावित होते हैं। इसके लक्षण अधिक गंभीर होते हैं और अक्सर मरीज लंबे समय तक बेहोश रह सकता है।
मिर्गी के लक्षण
मिर्गी के दौरे के दौरान अलग-अलग मरीजों में अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य संकेत इस प्रकार हैं:
- अचानक जमीन पर गिर जाना
- शरीर का अकड़ जाना
- आंखें उलट जाना और चेहरा नीला पड़ना
- हाथ-पैर में तेज झटके लगना
- मुंह से झाग निकलना
- जीभ काट लेना
- दौरे के बाद गहरी थकान और नींद
मिर्गी के कारण
मिर्गी का कोई एक कारण नहीं है। कई कारक मस्तिष्क पर असर डालते हैं और बीमारी को जन्म देते हैं:
- जेनेटिक कारण: परिवार में मिर्गी होने पर जोखिम बढ़ जाता है।
- सिर की चोट: दुर्घटना या गिरने से हुई चोट मिर्गी को जन्म दे सकती है।
- ब्रेन ट्यूमर या स्ट्रोक: मस्तिष्क की संरचना प्रभावित होने से दौरे आ सकते हैं।
- संक्रमण: मेनिनजाइटिस और इंसेफेलाइटिस जैसे संक्रमण मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाते हैं।
- तनाव और थकान: अत्यधिक तनाव और नींद की कमी भी दौरे का कारण बन सकते हैं।
- नशा और दवाओं का दुरुपयोग: शराब, तंबाकू और ड्रग्स से जोखिम बढ़ता है।
मिर्गी से जुड़े अंधविश्वास और भ्रांतियां
भारत के ग्रामीण इलाकों में मिर्गी को लेकर आज भी कई तरह की गलतफहमियां हैं।
- भूत-प्रेत का साया: लोग इसे अलौकिक शक्ति का प्रभाव मानते हैं।
- जूता या प्याज सूंघाना: इसे दौरे रोकने का इलाज समझा जाता है, जबकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
- पागलपन का रोग: बहुत से लोग मिर्गी को मानसिक रोग मानते हैं और मरीज को समाज से अलग कर देते हैं।
- शादी में बाधा: खासकर महिलाओं के मामले में मिर्गी को शादी और मातृत्व के लिए बाधक समझा जाता है।
ये धारणाएं न सिर्फ गलत हैं बल्कि मरीज और परिवार पर गहरा सामाजिक दबाव डालती हैं।
मिर्गी का इलाज और आधुनिक चिकित्सा
आज चिकित्सा विज्ञान में मिर्गी का इलाज संभव है।
दवा से इलाज
लगभग 70% मरीज नियमित दवाइयों से पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकते हैं।
सर्जरी
जिन मामलों में दवाइयों से फायदा नहीं होता, वहां सर्जरी कारगर साबित हो सकती है।
जीवनशैली में सुधार
- पर्याप्त नींद लेना
- तनाव से बचना
- नशे से दूरी रखना
- संतुलित आहार लेना
इन उपायों से मिर्गी को नियंत्रित किया जा सकता है।
मिर्गी से पीड़ित मरीजों के लिए जरूरी सावधानियां
- दौरे के समय मरीज को पकड़कर दबाएं नहीं, बल्कि उसे सुरक्षित स्थान पर लिटा दें।
- उसके मुंह में पानी, प्याज या कोई वस्तु जबरदस्ती न डालें।
- दौरा खत्म होने तक उसके पास रहें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- यदि दौरा 5 मिनट से ज्यादा समय तक जारी रहे, तो यह आपातकालीन स्थिति है।
समाज में जागरूकता की आवश्यकता
मिर्गी को लेकर जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। यह कोई पागलपन या अलौकिक शक्ति नहीं बल्कि एक चिकित्सकीय रोग है। यदि समय पर उपचार और सही परामर्श मिल जाए तो मरीज भी सामान्य जीवन जी सकता है।
मिर्गी एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य बीमारी है। इसे लेकर समाज में फैली गलतफहमियां और अंधविश्वास सबसे बड़ी बाधा हैं। जरुरी है कि हम मिर्गी को सही दृष्टिकोण से देखें और मरीजों को सम्मान, सहयोग और उपचार प्रदान करें। जागरूकता ही इस बीमारी से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है।