हाइलाइट्स
- डायबिटीज का इलाज आयुर्वेद से संभव है, डॉक्टर इरफान का दावा, शुगर की दवाएं भी हो सकती हैं बंद
- एलोपैथिक दवाएं केवल लक्षण दबाती हैं, बीमारी की जड़ नहीं करती खत्म
- आयुर्वेदिक उपचार से शरीर की कमजोरी भी होती है दूर
- घरेलू जड़ी-बूटियों से बना पाउडर, शुगर कंट्रोल करने में बेहद असरदार
- भारत बन रहा है डायबिटीज की राजधानी, आयुर्वेद है इससे निपटने का प्राचीन तरीका
भारत में तेजी से बढ़ रही है डायबिटीज की बीमारी
डायबिटीज आज के समय में एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जो न केवल बुजुर्गों को, बल्कि युवाओं और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही है। डायबिटीज का इलाज आयुर्वेद से संभव है – यह दावा किया है प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर इरफान ने।
भारत में लगभग 77 मिलियन से अधिक लोग टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हैं और 25 मिलियन लोग प्री-डायबिटिक अवस्था में हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और यदि समय रहते समाधान न किया गया, तो भारत दुनिया में सबसे अधिक डायबिटीज मरीजों वाला देश बन सकता है।
एलोपैथी से नहीं होता डायबिटीज का स्थायी इलाज
डॉक्टर इरफान ने क्या कहा?
डॉ. इरफान का स्पष्ट कहना है कि एलोपैथिक दवाएं सिर्फ डायबिटीज के लक्षणों को दबाती हैं, बीमारी को खत्म नहीं करतीं। “अगर आप सोचते हैं कि शुगर की अंग्रेजी दवाएं खाने से डायबिटीज ठीक हो जाएगी, तो आप भ्रम में हैं। जीवनभर इन दवाओं को लेते रहने से शरीर में कमजोरी और अन्य रोग पनपने लगते हैं।”
इसके विपरीत, डायबिटीज का इलाज आयुर्वेद से संभव है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर बीमारी की जड़ पर काम किया जाता है।
डायबिटीज का आयुर्वेदिक समाधान
कौन-कौन सी जड़ी-बूटियां जरूरी हैं?
डॉ. इरफान ने डायबिटीज के लिए एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक फार्मूला बताया है, जिसे घर पर ही आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसके लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
- जामुन की गुठली – 40 ग्राम
- गुड़मार – 30 ग्राम
- करेला – 30 ग्राम
- मेथी दाना – 30 ग्राम
- नीम के पत्ते – 25 ग्राम
- विजय सार – 30 ग्राम
- बेल पत्र – 20 ग्राम
- त्रिकटु – 15 ग्राम
- सूखा आंवला – 25 ग्राम
- हरड़ – 25 ग्राम
कैसे बनाएं यह आयुर्वेदिक पाउडर?
इन सभी औषधीय जड़ी-बूटियों को किसी अच्छे पंसारी या आयुर्वेदिक दुकान से आसानी से खरीदा जा सकता है। सभी सामग्री को अच्छे से कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और किसी सूखे प्लास्टिक डिब्बे में भरकर रखें।
सेवन की विधि
इस चूर्ण का रोज सुबह-शाम खाली पेट गुनगुने पानी के साथ एक-एक चम्मच सेवन करें। लगभग एक से डेढ़ महीने में असर दिखने लगता है। शुगर लेवल नियंत्रित होने लगता है और धीरे-धीरे एलोपैथिक दवाओं की आवश्यकता भी कम हो जाती है।
डायबिटीज के लिए आयुर्वेद क्यों है बेहतर?
प्राकृतिक और बिना साइड इफेक्ट के इलाज
डायबिटीज का इलाज आयुर्वेद से संभव होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह इलाज शरीर के संपूर्ण तंत्र पर काम करता है, न कि सिर्फ एक अंग विशेष पर। इसके अलावा, आयुर्वेदिक औषधियां शरीर में किसी भी प्रकार के रासायनिक परिवर्तन नहीं करतीं और न ही इनके दुष्प्रभाव होते हैं।
शरीर को करता है मजबूत
एलोपैथिक दवाओं के लंबे समय तक उपयोग से शरीर में थकान, मांसपेशियों में कमजोरी, और पाचन तंत्र की समस्या जैसी शिकायतें आम हो जाती हैं। वहीं आयुर्वेद न केवल शुगर को नियंत्रित करता है, बल्कि शरीर की संपूर्ण क्षमता को भी बढ़ाता है।
बदलें अपनी जीवनशैली, साथ लें आयुर्वेद का सहारा
खानपान में सुधार जरूरी
डॉ. इरफान का कहना है कि केवल डायबिटीज का इलाज आयुर्वेद से संभव नहीं है, बल्कि इसके साथ जीवनशैली और खानपान में भी बदलाव जरूरी है। शुगर के मरीजों को सफेद चीनी, मैदा, चावल और तले-भुने खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए।
इसके अलावा उन्हें ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त आहार जैसे ओट्स, जौ, दलिया, और हरी सब्जियां लेनी चाहिए।
योग और प्राणायाम
डायबिटीज पर नियंत्रण में योग और प्राणायाम बेहद सहायक सिद्ध होते हैं। विशेषकर कपालभाति, अनुलोम-विलोम, और मंडूकासन जैसे योगासन से पैंक्रियास को सक्रिय किया जा सकता है, जिससे इंसुलिन का स्राव संतुलित रहता है।
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सरकार और चिकित्सा संस्थानों की भूमिका
आयुर्वेद को बढ़ावा देने की जरूरत
डायबिटीज का इलाज आयुर्वेद से संभव है – इस जागरूकता को फैलाने की जिम्मेदारी सिर्फ डॉक्टरों की नहीं, बल्कि सरकार की भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में आयुर्वेदिक क्लीनिक, हेल्थ कैंप और जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
आज के समय में जब डायबिटीज महामारी का रूप ले रही है, तब आयुर्वेद हमारे लिए एक वरदान बनकर सामने आया है। यह एकमात्र ऐसा मार्ग है जो न केवल बीमारी को नियंत्रित करता है, बल्कि शरीर को भीतर से मजबूत भी बनाता है।
डायबिटीज का इलाज आयुर्वेद से संभव है – इस विचार को अपनाने का समय आ गया है। जो भी लोग आज एलोपैथिक दवाओं के भरोसे जी रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि यह सिर्फ एक तात्कालिक समाधान है, स्थायी नहीं।