हाइलाइट्स:
- चाय के साथ बिस्किट खाने की आदत सेहत पर डाल सकती है गंभीर असर
- न्यूट्रिशनिस्ट्स ने बताया – बिस्किट में मौजूद ट्रांस फैट्स और शुगर हैं खतरनाक
- ‘डाइट’ या ‘डाइजेस्टिव’ लेबल वाले बिस्किट भी नहीं होते पूरी तरह सुरक्षित
- AIIMS नागपुर में शुरू हुई चेतावनी बोर्ड लगाने की पहल
- जानिए कौन से विकल्प बना सकते हैं आपके चाय टाइम को ज्यादा हेल्दी
चाय के साथ बिस्किट: स्वाद की आदत या बीमारी की शुरुआत?
भारत में चाय के साथ बिस्किट खाना महज एक आदत नहीं बल्कि एक परंपरा बन चुकी है। सुबह की शुरुआत हो या शाम की चुस्की, बिना बिस्किट के चाय अधूरी सी लगती है। लेकिन हाल ही में न्यूट्रिशनिस्ट्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स ने इस लोकप्रिय कॉम्बिनेशन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या चाय के साथ बिस्किट खाना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है? क्या यह आदत वजन बढ़ने, डायबिटीज़ और हृदय रोग जैसी बीमारियों की जड़ बन सकती है? इस लेख में जानिए इस मीठी परंपरा की कड़वी सच्चाई।
बिस्किट की असलियत: ‘खाली कैलोरी’ का जाल
बिस्किट में क्या होता है?
ज्यादातर बाजार में बिकने वाले बिस्किट – चाहे वे ग्लूकोज बिस्किट हों, मैरी बिस्किट या नमकीन – इनमें मुख्य रूप से रिफाइंड मैदा, हाइड्रोजेनेटेड तेल और एडेड शुगर होती है।
इन सामग्रियों में फाइबर या पोषण लगभग नगण्य होता है। यही कारण है कि विशेषज्ञ इन्हें ‘एम्प्टी कैलोरी’ यानी खाली कैलोरी का स्रोत मानते हैं।
रोजाना की आदत, धीरे-धीरे ज़हर
अगर कोई व्यक्ति दिन में दो बार चाय के साथ बिस्किट खाता है और हर बार दो से तीन बिस्किट लेता है, तो वह अनजाने में दिनभर में 8-10 ग्राम अतिरिक्त शुगर और ट्रांस फैट ले लेता है।
यह छोटी-सी आदत धीरे-धीरे शरीर में मोटापा, ब्लड शुगर असंतुलन और कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने का काम करती है।
न्यूट्रिशनिस्ट्स की चेतावनी
डॉक्टर अमरीन शेख (क्लिनिकल डायटीशियन) का बयान:
“चाय के साथ बिस्किट खाना आदत का हिस्सा है, लेकिन आदतें सेहत से बड़ी नहीं होतीं। ज़्यादातर बिस्किट में मैदा और ट्रांस फैट होते हैं जो पाचन को बिगाड़ते हैं और लीवर पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं।”
उन्होंने कहा कि बिस्किट का चयन करते समय लेबल ज़रूर पढ़ें। यदि इंग्रीडिएंट लिस्ट की शुरुआत मैदा, रिफाइंड शुगर या हाइड्रोजेनेटेड ऑयल से होती है, तो वह बिस्किट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
डायबिटीज़ और वजन बढ़ने का खतरनाक रिश्ता
टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा
चाय के साथ बिस्किट खाने से शरीर में इंसुलिन का स्तर गड़बड़ा सकता है। रिफाइंड कार्ब्स शरीर में तेजी से ग्लूकोज में बदलते हैं, जिससे ब्लड शुगर बढ़ता है।
वजन कैसे बढ़ता है?
बिस्किट में फैट्स और शुगर दोनों होते हैं। जब इन्हें चाय जैसे कैफीन युक्त पेय के साथ लिया जाता है, तो यह मेटाबोलिज्म को बिगाड़ सकते हैं। लगातार इस आदत के कारण पेट के आसपास चर्बी जमा होना आम हो जाता है।
डाइट बिस्किट या डाइजेस्टिव? नाम से मत फंसिए
लेबल की सच्चाई
‘डाइजेस्टिव’, ‘फाइबर रिच’, ‘शुगर फ्री’ – ये सभी शब्द बाज़ार में भ्रम पैदा करने के लिए होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, कई बार ऐसे बिस्किट में कृत्रिम स्वीटनर्स या हिडन फैट्स मौजूद होते हैं।
पैकेजिंग के जाल में न फंसे
पैकेजिंग पर बने Whole Wheat, Oats या Multigrain जैसे शब्द भी Misleading हो सकते हैं, क्योंकि इनमें इस्तेमाल किए गए अनाज की मात्रा न के बराबर होती है।
AIIMS नागपुर की अनोखी पहल
सिगरेट जैसी चेतावनी बिस्किट पर क्यों?
भारत सरकार और AIIMS नागपुर ने एक अनोखी पहल की है – अब बिस्किट विक्रेताओं के पास सिगरेट जैसे चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे।
यह पहल दर्शाती है कि सरकार अब रोजमर्रा के खाद्य विकल्पों को लेकर भी जागरूकता फैलाना चाहती है।
“खाली कैलोरी में छिपा होता है बड़ा खतरा” – इस टैगलाइन के साथ यह चेतावनी बोर्ड आम जनता को सोचने पर मजबूर करेंगे कि वे क्या खा रहे हैं।
चाय टाइम को हेल्दी कैसे बनाएं?
ये विकल्प हैं बेहतर
- मखाने: लो कैलोरी और हाई फाइबर
- भुना चना: प्रोटीन और फाइबर से भरपूर
- ड्राय फ्रूट्स: सीमित मात्रा में लेने पर बहुत फायदेमंद
- घर पर बने मिलेट बिस्किट: ओट्स, रागी या बाजरे से बने बिना शुगर वाले बिस्किट
थोड़ी समझदारी, बेहतर सेहत
अगर आप चाय के साथ बिस्किट की आदत को एकदम नहीं छोड़ सकते, तो सप्ताह में केवल 2-3 बार सीमित मात्रा में खाएं। लेबल ज़रूर पढ़ें और पैकेजिंग से भ्रमित न हों।
स्वाद से समझदारी की ओर बढ़िए
चाय के साथ बिस्किट खाना हमारी दिनचर्या का हिस्सा जरूर है, लेकिन इसके पीछे छिपे स्वास्थ्य संकट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हर दिन खाई जाने वाली छोटी-छोटी चीजें ही भविष्य में बड़ी बीमारियों का कारण बनती हैं।
अब वक्त है कि हम अपने चाय टाइम को थोड़ा ज़िम्मेदार और समझदारी भरा बनाएं – ताकि स्वाद और सेहत दोनों का संतुलन बना रहे।