हाइलाइट्स
- Dog bite treatment में देरी जानलेवा हो सकती है, जानें तुरंत करने योग्य तीन अहम काम
- कुत्ते या बंदर के काटने पर साबुन से घाव धोना और टिटनेस-रेबीज इंजेक्शन लगवाना अनिवार्य
- WHO की गाइडलाइन के अनुसार समय पर इलाज से 100% बचाव संभव
- भारत में हर साल लाखों लोग होते हैं पालतू या आवारा जानवरों के हमले का शिकार
- चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह: dog bite treatment को हल्के में न लें, यह संक्रामक रोगों का प्रवेश द्वार हो सकता है
कुत्ते या बंदर के काटने पर क्या करें? जानिए प्रभावी Dog Bite Treatment
भारत जैसे देशों में जहां गली-मोहल्लों में आवारा कुत्ते और बंदर बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, वहां इन जानवरों के काटने की घटनाएं आम हैं। लेकिन समस्या तब गंभीर हो जाती है जब लोग इसे नजरअंदाज करते हैं या सही dog bite treatment नहीं अपनाते।
यह लेख आपको बताएगा कि यदि किसी को कुत्ते या बंदर ने काट लिया हो तो सबसे पहले क्या करना चाहिए और कौन से इंजेक्शन कब और कैसे लगवाने चाहिए।
स्थिति की गंभीरता को पहचानें
कुत्ते या बंदर का काटना केवल बाहरी घाव नहीं है, यह कई बार घातक बीमारियों, विशेषकर रेबीज, का कारण बन सकता है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, यदि dog bite treatment समय पर और सही तरीके से किया जाए, तो 100% मामलों में बचाव संभव है।
पहला कदम: घाव को तुरंत धोएं
कुत्ते या बंदर के काटने के बाद का पहला और सबसे जरूरी कदम है — घाव को साफ करना।
कैसे करें?
- घाव को बहते पानी में कम से कम 10 मिनट तक धोएं
- साबुन का प्रयोग करें, क्योंकि यह वायरस को निष्क्रिय करता है
- अल्कोहल या एंटीसेप्टिक (जैसे कि povidone iodine) से घाव को साफ करें
- पट्टी बिल्कुल न बांधें — घाव खुला रखें
यह शुरुआती dog bite treatment संक्रमण को फैलने से रोकने में अत्यधिक मददगार होता है।
दूसरा कदम: तुरंत अस्पताल जाएं
घाव चाहे जितना भी छोटा क्यों न हो, डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है। भारत सरकार और WHO की गाइडलाइन्स के अनुसार dog bite treatment में तुरंत मेडिकल हस्तक्षेप बेहद जरूरी होता है।
डॉक्टर द्वारा पूछी जाने वाली बातें
- जानवर पालतू था या आवारा
- काटने की गहराई क्या थी
- किस जगह काटा गया
- जानवर को रेबीज का टीका लगा था या नहीं
इन बातों के आधार पर तय होता है कि कौन सा टीका और कितनी मात्रा में देना है।
तीसरा कदम: आवश्यक टीके लगवाना
कुत्ते या बंदर के काटने पर दो प्रकार के इंजेक्शन आवश्यक होते हैं:
1. Anti-Rabies Vaccine (ARV)
- यह टीका रेबीज वायरस से सुरक्षा देता है
- काटने के 0, 3, 7, 14, और 28 दिन पर दिया जाता है
- यह मांसपेशियों (आमतौर पर हाथ में) में लगाया जाता है
2. Rabies Immunoglobulin (RIG)
- यह केवल तब दिया जाता है जब काटने का घाव गहरा हो
- इसे सीधे घाव के आसपास लगाया जाता है
- यह शरीर को तुरंत रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है
Dog bite treatment का यह हिस्सा सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि रेबीज एक बार विकसित हो जाए तो यह लगभग 100% घातक होता है।
बच्चों और बुजुर्गों को अधिक खतरा
बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण कुत्ते या बंदर के काटने के बाद संक्रमण और रेबीज का खतरा अधिक रहता है। इसलिए उनके dog bite treatment में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
जानवरों के काटने की श्रेणियां
WHO ने dog bite treatment को तीन कैटेगरी में बांटा है:
कैटेगरी 1
- केवल चाटना या स्पर्श करना
- कोई इंजेक्शन जरूरी नहीं
कैटेगरी 2
- त्वचा पर खरोंच या हल्की चोट
- ARV टीका आवश्यक
कैटेगरी 3
- गहरा घाव, खून निकलना, या चबाना
- ARV + RIG दोनों जरूरी
भारत में स्थिति और आंकड़े
भारत में हर साल करीब 1.75 करोड़ लोग कुत्ते के काटने का शिकार होते हैं। इनमें से अधिकांश ग्रामीण इलाकों से होते हैं जहां dog bite treatment की पहुंच सीमित होती है।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार:
- लगभग 20,000 लोग हर साल रेबीज से मरते हैं
- 75% से अधिक मामलों में समय पर इंजेक्शन नहीं लिया गया
- अधिकांश मौतें जानकारी के अभाव में होती हैं
क्या न करें?
- घरेलू नुस्खों पर भरोसा न करें (हल्दी, मिर्च, राख आदि)
- घाव को ढंकें नहीं
- देरी न करें — हर मिनट कीमती है
- किसी झोला छाप डॉक्टर से इलाज न कराएं
- इंजेक्शन का कोर्स अधूरा न छोड़ें
सरकार और WHO की पहल
भारत सरकार ने National Rabies Control Programme शुरू किया है जिसका उद्देश्य हर जिले में मुफ्त dog bite treatment उपलब्ध कराना है। साथ ही कई NGOs भी जागरूकता अभियान चला रहे हैं ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग समय पर चिकित्सा सुविधा लें।
कुत्ते या बंदर के काटने की घटना किसी के साथ भी, किसी भी समय हो सकती है। लेकिन अगर आप सही जानकारी रखते हैं और तुरंत तीन जरूरी कदम — घाव को धोना, डॉक्टर को दिखाना और इंजेक्शन लगवाना — उठाते हैं, तो गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
Dog bite treatment में देरी जानलेवा हो सकती है, इसलिए जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।