हाइलाइट्स
- Endometrial Cancer के मामले भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं, महिलाओं को इसके लक्षणों की जानकारी होना बेहद जरूरी।
- बच्चेदानी में दर्द, असामान्य ब्लीडिंग, और वजन घटना हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत।
- शुरुआती लक्षणों की अनदेखी से कैंसर की स्थिति हो सकती है जानलेवा।
- नियमित चेकअप और जागरूकता से बचाई जा सकती है जान।
- डॉक्टरों की मानें तो 40 साल से ऊपर की महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
भारत में महिलाओं के बीच Endometrial Cancer या बच्चेदानी का कैंसर एक तेजी से उभरता खतरा बन चुका है। मेडिकल साइंस में इसे “एंडोमेट्रियल कैंसर” कहा जाता है, जो कि यूटरस (गर्भाशय) की अंदरूनी परत को प्रभावित करता है। यह कैंसर महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसरों में चौथे स्थान पर है, लेकिन जागरूकता की कमी और लक्षणों की अनदेखी इसे घातक बना देती है।
क्या है Endometrial Cancer?
Endometrial Cancer उस अवस्था को कहते हैं जब बच्चेदानी की अंदरूनी परत (एंडोमेट्रियम) की कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं और कैंसर का रूप ले लेती हैं। यह कैंसर आमतौर पर रजोनिवृत्ति (menopause) के बाद की महिलाओं में पाया जाता है, लेकिन अब यह 40 की उम्र के बाद की महिलाओं में भी देखा जाने लगा है।
बच्चेदानी कैंसर के लक्षण: नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
1. असामान्य वजाइनल ब्लीडिंग
बिना पीरियड साइकल के बीच या मेनोपॉज के बाद अचानक वजाइनल ब्लीडिंग होना Endometrial Cancer का सबसे आम और पहला संकेत हो सकता है। यदि ब्लीडिंग अधिक समय तक या बार-बार हो रही है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
2. पेट के निचले हिस्से और पीठ में दर्द
लगातार पेट के निचले हिस्से, पीठ या जांघों में दर्द रहना एक गंभीर संकेत हो सकता है। यह दर्द कैंसर की ग्रथ (growth) द्वारा आसपास की नसों और अंगों पर प्रभाव डालने से होता है।
3. वजाइनल डिस्चार्ज
अगर डिस्चार्ज मवाद युक्त, बदबूदार या गुलाबी रंग का हो तो यह सामान्य नहीं है। ऐसे मामलों में तत्काल डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए क्योंकि यह Endometrial Cancer का संकेत हो सकता है।
4. पेशाब और मलत्याग में परेशानी
कैंसर ग्रथ से आसपास के अंगों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे पेशाब करने में जलन, बार-बार पेशाब आना, या कब्ज की समस्या हो सकती है।
5. बिना कारण वजन घटना
अगर बिना किसी प्रयास या डाइटिंग के वजन तेजी से घट रहा है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या, विशेष रूप से Endometrial Cancer का चेतावनी संकेत हो सकता है।
किन महिलाओं को होता है ज्यादा खतरा?
जोखिम बढ़ाने वाले कारक
- मोटापा (Obesity)
- मधुमेह (Diabetes)
- देर से मेनोपॉज होना
- अधिक मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन
- पारिवारिक इतिहास में किसी को एंडोमेट्रियल कैंसर होना
- जन्म न देना (Nulliparity)
विशेषज्ञों का मानना है कि जिन महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 30 से अधिक होता है, उनमें Endometrial Cancer का खतरा लगभग तीन गुना तक बढ़ जाता है।
Endometrial Cancer का पता कैसे चलता है?
जाँच प्रक्रिया
- Transvaginal Ultrasound (TVUS): एंडोमेट्रियल लाइनिंग की मोटाई का मूल्यांकन करता है।
- Biopsy: एंडोमेट्रियम की कोशिकाओं की जांच की जाती है।
- Hysteroscopy: कैमरे की मदद से गर्भाशय की जांच।
- Dilation and Curettage (D&C): विस्तृत जांच के लिए ऊतक का नमूना लिया जाता है।
इलाज के विकल्प
आधुनिक चिकित्सा पद्धतियाँ
- सर्जरी: अधिकतर मामलों में बच्चेदानी को निकाल देना (Hysterectomy) पड़ता है।
- रेडिएशन थेरेपी: कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए।
- कीमोथेरेपी: विशेष ड्रग्स की सहायता से कैंसर को फैलने से रोकने के लिए।
- हार्मोन थेरेपी: विशेष हार्मोनों के जरिए कैंसर की गति को धीमा किया जाता है।
विशेषज्ञों की मानें तो यदि Endometrial Cancer को शुरुआत में ही पकड़ लिया जाए, तो इसका इलाज 90% से अधिक मामलों में सफल हो सकता है।
बचाव ही है सबसे अच्छा उपाय
रोकथाम के उपाय
- संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से मोटापा नियंत्रण में रखें।
- मधुमेह और हार्मोनल असंतुलन को समय पर मैनेज करें।
- किसी भी असामान्य लक्षण पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
- 40 वर्ष के बाद हर महिला को नियमित रूप से पैल्विक जांच करवानी चाहिए।
समाज में जागरूकता की कमी बनी सबसे बड़ी चुनौती
देशभर में जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं Endometrial Cancer के लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे कैंसर तीसरे या चौथे स्टेज में पता चलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या और गंभीर है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित है। ऐसे में मीडिया, स्वास्थ्य विभाग और एनजीओ को मिलकर महिलाओं को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना होगा।
Endometrial Cancer एक गंभीर लेकिन काबू में आने वाला कैंसर है, अगर समय पर पहचान और उपचार हो जाए। महिलाओं को चाहिए कि वे अपने शरीर में होने वाले बदलावों को समझें, नियमित रूप से चेकअप कराएं और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें। जीवन बचाने का सबसे बड़ा हथियार है जानकारी और सजगता।