शुगर की बीमारी को लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा, जो लोग स्वस्थ दिखते हैं वो भी हैं इसके गंभीर खतरे में!

Health

 हाइलाइट्स

  • Diabetes अब सिर्फ बुजुर्गों की नहीं, युवाओं और बच्चों की भी आम बीमारी बन चुकी है
  • WHO की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत दुनिया में Diabetes का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है
  • गलत खानपान और तनावपूर्ण जीवनशैली इस मीठी बीमारी को बना रहे हैं जानलेवा
  • अब नई रिपोर्ट में पता चला है कि सोने-जागने की गलत आदतें भी शुगर लेवल को बिगाड़ सकती हैं
  • विशेषज्ञों के अनुसार, समय रहते डायबिटीज़ को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है नहीं तो हार्ट, किडनी और आंखें हो सकती हैं फेल

 Diabetes: भारत में ‘मीठी मौत’ बनती जा रही है शुगर की बीमारी

नई दिल्ली:
डायबिटीज़ यानी शुगर की बीमारी अब केवल एक जीवनशैली से जुड़ी बीमारी नहीं रह गई है, बल्कि यह एक स्लो किलर के रूप में तेजी से उभर रही है। हाल ही में प्रकाशित हुई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसे जानकर हर आम आदमी को सतर्क हो जाना चाहिए। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में Diabetes पीड़ितों की संख्या हर साल करोड़ों में बढ़ रही है और इसका मुख्य कारण केवल शक्कर का सेवन नहीं, बल्कि हमारा पूरा जीवन ढांचा है।

 WHO रिपोर्ट: भारत बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Diabetes हॉटस्पॉट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत अब Diabetes से सबसे अधिक प्रभावित देशों में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। साल 2024 के अंत तक भारत में डायबिटीज़ के मरीजों की संख्या 10.1 करोड़ को पार कर चुकी है। ये संख्या अगले 10 वर्षों में दोगुनी हो सकती है, अगर समय रहते जागरूकता और रोकथाम के उपाय न अपनाए गए।

 क्या केवल मीठा खाने से होता है Diabetes?

 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

एम्स के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. संजय गोयल के अनुसार, “लोगों को अब भी लगता है कि डायबिटीज़ केवल ज्यादा मिठा खाने से होती है, जबकि असलियत यह है कि Diabetes एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है। यह तब होता है जब शरीर इंसुलिन को पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाता या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पातीं।”

नया खुलासा: देर रात सोने वालों में बढ़ता है Diabetes का खतरा

अंतरराष्ट्रीय शोध में चौंकाने वाला निष्कर्ष

ब्रिटेन की ‘लैंसेट हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि जो लोग देर रात तक जागते हैं, उनका शुगर लेवल अनियंत्रित हो सकता है। ऐसे लोगों में Diabetes होने की संभावना 35% तक अधिक होती है। शोध के मुताबिक, नींद की गुणवत्ता और उसका समय डायबिटीज़ के जोखिम को सीधे प्रभावित करता है।

 Diabetes से जुड़ी बड़ी गलतफहमियां

 डायबिटीज़ केवल बुजुर्गों को होती है

यह एक मिथक है। अब 15 से 25 साल के युवाओं और यहां तक कि स्कूल जाने वाले बच्चों में भी टाइप-2 Diabetes के मामले सामने आ रहे हैं।

 दवा से पूरी तरह ठीक हो सकती है डायबिटीज़

डायबिटीज़ एक क्रॉनिक बीमारी है जो पूरी तरह ठीक नहीं होती, लेकिन इसे नियंत्रित अवश्य किया जा सकता है।

शरीर के कौन से अंग होते हैं प्रभावित?

यदि Diabetes लंबे समय तक अनियंत्रित रहे तो यह शरीर के कई अंगों को धीरे-धीरे खराब कर देता है:

  • हृदय: हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है
  • किडनी: डायलिसिस की नौबत तक आ सकती है
  • नेत्र: अंधेपन की स्थिति बन सकती है
  • पैर: नर्व डैमेज के कारण कटने तक की नौबत
  • त्वचा: बार-बार इंफेक्शन का खतरा

Diabetes से बचाव के उपाय

जीवनशैली में बदलाव:

  1. सुबह जल्दी उठने और नियमित व्यायाम की आदत डालें
  2. जंक फूड, अधिक शक्कर और कोल्ड ड्रिंक्स से दूरी बनाएं
  3. मानसिक तनाव कम करने के लिए ध्यान और योग करें
  4. हर 3 महीने में शुगर टेस्ट कराएं
  5. नींद पूरी लें और सोने का समय नियमित रखें

 घरेलू उपाय जो मदद कर सकते हैं

  • मेथी के दाने रातभर भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें
  • कड़वे करेला का जूस सप्ताह में 3 बार पिएं
  • आंवला और हल्दी का सेवन करें
  • दालचीनी पाउडर को दूध या चाय में मिलाकर लें
  • एलोवेरा जूस से भी ब्लड शुगर कंट्रोल में मदद मिल सकती है

(नोट: इन उपायों को अपनाने से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें)

 सरकार और समाज की भूमिका

सरकारी स्तर पर Diabetes जागरूकता अभियान तेज़ी से चलाए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी गांवों और छोटे शहरों में लोगों को इसकी सही जानकारी नहीं है। स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा और नियमित स्वास्थ्य परीक्षण शुरू करना समय की मांग बन गई है।

Diabetes को नजरअंदाज करना पड़ेगा भारी

शुगर की बीमारी यानी Diabetes अब एक व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक चिंता बन चुकी है। इसे हल्के में लेना या केवल मिठा खाना बंद कर देना पर्याप्त नहीं है। अगर सही समय पर सावधानी नहीं बरती गई, तो यह मीठी बीमारी गंभीर रूप से जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।

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